Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | गुजरात : क्या वोट नहीं देने वालों को होगी जेल?

गुजरात : क्या वोट नहीं देने वालों को होगी जेल?

Share this article Share this article
published Published on Nov 12, 2014   modified Modified on Nov 12, 2014
गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान को अनिवार्य किया गया है। प्रदेश सरकार भले ही इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए उठाया गया कदम करार दे, लेकिन नागरिकों के मूल अधिकारों का हवाला देते हुए इस विधेयक की आलोचना भी की जा रही है।

गुजरात स्थानीय प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक को नरेंद्र मोदी का सपना बताया जाता है। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कहा था कि सभी लोगों को अनिवार्य रूप से मतदान करना चाहिए। हम नहीं चाहते कि सौ में से सिर्फ चालीस लोग वोट करें और जिस पार्टी को बीस वोट मिल जाएं, सत्ता उसकी हो। जब हर नागरिक वोट करेगा तो मजबूत सरकारें बनेंगी और विकास की राह में कोई रोड़ा नहीं होगा। अब राज्यपाल ओपी कोहली ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल अक्टूबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में पहली बार इस कानून को अमल में लाया जाएगा।

इस बीच, चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा की यह टिप्पणी काफी अहमियत रखती है कि क्या आप वोट नहीं देने पर आठ करोड़ लोगों को जेल भेज देंगे? एक साक्षात्कार में ब्रह्मा ने कहा है कि मतदान अनिवार्य करने का गुजरात सरकार का फैसला ‘सही नहीं हो सकता' है। उनके मुताबिक, मान लिया जाए हम यह कानून पूरे देश में लागू करते हैं तो आमतौर पर 83 करोड़ मतदाताओं में से 10 फीसद वोट नहीं करते हैं। इस स्थिति में क्या आप 08 करोड़ मतदाताओं को जेल में डाल देंगे या उन पर अर्थ दंड लगा देंगे?

पहले जनप्रतिनिधियों का मतदान अनिवार्य हो

नॉन-पार्शियन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक ट्रस्टी जगदीप एस. कोचर का कहना है कि जनता पर यह कानून थोपने से पहले सरकार को जनप्रतिनिधियों के लिए मतदान अनिवार्य करना चाहिए। संसद में जनप्रतिनिधियों को यह छूट है कि वे मतदान के दौरान गैरहाजिर रह सकते हैं। ऐसे में आम नागरिकों से कैसे अनिवार्य मतदान के लिए कहा जा सकता है?

वहीं पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन का तर्क है कि गुजरात सरकार ने कुछ ज्यादा ही सख्ती कर दी है। उन्हें आशंका जताई कि इन प्रावधानों को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और वहां से रोक लगाने की प्रबल संभावना है। परासरन का कहना है कि लोकतंत्र का सीधा संबंध चयन से है। आदर्श स्थिति में हर नागरिक को मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता।

पूर्व कांग्रेस सांसद डॉ. प्रभा तावेड का कहना है कि उन मजदूरों का क्या होगा, जिन्हें रोजी-रोटी की तलाश में अपने पुश्तैनी घर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ता है। इस तरह यह कवायद पूरी तरह से अव्यव्हारिक है।


समर्थकों की दलीलें भी कमजोर नहीं

इस कानून का मसौदा तैयार करने वाले रजनीकांत पटेल और उनके अधिकारियों का मानना है कि वोट नहीं देने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने से रोका जाना चाहिए। ऐसे ही एक वरिष्ठ नौकरशाह के शब्दों में अगर नागरिकों के अधिकार हैं तो लोकतंत्र के प्रति उनकी कुछ जिम्मेदारियां भी होनी चाहिए। विधेयक के अनुसार, मतदान के दिन गैरहाजिर रहने वाले व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा।


सजा क्या हो, इस पर फैसला अभी बाकी

विधेयक में प्रावधान हैं कि जो बिना किसी वाजिब कारण के मतदान से दूर रहेंगे, उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि वोट न देने की सूरत में किस तरह की कानूनी कार्रवाई की जाएगी, इसको लेकर राज्य सरकार नियम बनाएगी और उसे राज्य विधानसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। डिफॉल्टर मतदाता को राज्य निर्वाचन आयोग के सामने इसकी सफाई देनी पड़ सकती है। चुनाव के दिन बीमार होने, या फिर राज्य या देश से बाहर होने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन अगर गैरहाजिर रहने वाले वोटर की सफाई निर्वाचन पदाधिकारी को संतुष्ट न कर सकी तो वह मुश्किल में पड़ सकता है।

एक कानून, दो पहलू

चुनाव आयोग : ‘फ्री एंड फेयर' नहीं रह जाएंगे ऐसे चुनाव - अनिवार्य मतदान की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में चुनाव आयोग से मसले पर उसकी राय पूछी थी। विभिन्न चुनावों में मतदान प्रतिशत कम होने का हवाला देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। चुनाव आयोग के मुताबिक, जबरन मतदान संविधान के खिलाफ है। मतदान का अधिकार एक संवैधानिक मामला है और इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता। देश में चुनाव प्रक्रिया का मूल मंत्र है ‘फ्री एंड फेयर'। अनिवार्यता जोड़ दी जाएगी तो ये चुनाव ‘फ्री' नहीं रह जाएंगे। आप लोगों को धक्का देकर मतदान केंद्र पर नहीं ले जा सकते हैं।

गुजरात सरकार : काले धन और चुनावी खर्चों लगेगी लगाम - गुजरात विधानसभा ने इस कानून को 19 दिसंबर 2009 को पारित किया था। उस वक्त कई लोगों को हैरत हुई थी कि तत्कालीन सीएम मोदी तब विधानसभा में मौजूद नहीं थे। उन्होंने सदन में इसे पारित किए जाने की कार्यवाही राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री के चैम्बर से देखी थी। यह बात भी कम दिलचस्प नहीं है कि इस कानून का मसौदा राज्य निर्वाचन आयोग से मशविरे के बाद खुद मोदी की सलाह पर तैयार किया गया था। विधेयक की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने तब कहा था, यह कानून काले धन और तेजी से बढ़ रहे चुनावी खर्चों पर लगाम लगाएगा।

83.41 करोड़ मतदाता थे बीते लोकसभा चुनावों में

55.38 करोड़ ने ही किया था मताधिकार का इस्तेमाल

28 करोड़ ने नहीं दिखाई थी कोई दिलचस्पी

इन देशों में अनिवार्य है मतदान

ऑस्ट्रेलिया - 18 वर्ष की आयु से ऊपर वालों के लिए 1924 से नियम लागू है। मतदान नहीं करने वालों पर आर्थिक दंड का प्रावधान। जुर्माना समय पर नहीं भरने पर कैद भी हो सकती है।

बेल्जियम - पहले 1919 में पुरूषों के लिए और फिर 1949 में महिलाओं के लिए कानून बना। यदि कई 15 साल में चार बार वोटिंग नहीं करता है तो उसका मताधिकार हमेशा के लिए छिन लिया जाता है।

अर्जेंटीना - यहां 18 से 70 वर्ष आयु वर्ग वालों के लिए अनिवार्य मतदान का नियम लागू है। उचित कारण नहीं होने पर आर्थिक दंड के साथ ही नागरिक अधिकारों से वंचित रखने का प्रावधान।

सिंगापुर - मतदान न करने का कारण बताना जरूरी। सही कारण न होने पर मतदाता रजिस्टर से नाम हटाने का प्रावधान। दोबारा नाम दर्ज कराने के लिए भुगतान।

ब्राजील - आर्थिक दंड का प्रावधान। सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी के लिए निवेदन पर रोक, कर सुविधाओं से वंचित, पासपोर्ट व पहचान पत्र प्राप्त करने में समस्या।

 



Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close