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न्यूज क्लिपिंग्स् | देश का बदलता मौसमः बाढ़, सूखा और तूफान का कहर

देश का बदलता मौसमः बाढ़, सूखा और तूफान का कहर

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published Published on Dec 2, 2015   modified Modified on Dec 2, 2015
जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित विश्व समुदाय पेरिस में इसका कुछ न कुछ हल ढूंढने में लगा है ताकि पृथ्वी को उसके दुष्प्रभावों से बचाया जा सके। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से भारत भी अछूता नहीं है। कभी बेमौसम बारिश, सूखा, तूफान और कभी बाढ़ से देश को दो चार होना पड़ा है। फिलहाल मंगलवार देर रात से हुई बारिश से चेन्नई जलमग्न है। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सेना के जवानों को मदद के लिए लगाया है।

मौसम विभाग और सीएसई के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले तीन साल में मौसम के बदलते रुख के चौंकाने वाले मामले सामने आते हैं। अगर हम महीने के आधार पर देखें तो जून 2015 में गुजरात को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा, तो वहीं अगस्त 2015 में ही असम में आई बाढ़ ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया। ये दोनों राज्य जहां बाढ़ से जूझ रहे थे तो वहीं नवंबर 2015 में उत्तर प्रदेश को सूखे की मार झेलनी पड़ी।

अगर हम 2013 से 2015 के बीच की स्थिति पर नजर डालें अधिकतर राज्यों को बाढ़, सूखा या तूफान के कहर का सामना करना पड़ा है।

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में सितंबर 2014 में भीषण बाढ़ ने तबाही मचाई तो जून 2013 में देवभूमि उत्तराखंड में भी बाढ़ का तांडव नजर आया।

फसलों के उत्पादन में अग्रणी हरियाणा के किसानों को 2014 के जून से अगस्त के बीच सूखे की मार झेलनी पड़ी। मरूधर के नाम से जाने जानेवाले राजस्थान में जून 2013 में बाढ़ आ गई। गुजरात को पिछले तीन साल में सूखा और बाढ़ दोनों का मुकाबला करना पड़ा। मार्च 2013 और 2014 के मई जून में सूखा पड़ा तो जून 2015 में बाढ़ का सामना करना पड़ा।

मध्य प्रदेश फरवरी मार्च 2013 में भारी मानसून वर्षा से प्रभावित रहा तो वहीं, अगस्त सितंबर 2014 में यूपी में सूखे के हालात रहे। नवंबर 2015 में भी यहां के किसानों पर सूखे की मार पड़ी। बिहार में जुलाई 2013 में बाढ़ ने तबाही मचाई तो अगस्त सितंबर में सूखे से। फिर अगस्त 2014 में बाढ़ ने पीछा नहीं छोड़ा।

महाराष्ट्र का हाल कुछ इनसे अलग नहीं है। जून सितंबर 2013 में सूख पड़ा तो अगस्त में बाढ़ आई। इतना ही नहीं, फरवरी और मार्च में ओलों ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कर्नाटक को मई 2014 में सूखे का सामना करना पड़ा। तटवर्ती क्षेत्र केरल में अप्रैल जून 2013 में सूखा पड़ गया तो जुलाई 2014 में भारी मानसूनी बारिश हुई। ऐसे ही तमिलनाडु में जनवरी फरवरी 2013 में सूखे से हाल बेहाल रहा।

समुद्र तटीय राज्य आंध्र प्रदेश को भी जनवरी 2013 में सूखे का मुकाबला करना पड़ा, जबकि 2013 के ही मई, अक्टूबर और नवंबर तथा अक्टूबर 2014 में समुद्री तूफान को झेलना पड़ा। इसी तरह ओडिशा में अक्टूबर 2013 में समुद्री तूफान से जनजीवन प्रभावित हुआ। जुलाई 2014 में बाढ़ और अक्टूबर में समुद्री तूफान आया।

अक्टूबर 2013 और अगस्त 2014 में पश्चिम बंगाल में बाढ़ का कहर रहा, जबकि अप्रैल 2014 में तूफान ने नींद उड़ा दी। त्रिपुरा को अप्रैल 2014 में तूफान का सामना करना पड़ा। मेघालय में अप्रैल 2014 में तूफान आया तो सितंबर में बाढ़। पिछले तीन सालों में असम बाढ़ से त्रस्त रहा। जुलाई 2013, सितंबर 2014 और अगस्त 2015 में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित हुआ।


http://www.livehindustan.com/news/national/article1-last-three-years-weather-patterns-in-india-506387.html


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