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न्यूज क्लिपिंग्स् | खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पास, विपक्ष ने कहा 'वोट सुरक्षा विधेयक'

खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पास, विपक्ष ने कहा 'वोट सुरक्षा विधेयक'

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published Published on Aug 27, 2013   modified Modified on Aug 27, 2013
नई दिल्ली। लंबे इंतजार और गतिरोध के बाद आखिरकार ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक पास होने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सदन में मौजूद थे। विधेयक पास करने से पहले सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों को नामंजूर कर दिया। इस विधेयक में देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने का प्रावधान है। विधेयक के कानून बनने के बाद भारत की यह खाद्य सुरक्षा योजना भूख से लड़ाई के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगी।
विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे इतिहास बनाने का अवसर करार दिया और सभी दलों से पुरजोर अपील की कि वे आपसी मतभेदों को भुला कर इस विधेयक को कानून की शक्ल देने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा संदेश देने का समय है कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है।
कुछ दलों की ओर से विधेयक के प्रावधानों और इसे लागू करने के लिए भारी बजटीय आबंटन की जरूरत को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सोनिया ने कहा- कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास साधन हैं? उन्होंने कहा- सवाल ये नहीं है कि हमारे पास साधन हैं या नहीं। हमें साधन तो जुटाने ही होंगे। सोनिया ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक कदम उठाने का मौका आया है जिसकी मदद से गरीब भाई-बहनों की परेशानियां हमेशा के लिए खत्म हो सकती हैं। उन्होंने इस विधेयक को सरकार की सशक्तीकरण क्रांति का एक हिस्सा बताते हुए विपक्ष से कहा कि इसमें कुछ कमियां हो सकती हैं। इन्हें दूर करने के लिए रचनात्मक सुझावों का सरकार स्वागत करेगी।
विधेयक पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी दलों के प्रमुख नेता सदन में मौजूद रहे। लेकिन इस पर मतदान के समय सोनिया अस्वस्थ होने के कारण सदन में नहीं थीं।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाए रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी। लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का वक्त आ गया है। जोशी ने कहा कि विधेयक में छह महीने से तीन साल के बच्चे को भी शामिल किया गया है। लेकिन इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि छह महीने से तीन साल के बच्चे को क्या राशन देंगे। क्या उन्हें भी गेहूं और चावल दिया जाएगा। भाजपा नेता ने कृषि मंत्रालय की 2009 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे गरीब व्यक्ति के अनाज की प्रति व्यक्ति प्रति माह खपत 9.8 किलोग्राम है, जबकि खाद्य सुरक्षा विधेयक में पांच किलोग्राम अनाज देने की बात कही गई है। विधेयक के माध्यम से जितना अनाज दिए जाने की बात कही गई है, वह प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 166 ग्राम बनता है।
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए। उन्होंने नई दिल्ली। लंबे इंतजार और गतिरोध के बाद आखिरकार ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक पास होने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सदन में मौजूद थे। विधेयक पास करने से पहले सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों को नामंजूर कर दिया। इस विधेयक में देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने का प्रावधान है। विधेयक के कानून बनने के बाद भारत की यह खाद्य सुरक्षा योजना भूख से लड़ाई के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगी।
विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे इतिहास बनाने का अवसर करार दिया और सभी दलों से पुरजोर अपील की कि वे आपसी मतभेदों को भुला कर इस विधेयक को कानून की शक्ल देने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा संदेश देने का समय है कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है।
कुछ दलों की ओर से विधेयक के प्रावधानों और इसे लागू करने के लिए भारी बजटीय आबंटन की जरूरत को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सोनिया ने कहा- कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास साधन हैं? उन्होंने कहा- सवाल ये नहीं है कि हमारे पास साधन हैं या नहीं। हमें साधन तो जुटाने ही होंगे। सोनिया ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक कदम उठाने का मौका आया है जिसकी मदद से गरीब भाई-बहनों की परेशानियां हमेशा के लिए खत्म हो सकती हैं। उन्होंने इस विधेयक को सरकार की सशक्तीकरण क्रांति का एक हिस्सा बताते हुए विपक्ष से कहा कि इसमें कुछ कमियां हो सकती हैं। इन्हें दूर करने के लिए रचनात्मक सुझावों का सरकार स्वागत करेगी।
विधेयक पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी दलों के प्रमुख नेता सदन में मौजूद रहे। लेकिन इस पर मतदान के समय सोनिया अस्वस्थ होने के कारण सदन में नहीं थीं।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाए रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी। लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का वक्त आ गया है। जोशी ने कहा कि विधेयक में छह महीने से तीन साल के बच्चे को भी शामिल किया गया है। लेकिन इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि छह महीने से तीन साल के बच्चे को क्या राशन देंगे। क्या उन्हें भी गेहूं और चावल दिया जाएगा। भाजपा नेता ने कृषि मंत्रालय की 2009 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे गरीब व्यक्ति के अनाज की प्रति व्यक्ति प्रति माह खपत 9.8 किलोग्राम है, जबकि खाद्य सुरक्षा विधेयक में पांच किलोग्राम अनाज देने की बात कही गई है। विधेयक के माध्यम से जितना अनाज दिए जाने की बात कही गई है, वह प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 166 ग्राम बनता है।
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में राज्यों पर कितना बोझ पड़ेगा और राज्य इस बोझ की भरपाई कैसे करेंगे, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। उन्होंने कहा कि सारा बोझ तो राज्यों पर ही डाला गया है जिनकी माली हालत पहले से ही खराब है। किसानों की पूरी उपज को खरीदने की गारंटी दिए जाने की मांग करते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि इसके प्रावधानों में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की पूरी उपज को खरीदा जाएगा।
जद (एकी) के शरद यादव ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को एक साहसी कदम बताया, लेकिन साथ ही कहा कि गरीबी हटाने के लिए समय-समय पर किए गए उपायों का बहुत नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने कहा- हमारा ढांचा ही ऐसा है कि योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता। इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में राज्यों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का जिक्र करते हुए जद (एकी) नेता ने कहा कि जब तक केंद्र राज्यों पर पड़ने वाले बोझ को नहीं उठाएगा, तब तक यह योजना सफल होने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर हमारे प्रयास सफल हों, इसके लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए।
बसपा के दारा सिंह चौहान ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस विधेयक के प्रावधानों का लाभ ईमानदारी से गरीबों तक पहुंच जाए तो यह इस विधेयक की बहुत बड़ी सार्थकता होगी। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की खामियों को दूर किए जाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत बताई।
इससे पहले खाद्य सुरक्षा विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए उपभोक्ता, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रो. केवी थामस ने कहा कि यह एक महत्त्वपूर्ण विधेयक है जिसमें हर परिवार को 35 किलो अनाज प्रति माह देने के साथ ही छह महीने से लेकर 14 साल के बच्चों को पोषक आहार देने का प्रावधान है। खाद्य सुरक्षा विधेयक पर तमिलनाडु सहित कुछ राज्यों की आपत्तियों को दूर करते हुए थामस ने कहा- हमने यह फैसला किया है कि इन राज्यों को पिछले तीन वर्षों के दौरान जो अनाज मिल रहा है, उसे पूरी तरह से बनाए रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र पर कुछ वित्तीय बोझ तो पड़ेगा, लेकिन हम इसको वहन करेंगे।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अत्यंत गरीब जिलों के लिए विशेष उपाय होने चाहिए और उन्हें ज्यादा अनाज मिलना चाहिए। द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सरकार ने कई वायदे किए थे, लेकिन वे अभी भी संतुष्ट नहीं हैं।
माकपा के ए. संपत ने कहा कि वाजिब कीमत पर अनाज हासिल करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत केवल चावल और गेहूं ही नहीं, बल्कि दाल, चीनी और खाद्य तेल का वितरण भी किया जाना चाहिए। अब जबकि आगामी लोकसभा चुनाव करीब हैं, सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहती है।
बीजद के भृर्तुहरि महताब ने कहा कि देश में गरीबी और भूख की समस्या पहले जैसी ही है। करीब 42 करोड़ जनता हर रात खाली पेट सोती है। उन्होंने अनाज वितरण में प्रति व्यक्ति व्यवस्था को हटा कर प्रति परिवार व्यवस्था को लागू करने की मांग की।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि योजना के तहत देश की 80 फीसद आबादी को कवर किया जाएगा। इसका मतलब है कि 80 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे हैं। इनमें से भी 50 करोड़ लोग रोज आधे पेट ही सोते हैं। इस योजना से कुपोषण और भुखमरी का शिकार होने वालों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी।

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/50995-2013-08-27-03-46-35


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