Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | धन के पर्व पर निवेश की बात- आलोक पुराणिक

धन के पर्व पर निवेश की बात- आलोक पुराणिक

Share this article Share this article
published Published on Nov 6, 2018   modified Modified on Nov 6, 2018
सेंसेक्स, यानी मुंबई शेयर बाजार का संवेदनशील सूचकांक, जिसमें देश की शीर्ष तीस कंपनियों के शेयरों के भावों का अंदाज मिलता है। अगर किसी ने करीब एक साल पहले के मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक में पैसे लगाए हों, तो वह करीब तीन प्रतिशत के रिटर्न पर बैठा है। यह रिटर्न बहुत ही खराब माना जाएगा। हाल के कुछ महीने शेयर बाजार के लिए बहुत खराब बीते हैं, क्योंकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारी अनिश्चितता, कच्चे तेल के भावों में उछाल, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और चीन-अमेरिका की आपसी कारोबारी मारधाड़ के चलते ग्लोबल निवेशक सहमे हुए हैं। तीन प्रतिशत का रिटर्न एक साल में, यह आंकड़ा उनके लिए निराशाजनक हो सकता है, जो शेयर बाजार को एक साल का खेल समझते हैं। पर सेंसेक्स आधारित निवेश में जिसने पांच साल तक पैसा लगाकर रखा, उसका रिटर्न हर साल का करीब 11 प्रतिशत रहा है। इसी तरह दस साल वाले का 14 प्रतिशत का रहा है, यानी सेंसेक्स ट्वंटी-20 का गेम नहीं है, यह टेस्ट मैच सरीखा मामला है। इसके मुकाबले सोने की चमक बहुत शानदार दिखाई देती है एक साल के हिसाब से। लेकिन सिर्फ एक साल के हिसाब से ही। दीर्घकाल की अवधि का विश्लेषण करें, तो सूरत दूसरी दिखाई देने लगती है।


धनतेरस से धनतेरस तक अगर कोई सोने में पैसा लगाए रहा, तो उसके एक साल में रिटर्न करीब आठ प्रतिशत आए। यह आठ प्रतिशत का रिटर्न सेंसेक्स के तीन प्रतिशत रिटर्न के मुकाबले शानदार लग सकता है। पर यह सारी शान एक कोने में तब बुझी हुई दिखाई देती है, जब सोने पर आधारित निवेश के पांच साल के आंकडे़ पर निगाह पड़ती है। पिछले पांच वर्षों में सोना हर साल एक प्रतिशत का रिटर्न देने में भी कामयाब नहीं हुआ है। सोने के भाव हाल में बढ़ते इसलिए दिखाई दिए, क्योंकि विश्व बाजार में थोड़ी अनिश्चितता आई है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की शुरुआत के बाद ग्लोबल बाजारों में अनिश्चितता का दौर रहा है। बाजार जब भी अनिश्चितता के दौर से गुजरते हैं, सोने के भाव बढ़ते हैं। सोना ऐसा निवेश है, जो मुश्किल से अपनी मूल्यवत्ता बचाए रखता है, बढ़ा नहीं पाता। सोने की चमक अब फीकी होगी, ऐसे आसार हैं। ईरान का कच्चा तेल भारत तक आसानी से पहुंच पाएगा। चीन और अमेरिका के बीच आर्थिक मारधाड़ कम होने की उम्मीद है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जब भी आश्वस्ति का माहौल होता है, सोने के भाव कम होते हैं। सोने के भावों में निकट भविष्य में कमजोरी के संकेत हैं। सोना दरअसल निवेश का माध्यम नहीं है, सामाजिक दिखावे का माध्यम है, यह बात सोने पर आधारित निवेश के विश्लेषण से साफ होती है।


कच्चे तेल के भाव करीब एक साल में लगभग 23 प्रतिशत बढ़े हैं। यह बहुत खतरनाक आंकड़ा है। सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए नहीं, राजनीतिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए भी। कच्चे तेल के बढ़ते भावों का मतलब है कि लगभग हर चीज महंगी होगी। कच्चे तेल के भाव बढ़ने के आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं। अमेरिका ईरान पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रहा है। ईरान इस बाजार का बड़ा खिलाड़ी है। हाल के दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की चमक जो थोड़़ी फीकी दिखी है, उसकी मूल वजह विश्व बाजार में है। कच्चे तेल के भाव लगातार कम हों, ऐसी प्रार्थना सिर्फ कारोबारियों को नहीं, सत्तारूढ़ नेताओं को भी करनी चाहिए। कच्चे तेल के भाव बिना मांगे वरदान जैसे हो जाते हैं और बिना किसी पाप के शाप जैसे भी हो जाते हैं। मोदी सरकार ने करीब चार साल कच्चे तेल के भावों की कमजोरी का खासा फायदा उठाया, मगर अब कच्चे तेल के भावों ने अपनी बदली रंगत दिखानी शुरू कर दी है। कच्चे तेल के भावों से मुकाबला संभव नहीं। आर्थिक हकीकतों को झेलना पड़ता है, कच्चे तेल के भाव ऐसी ही हकीकत हैं। इसकी काट उन देशों के पास भी नहीं है, जहां कच्चा तेल पैदा ही नहीं होता। कच्चा तेल किसी भी सरकार का खेल खराब कर सकता है और बना भी सकता है। भारतीय राजनीति ने कच्चे तेल के पक्के खेल कई बार देखे हैं।

डॉलर एक साल में रुपये के मुकाबले करीब 13 प्रतिशत बढ़ गया है। यानी खरीदे जाने वाले कच्चे तेल के भावों में करीब 13 प्रतिशत का इजाफा बैठे-बिठाए हो गया है। जो चीज 100 रुपये की पड़ती थी, अब विदेश से उसका आयात 113 रुपये का पड़ रहा है। ऐसी सूरत में उन कारोबारियों को तो फायदा हो रहा है, जो डॉलर में कमाते हैं। पहले वे 100 रुपये कमाते थे, अब बैठे-बिठाए 113 कमा रहे हैं। पर भारतीय अर्थव्यवस्था में आयात ज्यादा है, निर्यात कम, इसलिए पूरी अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत होता डॉलर परेशानी का कारण है। ट्रंप को ग्लोबल स्तर पर चाहे जितनी आलोचना का सामना करना पड़े, सच यह है कि उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया है। आंकड़ों के हिसाब से देखें, तो कई दशकों में अमेरिका में बेरोजगारी सबसे कम स्तर पर है। अमेरिकी कंपनियां आक्रामकता से चीनी कंपनियों से भिड़ रही हैं। अर्थव्यवस्था ठोस आंकड़ों से चलती है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव से पहले तरह-तरह की आशंकाएं व्यक्त की गई थीं कि उनके आने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार डूब जाएगा। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार ने डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत ही किया। हालांकि ट्रंप की नीतियां चीन और भारत समेत कई देशों के हित में नहीं हैं।

अगले साल की धनतेरस काफी हद तक अलग होगी। लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके होंगे। राजनीति चाहे जो भी हो, लेकिन अर्थव्यवस्था के ये आंकड़े हर सरकार पर असर डालते हैं। कच्चे तेल के भाव अगर लगातार कमजोर हुए, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और अगर कच्चे तेल के भाव मजबूती का रुख दिखाएंगे, तो भारत की अर्थव्यवस्था अगली धनतेरस तक कमजोर स्थिति में होगी, सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो। कच्चे तेल की कीमतों के असर सरकार निरपेक्ष होते हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं)


https://www.livehindustan.com/blog/story-economic-expert-alok-puranik-article-in-hindustan-on-05-november-2253944.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close