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न्यूज क्लिपिंग्स् | नए मंत्रालय पर सालाना आठ करोड़ खर्च पर वहां नहीं जाते मंत्री- अरविन्द पाण्डेय

नए मंत्रालय पर सालाना आठ करोड़ खर्च पर वहां नहीं जाते मंत्री- अरविन्द पाण्डेय

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published Published on Jun 30, 2014   modified Modified on Jun 30, 2014

रायपुर. नया रायपुर का नया मंत्रालय। छत्तीसगढ़ की सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर हर जगह पेश करने का प्रयास करती है लेकिन उसी मंत्रालय में राज्य के मंत्री बैठने से परहेज करते हैं। राज्य के ज्यादातर मंत्री मंत्रालय में कामकाज निपटाने के बजाय वहां से फाइलें अपने बंगलों में बुला लेते हैं और सरकारी कामकाज निपटाते हैं। मंत्रालय के रखरखाव पर सरकार हर साल आठ करोड़ रुपए खर्च कर रही है और आलम यह है कि कोई मंत्री एक महीने में दो या तीन बार ही मंत्रालय के अपने दफ्तर में पहुंच रहे हैं। मंत्रालय में मंत्रियों के आफिस हमेशा सूने रहते हैं। जब कभी कोई मंत्री पहुंचते हैं तो उनसे मिलने वाले पहुंच जाते हैं। अन्यथा उनके स्टॉफ के लोग ही वहां बैठे रहते हैं।

यही वजह है कि महानदी मंत्रालय के मिनिस्टर ब्लाक में सालभर में औसतन 25 से 30 दिन ही चहल-पहल रहती है। मंत्रियों के द्वारा कामकाज बंगले में ही निपटाए जाने से मंत्रालय में केवल अफसर और उनसे मिलने वाले पहुंचते हैं। इसके विपरीत जब शास्त्री चौक के डीकेएस भवन में मंत्रालय लगता था तो कोई न कोई मंत्री मंत्रालय में मौजूद रहता था। मंत्रालय में सबसे अधिक जाने वालों में केवल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का नाम है।

सीएम रायपुर में रहे तो मंत्रालय जरूर जाते हैं। कई मंत्री इस बारे में कुछ बोलने से बचते रहे, लेकिन ज्यादातर का यह कहना है कि जब कैबिनेट की बैठक होती है या फिर कोई और जरूरी काम तभी वे मंत्रालय जाना पसंद करते हैं। वरना आने-जाने में लगने वाले समय को बचाने के लिए वे बंगलों में ही काम करना पसंद करते हैं।

साफ सफाई पर ही तीन करोड़ हो रहे हैं खर्च

मंत्रालय के मेंटेनेंस पर राज्य शासन साल में आठ करोड़ रुपए खर्च करती है। इनमें साल के साढ़े तीन करोड़ रुपए साफ -सफाई और पार्कों के रखरखाव आदि पर खर्च किया जाता है, जबकि हर महीने 32 लाख रुपए बिजली बिल पर और एक करोड़ रुपए अन्य चीजों पर खर्च किए जाते है। मंत्रालय के मेंटेनेंस का काम एक निजी कंपनी को दिया गया है। उस कंपनी के 249 कर्मचारी प्रतिदिन वहां काम करते हैं।

सब कुछ है आलीशान दफ्तर में

राज्य शासन ने उन्हें मंत्रालय में बैठने के लिए एक आलीशान ऑफिस मुहैय्या कराया है। इसमें उनके बैठने व आराम करने से लेकर खाने-पीने की सारी व्यवस्थाएं है। यहीं नहीं, मंत्री जी कार्यालय आए या फिर न आए, लेकिन दिन दो बार एसी की कूलिंग जरूर जांची जाती है। वहीं सफाई कर्मी से लेकर चपरासी तक सभी दिन भर साफ-सफाई और सोफे को झाड़ते-पोछते देखे जाते हैं। प्रत्येक मंत्री को कार्यालय के लिए एक क्लास वन ऑफिसर मिलता है,जो विशेष सहायक होता है। इसके अतिरिक्त एक निज सचिव होता है, जो क्लास टू अधिकारी होता है,साथ ही तीन क्लर्क भी मिलते है। वहीं प्रत्येक मंत्रियों को मंत्रालय स्थिति कार्यालय के मेंटीनेंस सात प्यून मिलते है। इसके साथ ही टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट, प्रिंटर जैसी तमाम सुविधाएं भी कार्यालय को दी जाती है। इन पर ही हर महीने करीब पांच से छह लाख रुपए खर्च होते हैं।

क्या कहना है मंत्रियों का

सुविधा के मुताबिक जाते हैं : पैकरा

गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि वे मंत्रालय में सुविधा के मुताबिक ही बैठते हैं। ज्यादातर समय दौरे पर रहते है। बावजूद इसके काम -काज कोई प्रभावित नहीं होता है। विभागीय मंत्री के साथ प्रभारी मंत्री का भी काम है। इस कारण जिले को भी देखना पड़ता है।

जब बैठक होती है तब जाते हैं: मोहिले

खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहिले ने कहा कि वे तो बंगले में ही लोगों से मिलते हैं। मंत्रालय में उनके पीए रहते हैं, जो वहां आने वाले लोगों से मिलते हैं। मंत्रालय तभी जाते हैं, जब कोई बैठक होती है।


http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-eight-crore-spent-annually-on-ministry-4663573-NOR.html


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