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न्यूज क्लिपिंग्स् | कोल्हू में पिसीं यूपी की चीनी मिल! -- सिद्घार्थ कलहंस

कोल्हू में पिसीं यूपी की चीनी मिल! -- सिद्घार्थ कलहंस

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published Published on Oct 12, 2010   modified Modified on Oct 12, 2010
गन्ने की पेराई उत्तर प्रदेश में अभी शुरू भी नहीं हो सकी है और चीनी मिल मालिक मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। देसी-विदेशी बाजारों में चीनी की कीमतें घट रही हैं, लेकिन गन्ना किसान उन पर इस साल भी ज्यादा कीमत देने का दबाव बना रहे हैं। रही-सही कसर कोल्हू मालिकों ने पूरी कर दी है, जो किसानों को मुंह मांगे भाव दे रहे हैं।
दरअसल राज्य के किसान पिछले साल का हवाला देकर इस साल भी गन्ने की कीमत 300 रुपये प्रति क्विंटल मांग रहे हैं। कोल्हू और क्रेशर मालिकों ने पिछले हफ्ते ही उन्हें 200 से 210 रुपये प्रति क्विंटल देना शुरू भी कर दिया है। इससे चीनी मिलों पर दबाव बढ़ गया है। उनके गोदामों में पहले से ही चीनी भरी पड़ी है और इस बार गन्ने की फसल भी अधिक हुई है, जिसकी वजह से वे किसानों की इस मांग को बेतुका बता रहे हैं।
पिछले साल राज्य की मायावती सरकार ने गन्ने का उचित लाभकारी मूल्य 165 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। बाद में किसानों के आंदोलन की वजह से 25 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का ऐलान कर दिया गया था। लेकिन गन्ने की कमी की वजह से मिलों ने किसानों को 280 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक भाव दिया था। इस बार भी पेराई शुरू होने से पहले 300 रुपये प्रति क्विंटल भाव पाने की आस में किसानों ने मिलों और सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। गन्ना आयुक्त के साथ बैठक में उन्होंने 300 रुपये का सरकारी मूल्य घोषित किए जाने की मांग उठाई है।
लेकिन चीनी मिलों के प्रतिनिधि इससे इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा हालात में पिछले साल जितनी कीमत देना मुश्किल है।
इस बीच कोल्हू मालिक और क्रेशर संचालकों ने किसानों को 200 से 210 रुपये प्रति क्विंटल कीमत देना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सहकारी गन्ना समिति के अध्यक्ष अवधेश शुक्ला का कहना है कि कोल्हू मालिकों ने 200 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा भाव देकर साबित कर दिया है कि चीनी मिल मालिक भी किसानों को ज्यादा कीमत दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए पहल करनी चाहिए।

http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=39774


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