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न्यूज क्लिपिंग्स् | घटती जीडीपी, लौटती महंगाई; संभालें अपना पोर्टफोलियो

घटती जीडीपी, लौटती महंगाई; संभालें अपना पोर्टफोलियो

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published Published on Sep 2, 2013   modified Modified on Sep 2, 2013

मौजूदा वित्ता वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ की दर महज 4.4 फीसद रही है। इस बीच भारत का जीडीपी-कर्ज अनुपात घटकर 66 फीसद हो गया है। देश का चालू खाते का घाटा खतरनाक स्तरों पर बना हुआ है। इन सबके बीच महंगाई डायन ने एक बार फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है। महंगाई थामने की लगातार कोशिशों के बावजूद आरबीआइ ने अब भी इसके सामने हाथ खड़े कर रखे हैं।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) पर आधारित महंगाई दर जुलाई में लगातार दूसरे माह बढ़कर 5.97 फीसद पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई (सीपीआइ) की दर अब भी ऊंचे स्तरों पर बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने का क्रम भी थमने का नाम नहीं ले रहा। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि हो चुकी है।

मगर कभी आपने सोचा है कि ऐसे माहौल में आपके उस पैसे का क्या हाल है जो बैंक में संभाल कर रखा है? आपने जो निवेश कर रखा है, उसकी क्या स्थिति है? जवाब बिल्कुल स्पष्ट है। ऐसी बचत और निवेश दोनों पर मिलने वाला रिटर्न महंगाई की दर से कम है। इसलिए ऐसे में ऐसी रणनीति बनाएं जो न केवल इससे बचाए, बल्कि इसका फायदा उठाने में भी मदद करे। आइए देखें कि विभिन्न एसेट क्लास पर बढ़ती महंगाई का क्या असर पड़ता है।

कमोडिटी का रुख संभल कर

कमोडिटी बाजार काफी हद तक आर्थिक हालात के अनुरूप ही प्रतिक्रिया देता है। जानकारों के अनुसार, कमोडिटी में निवेश बढ़ती महंगाई के खिलाफ निवेशक को ढाल भी मुहैया कराता है, क्योंकि महंगाई दर बढ़ने पर कमोडिटीज की कीमतों में वृद्धि होती है। चूंकि इस साल मानसून बेहतर रहा है ऐसे में साल 2013 में विभिन्न एग्रो कमोडिटीज में निवेश करने पर लाभ की बेहतर संभावनाएं बन सकती हैं। अन्य कमोडिटीज में सीरिया संकट से क्रूड ऑयल में तेजी के आसार बने हुए हैं। मुद्रा बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से सोना नई ऊंचाइयों को छू रहा है। जानकार मानते हैं कि इन कारकों के बदलने से इनकी चाल उलट सकती है। इसलिए, इनसे दूर रहें। इन कमोडिटीज में निवेश से पहले बाजार का अध्ययन जरूरी है। निवेशक विभिन्न कमोडिटीज के उत्पादन, आयात-निर्यात और खपत वगैरह की जानकारी रखें। उस कमोडिटी के वैश्रि्वक उत्पादन और मांग पर भी नजर रखें तो अच्छा लाभ हासिल कर सकते हैं।

जो निवेशक स्वयं यह काम बेहतर नहीं कर सकते, वे डाइवर्सिफाइड कमोडिटी फंडों में पैसा लगा सकते हैं। बिरला सन लाइफ कमोडिटीज इक्विटी फंड, फिडैलिटी ग्लोबल रीयल एसेट्स फंड, चाइना इक्विटी ऑफशोर फंड आदि के बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इनमें निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा कमोडिटी फ्यूचर्स का विकल्प भी है, लेकिन इसके लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है और इसमें जोखिम भी अधिक होता है।

डेट में निवेश का विकल्प बेहतर

महंगाई को थामने के लिए आरबीआइ द्वारा किए गए मौद्रिक उपायों के बाद सरकारी बांडों के यील्ड में खासा उछाल आया है। मोटे तौर पर जब महंगाई बढ़ती है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना बनने लगती है। ऐसे में फिक्स्ड इनकम विकल्पों पर विश्वास करने वाले निवेशक लंबी अवधि के डेट म्युचुअल फंडों के बजाय शॉर्ट टर्म डेट एमएफ पर दांव लगा सकते हैं। बढ़ती महंगाई के दौर में अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड और शॉर्ट टर्म डेट एमएफ ने अच्छा प्रदर्शन किया है। सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं में पूरी अवधि के दौरान ब्याज दर समान रहती है। ऐसे में निवेशकों को फ्लोटिंग रेट एफडी स्कीमों में निवेश करना चाहिए। फ्लोटिंग रेट एफडी की ब्याज दरें स्थिर नहीं रहतीं और ब्याज दर के माहौल के अनुरूप इसकी दरें भी बदलती रहती हैं।

 

शेयर बाजार में हाथ जलाने से बचें

सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत एक बार फिर बढ़ा दी है। चूंकि एलपीजी, डीजल और पेट्रोल आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों में शामिल हैं, ऐसे में इनको खरीदना तो पड़ेगा ही, चाहे इनकी कीमत जितनी भी बढ़ा दी जाए। इनकी कीमत में बढ़ोतरी से लोगों की जेब हल्की होती है, लेकिन यही कदम तेल-गैस क्षेत्र की कंपनियों के लिए फायदा भी ले कर आता है। ऐसे में निवेशक इस क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में पैसा लगा सकते हैं। पिछले एक महीने में जहां निफ्टी को तकरीबन पांच फीसद का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं इसी दौरान केयर्न इंडिया के शेयर में 10.5, इंडियन ऑयल में 7 और पेट्रोनेट एलएनजी में 6 फीसद की तेजी आई है

जानकारों का मानना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में उन कंपनियों पर दांव लगाना बेहतर है जो जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएं बनाती हैं। यानी बढ़ती महंगाई का सीधा फायदा एफएमसीजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों को होता है। यहां आप खास तौर पर उन कंपनियों पर दांव लगा सकते हैं जो फूड इंडस्ट्री से संबंधित हैं। साथ ही, निवेशक उन कंपनियों के शेयरों में भी ऐसे समय में निवेश कर सकते हैं, जिन पर कर्ज नहीं है और जिनके पास नकदी की कोई समस्या नहीं है।

रीयल एस्टेट का उठाएं फायदा

बढ़ती महंगाई के माहौल में निवेश के लिहाज से रीयल एस्टेट भी एक उपयुक्त विकल्प है, क्योंकि महंगाई बढ़ने के साथ ही साथ निर्माण लागत बढ़ती है। इसके फलस्वरूप प्रॉपर्टी के दाम भी बढ़ते जाते हैं। अगले 6 माह तक अगर आपके पास पैसा है तो इसका रीयल एस्टेट की स्थिर कीमतों का फायदा उठाइए। निगोशिएट कीजिए, उम्मीद है कि आपको एकाध अच्छी डील जरूर मिल जाएगी। बढ़ती महंगाई के चलते कई शहरों में लगातार प्रॉपर्टी के दाम बढ़ रहे हैं। आप जिस घर में रह रहे हैं महंगाई की वजह से उसकी कीमत लगातार बढ़ती जाती है। यही नहीं, अगर आपने अपनी प्रॉपर्टी किराये पर दी है तो महंगाई के कारण उसके किराये में भी बढ़ोतरी हो जाती है। हालांकि इस विकल्प की समस्या यह है कि इसके लिए बड़ी पूंजी की जरूरत पड़ती है और इसमें तरलता का भी अभाव होता है। ध्यान रहे कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम और रीयल एस्टेट रेगुलेशन अधिनियम की रोशनी में आने वाले दिनों में जमीन जायदाद के दाम फिर से उछल सकते हैं।


http://www.jagran.com/finance/investment-and-tax-handle-your-portfolio-10691744.html


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