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न्यूज क्लिपिंग्स् | दिल्ली: मजदूर को कंपनी निदेशक बताकर किया काले धन को सफेद

दिल्ली: मजदूर को कंपनी निदेशक बताकर किया काले धन को सफेद

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published Published on Dec 6, 2016   modified Modified on Dec 6, 2016
बैंक प्रबंधकों एवं हवाला कारोबारियों की मदद से काले धन को सफेद करने के गोरखधंधे में दिहाड़ीदार मजदूरों को कंपनियों का निदेशक बना दिया गया। हवाला कारोबारियों ने ऐक्सिस बैंक में खाता खुलवाने के लिए ऐसी ही मुखौटा कंपनियों का सहारा लिया। खास बात है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब इन मजदूरों से संपर्क किया तो उन्होंने खुद के किसी भी ऐसी कंपनी का निदेशक होने बाबत अनभिज्ञता जताई। ऐक्सिस बैंक के दोनों प्रबंधकों को 39.80 करोड़ रुपये के कालेधन को सफेद करने के बदले एक-एक किलोग्राम सोना बतौर रिश्वत दिया गया था। ऐक्सिस बैंक में कार्यरत एंट्री ऑपरेटर इस गोरखधंधे की पहली कड़ी बना।

ईडी के मुताबिक, काला धन सफेद करने वालों ने सबसे पहले हवाला कारोबार के आरोपी राजीव सिंह से संपर्क साधा। पेशे से राजीव कर सलाहकार है। वह लक्ष्मी नगर में ऑफिस चलाता है। उसने अपनी पांच शेल कंपनियां रजिस्टर कराई हुई हैं। नोटबंदी के बाद कई लोगों ने उससे पुराने नोटों को चलाने के लिए बातचीत की। राजीव ने ऐक्सिस बैंक के एक ऑपरेटर को अपने जाल में फंसा लिया। हालांकि ऑपरेटर ने कहा कि वह 15 प्रतिशत कमीशन लेगा। सौदा तय हो गया। इसके बाद उसने बैंक प्रबंधक शोभित सिन्हा और विनीत गुप्ता से बात कर ली।

फिलहाल राजीव ईडी की गिरफ्त से बाहर है। उसकी तलाश की जा रही है। आरोप है कि उसने कई बड़े व्यापारियों के काले धन को सोने के रूप में सफेद किया है। सोमवार को तीस हजारी कोर्ट ने दोनों आरोपियों को सात दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

 

35 लाख में सोना खरीदा, उसे 45 लाख में बेच दिया
राजीव की मदद से काले धन को सफेद करने की चाहत रखने वाले लोगों ने पुराने नोटों से उंचे दाम पर सोना खरीदा। कई आभूषण विक्रेता पहले से ही इन लोगों के संपर्क में थे। इन्होंने पुराने नोट लेकर 45 हजार से 50 हजार रुपये प्रति दस ग्राम सोना बेचा। इसमें आयकर की जानकारी रखने वाले लोगों की मदद भी ली गई। बाद में इस धन को बैंकिंग चैनल के जरिए मनी लांड्रिंग से आगे भेज दिया गया। नकली या मुखौटा कंपनियों के जरिए सरार्फा व्यापारियों को आरटीजीएस के मार्फत भुगतान कर दिया जाता था। कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने वास्तविक बाजार रेट पर सोना खरीदकर उन लोगों को दे दिया जाता, जिनसे अग्रिम राशि ली गई थी।

 

ईडी की जांच में सामने आया है कि मुखौटा कंपनियों के नाम से तीन बैंक खाते खोले गए। इन खातों में दो-तीन के भीतर 39.80 करोड़ रुपये जमा करा दिए गए। मोहित ने इन खातों की मदद से सोने का आयात-निर्यात करने वाले बड़े व्यापारियों से बात की। उसने आरटीजीएस से 30 से 32 लाख रुपये प्रति किलो के हिसाब से कानूनी तौर पर सोना खरीद लिया। इसके बाद उस सोने की डिलीवरी लेकर राजीव के कहने पर मोहित ने उन व्यापारियों को 45 लाख रुपये प्रति किलो के हिसाब से वह सोना बेच दिया।

 

करीब 23 लोगों ने राजीव से संपर्क किया था 
सूत्रों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद करीब 23 व्यापारियों ने काले धन को सफेद कराने के लिए राजीव से संपर्क किया था। इस धंधे में मोहित ने भी राजीव का साथ दिया। फिलहाल ये दोनों गिरफ्तार नहीं हो सके हैं। ईडी ने इनके खिलाफ पीएमएलए अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि मुखौटा कंपनियां या शेल कंपनी कोई वास्तविक कारोबार नहीं करती। उनका सारा कारोबार हवाला के मकसद से केवल कागजी होता है।

 


http://www.livehindustan.com/news/ncr/article1-make-worker-company-director-nad-convert-black-money-to-white-621533.html


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