Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | खेतों के लिए चाहिए 270 सरकारी नलकूप

खेतों के लिए चाहिए 270 सरकारी नलकूप

Share this article Share this article
published Published on Jun 3, 2010   modified Modified on Jun 3, 2010

रुड़की (हरिद्वार)। खेतों की प्यास बुझाने के लिए हरिद्वार जनपद को अभी 270 और सरकारी नलकूप चाहिए। इन नलकूपों का प्रस्ताव नलकूप खंड सिंचाई विभाग से शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन पहले चरण में भगवानपुर ब्लाक क्षेत्र में 58 नलकूपों के निर्माण को ही हरी झंडी मिलने के आसार हैं।

हरिद्वार जनपद में करीब 38 हजार हेक्टेयर भूमि असिंचित है। हालांकि इस असिंचित क्षेत्र को सींचने के लिए सिंचाई विभाग के पास कई प्लान हैं, जिसमें उत्तराखंड सिंचाई विभाग के हरिद्वार खंड ने बहादराबाद से इकबालपुर तक के लिए 600 क्यूसेक क्षमता की गंगनहर के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेज रखा है। राज्य स्तर से इस नहर को हरी झंडी भी मिल चुकी है, पर अभी केन्द्र से इस नहर के निर्माण को अनुमति नहीं मिली है। यदि केन्द्र इसकी इजाजत दे दे तो करीब दस हजार हेक्टेयर भूमि की प्यास बुझ जाएगी। इसके अलावा खेतों की प्यास बुझाने के लिए नलकूप खंड सिंचाई विभाग के पास भी कई योजनाएं हैं, जिसमें नलकूप खंड के इंजीनियरों ने हरिद्वार जिले के लिए 270 नए सरकारी नलकूप मांग रखे हैं। ये सभी नलकूप नाबार्ड से मंजूर होने हैं, जिसमें नाबार्ड की टीम भगवानपुर ब्लाक क्षेत्र के प्रस्तावित 58 सरकारी नलकूपों के लिए सर्वे भी कर चुकी है। यदि सिंचाई विभाग नलकूप खंड के अभियंताओं की माने तो 58 सरकारी नलकूपों के लिए चालू वित्त वर्ष में ही बजट मिल जाने के आसार हैं। इससे भगवानपुर का अधिकतर क्षेत्र सिंचित हो जाएगा। नलकूप खंड सिंचाई विभाग ने स्पेशल कंपोनेंट प्लान के तहत भी एक दर्जन सरकारी नलकूप हरिद्वार जनपद के लिए मांग रखे हैं। इस संबंध में नलकूप खंड के अधिशासी अभियंता टीएस मर्तोलिया बताते हैं कि फिलहाल जनपद में करीब तीन सौ सरकारी नलकूप खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। रबी व खरीफ की फसलों का कुल रकबा प्रति नलकूप 75 हेक्टेयर सिंचित हो रहा है। उन्होंने बताया कि यदि जिले को 270 नलकूप जल्द मिल जाएं तो यहां की जमीन प्यासी नहीं रहेगी। जिन क्षेत्रों में गंगनहर से सिंचाई हो सकती है, वहां पर पहले ही रजवाहे व माइनर बनाने के प्रस्ताव हैं। खासकर पथरी क्षेत्र के लिए रजवाहों की क्षमता बढ़ाए जाने की कोशिशें जारी हैं। इसीलिए पथरी क्षेत्र में अब सरकारी नलकूप नहीं लगाए जा रहे हैं। सरकारी नलकूपों का प्रस्ताव उन्हीं क्षेत्रों के लिए तैयार किया जा रहा है, जहां का किसान निजी ट्यूबवेल लगाने में असमर्थ है। दूसरे जिन क्षेत्रों में गंगनहर का पानी नहीं जा सकता है। खासकर प्रकृति पर निर्भर क्षेत्रों से सिंचित करने की कवायद हो रही है। उन्होंने बताया कि अब सभी क्षेत्रों में भूगर्भ जलस्तर नीचे गिर रहा है। इसी वजह से जो भी सरकारी नलकूप लगाए जा रहे हैं, वे पहले की तुलना में चालीस फुट गहरे तक लगाए जा रहे हैं।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6458281_1.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close