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न्यूज क्लिपिंग्स् | गांव के वोट से तय होती है हार या जीत

गांव के वोट से तय होती है हार या जीत

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published Published on Mar 31, 2014   modified Modified on Mar 31, 2014

झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीटें ही ऐसी हैं, जिन्हें शहरी या अर्धशहरी प्रकृति की लोकसभा सीटें कह सकते हैं. ये हैं : धनबाद, रांची, जमशेदपुर. धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंदर शहरी व अर्ध शहरी बसावटें हैं. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के विस्तार क्षेत्र में फैले विभिन्न प्रकार के उद्योगों के कारण भी वहां काफी शहरीकरण हुआ है. उसी तरह रांची लोकसभा क्षेत्र में राज्य की राजधानी होने के कारण भी शहरीकरण काफी हुआ है और यहां चुनावी जीत तय करने में शहरियों का वोट प्रतिशत महत्वपूर्ण होता है. लेकिन इन तीन सीटों को छोड़ दें तो राज्य के शेष 11 लोकसभा क्षेत्र में ग्रामीण मतदाताओं का ही बोल-बोला है. राज्य के 14 लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले 81 विधानसभा क्षेत्र में 31-32 सीटें ही ऐसी हैं, जो शहरी या अर्धशहरी प्रकृति की हैं. जबकि शेष 50 विधानसभा सीटें पूरी तरह से ग्रामीण प्रकृति की हैं या ग्रामीणों के वर्चस्व वाली हैं. इन क्षेत्रों में ग्रामीण वोटर ही निर्णायक होते हैं. झारखंड में लगभग लोकसभा सीटों पर जीत और हार गांव के वोटों से ही तय होती है. सत्ता की चाभी राज्य की लगभग साढ़े चार हजार पंचायतों व 30 हजार गांवों के पास हैं. इसके बावजूद अगर ग्रामीण मुद्दों पर पर्याप्त चर्चा नहीं होती है और गांव के विषय चुनावी मुद्दा नहीं बनते तो यह अफसोसजनक ही है.

पिछले लोकसभा चुनाव (2009) में राज्य में कुल एक करोड़ 78 लाख 84 हजार 476 मतदाता थे. अगर इसमें राष्ट्रीय औसत के बराबर यानी 14-15 प्रतिशत वोटर का इजाफा इस बार की लोकसभा चुनाव के लिए मान लिया जाये तो यह संख्या वृद्धि 25 लाख के आसपास हो सकती है. इस तरह इस बार यहां दो करोड़ से कुछ ज्यादा वोटर हो सकते हैं. राज्य में फिलहाल मतदाता सूची में नाम जोड़ने व संशोधन किये जाने की प्रक्रिया जारी होने के कारण फिलहाल इसका पक्का ब्योरा उपलब्ध नहीं है. लेकिन मोटे अनुमान के अनुसार, राज्य में इस बार दो करोड़ वोटर हो सकते हैं. राज्य के दो करोड़ वोटर में तीन चौथाई यानी डेढ़ करोड़ के आसपास ऐसे वोटर होंगे या हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र के हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण वोट का प्रतिशत शहरी वोट से अधिक होता है. गांव के लोग पूरे उत्साह से चुनावी पर्व में शरीक होते हैं और मतदान करने जाते हैं.

चुनावी राजनीति व वोटिंग पैटर्न पर अध्ययन करने वाली प्रमुख संस्था सीएसडीएस ने अपने एक अध्ययन में पाया कि बड़े महानगरों की तुलना मे छोटे शहरे व शहर व गांव की मिश्रित प्रकृति वाले इलाके में 10 प्रतिशत ज्यादा वोट होता है. इतना ही नहीं इन अर्धशहरी इलाकों की तुलना में गांव में में और अधिक वोट डाला जाता है. ग्रामीण इलाकों का शहरीकरण आज भी पंचायती राज व्यवस्था वाले इलाके में ही हो रहा है. झारखंड के धनबाद, रांची आदि ऐसे जिले हैं, जहां की कई पंचायतें बिल्कुल शहरी प्रकृति की हो चुकी हैं. ऐसे में पंचायती राज व्यवस्था के कारण भी इन इलाकों में वोटिंग प्रतिशत बेहतर होता है.

झारखंड में बढ़े हैं रिकार्ड युवा मतदाता

2009 की तुलना में 2014 में देश में लगभग 14 प्रतिशत मतदाता बढ़े हैं. 2009 में जहां 71.4 करोड़ मतदाता थे, वहीं इस बार उनकी संख्या बढ़ कर 81.45 करोड़ हो गयी है. झारखंड में भी लगभग इसी अनुपात में नये वोटर बढ़े होंगे. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि झारखंड देश के वैसे चुनिंदा राज्यों में शुमार है, जहां युवा वोटरों का प्रतिशत सबसे ज्यादा बढ़ा है. यहां नये बढ़े वोटरों में अकेले युवा (18 से 19 वर्ष के बीच) वोटरों की वृद्धि नौ प्रतिशत रही है. यह देश में सर्वाधिक है. इस तरह झारखंड में युवा वोटरों का रुझान क्षेत्र में सांसद चुनने में काफी अहम रोल निभायेगा.

 

झारखंड के लोस क्षेत्र के ज्यादातर इलाके ग्रामीण प्रभाव वाले हैं. एक नजर :

लोकसभा क्षेत्र        विधानसभा क्षेत्र

चतरा                   सिमरिया, चतरा, मणिका, लातेहार, पांकी

                               (इसमें लातेहार व चतरा कुछ हद तक शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

कोडरमा               कोडरमा, धनवार, बरकट्टा, बगोदर, जमुआ, गांडेय

                               (कोडरमा में जिला मुख्यालय होने के कारण शहरी प्रभाव वाला क्षेत्र है.)

पलामू                  डालटेनगंज, विश्रमपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा, भवनाथपुर

                           (डालटेनगंज व गढ़वा जिला मुख्यालय होने के कारण शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

लोहरदगा                मांडर, सिसई, गुमला, विशुनपुर, लोहरदगा

                            (गुमला व लोहरदगा जिला मुख्यालय होने के कारण शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

खूंटी                      खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा, कोलेबिरा

                             (सिमडेगा, खूंटी व आंशिक रूप से खरसावां शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

हजारीबाग             हजारीबाग, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, बरही

                            (हजारीबाग, रामगढ़ शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

गिरिडीह               गरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, टुंडी, बाघमारा

                       (गिरिडीह शहरी प्रभाव वाला क्षेत्र है.)

रांची                 ईचागढ़, सिल्ली, खिचरी, हटिया, रांची, कांके

                              (रांची, हटिया, कांके शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

सिंहभूम                 सरायकेला, चाईबासा, मंझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर

                       (चाईबासा, सरायकेला शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

जमशेदपुर        बहरगोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पश्चिम, जमशेदपुर पूर्वी

                      (जमशेदपुर पूर्वी व पश्चिमी, घाटशिला शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

राजमहल        राजमहल, बोरियो, बरहेट, पाकुड़, महेशपुर

                    (पाकुड़ व आंशिक रूप से राजमहल शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

गोड्डा        जरमुंडी, पोड़ैयाहाट, मधुपुर, देवघर, गोड्डा, महगामा

                     (देवघर, गोड्डा व मधुपुर शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

धनबाद        बोकारो, चंदनकियारी, सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया

                        (बोकरो, धनबाद, सिंदरी, झरिया शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)

दुमका                शिकारीपाड़ा, दुमका, नाला, जामताड़ा, जामा, सारठ

                         (दुमका, जामताड़ा शहरी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं.)


http://www.prabhatkhabar.com/news/102180-story.html


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