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न्यूज क्लिपिंग्स् | तब धरती के सीने को भट्टी बना देंगे पौधे!

तब धरती के सीने को भट्टी बना देंगे पौधे!

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published Published on May 18, 2010   modified Modified on May 18, 2010

मुंबई। अब तक माना जाता रहा है कि पेड़-पौधे धरती का तापमान कम रखने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि अगर वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड की अधिकता हो गई तो पेड़-पौधे धरती की सतह को सीधे गर्म कर देंगे।

बेंगलूर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस [आईआईएससी] के प्रोफेसर गोविंदसामी बाला ने बताया कि हाल ही में किए गए एक वैश्विक माडल अध्ययन में इस अवधारणा पर जोर दिया गया है कि वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की अधिकता का प्रभाव धरती पर पेड़-पौधों को भी नहीं छोड़ेगा। ऐसी स्थिति में ये पेड़-पौधे कार्बन डाइआक्साइड के 'रेडियोधर्मी' प्रभावों से बढ़ने वाले तापमान की तुलना में अधिक गर्मी उत्पन्न करेंगे। प्रोफेसर बाला इस अध्ययन के सह लेखकों में से एक हैं। यह अध्ययन उन्होंने स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के कार्नेजी इंस्टीट्यूशन फार साइंस के लांग काओ और केन कैल्डेरिया के साथ संयुक्त रूप से किया है। उन्होंने बताया कि कार्बन डाइआक्साइड ग्रीनहाउस गैस है और धरती के तापमान में वृद्धि करती है। वायुमंडल में इसकी अधिकता से पौधे इसका शोषण भी कम करते हैं और उनसे ठंडी वाष्प भी कम ही निकलती है। प्रोफेसर बाला ने कहा कि आने वाले समय में वैश्विक जलवायु परिवर्तन का पूर्वानुमान लगाने के लिए प्रयासरत वैज्ञानिकों के लिए यह अध्ययन महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन उनके जलवायु संबंधी माडलों में पादप जैवविज्ञान का महत्व रेखांकित करता है।

प्रो. बाला ने बताया कि जब गर्मी बढ़ जाती है तब शरीर से अधिक पसीना निकलता है। हमारी त्वचा के छिद्रों द्वारा पानी का अधिक वाष्पीकरण होता है जिससे हमारे शरीर का तापमान नहीं बढ़ पाता। इसी तरह जब पौधे सूर्य के फोटान का इस्तेमाल कर, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से अपने लिए भोजन तैयार करते हैं तो पत्तियों की सतह पर पाए जाने वाले छिद्रों [स्टोमेटा] से पानी का वाष्पीकरण होता है और पौधों का तापमान सामान्य बना रहता है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6422069.html


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