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न्यूज क्लिपिंग्स् | नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

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published Published on Jan 28, 2020   modified Modified on Jan 28, 2020

जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही हैसरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए  हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में  पिछले 45 वर्षों में  सर्वाधिक बेरोजगारी की  दर  हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो  अंको  पर पहुंच गई है जो पिछले  71 महीनो  में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं के आंकड़ों में वार्षिक वृद्धि दर 5प्रतिशत आंकी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए  की  नरेगा अच्छी तरह से चले और नरेगा में सुधार के लिए अतिरिक्त  संसाधन उपलब्ध कराना अर्थव्यवस्था के लिए मददगार साबित  होगा। नरेगा मजदूरी  से ग्रामीण क्षेत्रों में डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी। यह बदले में मांगों को बढ़ावा देगा और खपत भी बढ़ाएगा। हालाँकिबीजेपी सरकार जानबूझकर इस कार्यक्रम को साल दर साल नज़रअंदाज़ कर रही है।

 

 फण्ड की अनुपलब्धता : 17 जनवरी 2020 के रिपोर्ट के हिसाब से महिना का कुल नरेगा  मजदूरी  का 93प्रतिशत  रुका हुआ थ (नीचे स्क्रीनशॉट देखें)। हर वित्तीय वर्षतीसरी क्वार्टर यानि के अक्टूबर महीने सेनरेगा के मजदूरी  राशि  की आवंटन  रुक जाती  है । नतीजतनकाम धीमा हो जाता है और भुगतान में काफी  देरी होती है। हर सालनरेगा बजट का लगभग 20प्रतिशत का उपयोग पिछले वर्षो की  बकाया राशि की भुगतान  करने में खर्च किआ  जाता है। यह चक्र जारी रहता है और वित्तीय वर्ष की अंतिम क्वार्टर यानि जनवरी महिना से मार्च  महिना,   जब नरेगा  में काम करने की मूल   समय है , तभी  भुगतान में देरी के कारण मजदूरों  को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता  है। एनएसएम (नरेगा संघर्ष मोर्चा) लगातार मांग करता रहा है कि नरेगा के लिए बजटीय आवंटन प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए 100 दिनों के काम की कानूनी गारंटी और काम के समय पर भुगतान की पर्याप्त गारंटी को पूरा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।

https://lh3.googleusercontent.com/3YAN40kt76rGhik9Me_C8lFH9uOixGH_n0_RvZPZQXlcDOtT2dX4_79wP81dyP0L7OXmS8Ejq8IhJvx_P4wh4zGAVVJM3u1wI3bBdDvj7buFd0bIcapcYCBC3NpXVL7LMX-WsSt7

मजदूरी  भुगतान और मुआवजे में देरी: जबकि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने समय पर मजदूरी  भुगतान में प्रगति करने का दावा किया है पर असल में मजदूरी  भुगतान में लम्बी  देरी अभी भी कार्यक्रम  को प्रभावित करती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के पूर्व  सचिव ने एक हाल के लेख में कहा कि  75% भुगतान  15 दिनों के अन्दर कर  दिया जाता हैलेकिन ऊपर दिए गए स्नैपशॉट से पता चलता है कि  अक्टूबर में  पैसा  रोक दिए जाने  के बाद  से यह अनुपात काफी ज्यादा गिर जाने की संभावना है । इसके अतिरिक्तभुगतान करने में केंद्र द्वारा की गई देरी की गणना  तो हो रही है पर  क्षतिपूर्ति राशि  की गणना के लिए  इस विलम्ब को जोड़ा नहीं जाता है । केंद्र को उन एजेंसियों पर जवाबदेही तय करनी चाहिए जो देरी का कारण बनती हैं और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूरों  को उनके बैंक खाते में मजदूरी  जमा  होने तक की  देरी की पूरी अवधि के लिए मुआवजा दिया जाए।

 

 मजदूरी दर नहीं बढ़ना : नरेगा में मजदूरी  दरों को नहीं बढाने  का मुद्दा नया नहीं है। नरेगा मजदूरी दर को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- कृषि मजदूर ( सी पि आई – एल) के बदले  उपभोक्ता मूल्य सूचकांक - ग्रामीण (सीपीआई-आर) से जोड़ने का   सरकारी निर्णय   एक स्वागत योग्य कदम है। हालाँकि,सरकार  पूर्व में कई बार ऐसी घोषणा कर चुका है और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके अलावासूचकांक में बदलाव से नरेगा मजदूरी दरो  में बहुत कम ही बढ़ोतरी  होगी  क्योंकि वे वर्तमान बिभिन्न राज्यों की वर्तमान  मजदूरी दर बेहद  कम हैं। यदि राज्य में नरेगा मजदूरी दर  न्यूनतम मजदूरी  के बराबर हो तो नया सूचकांक  से लाभ  होगा।

 

ग्राम पंचायत द्वारा प्लानिंग को  को सुदृढ़ करना: अधिनियम में यह प्रावधान किया गया था कि  प्लानिंग  और स्थानीय जरूरतों के आधार पर किस प्रकार की  योजनायें लिया जा सकता है  इस में ग्राम पंचायतो की  महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी । नरेगा लागू होने के इतने साल बाद आज स्थिति यह है के  योजनाये अभी भी  केंद्र सरकार द्वारा  तय किया जाता है । यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्लानिंग  प्रक्रिया में पंचायतो की भूमिका सुनिश्चित किआ जाए और किस प्रकार की योजनाये लिया जाना है  इसका निर्णय ग्रामीण करें ना की ऊपर बैठे पदाधिकारी।

 


 

Payments delay from centre as on 5th january

 

State

100%  FTOs pending from

Andhra Pradesh

21st November

Assam

25th December

Bihar

27th December

Chhatisgarh

18th December

Gujarat

27th December

Haryana

26th November

Himachal Pradesh

17th December

Jharkhand

12th December

Karnataka

9th october

Kerala

29th July

Madhya Pradesh

16th December

Maharashtra

31st December

Meghalaya

28th November

Mizoram

28th December

Odisha

6th November

Punjan

29th October

Rajasthan

10th Ocotber

Sikkim

4th December

Tamil Nadu

6th October

Tripura

19th December

UP

12th December

Uttarakhand

22nd December

WB

18th December

Puducherry

19th September

*All payments are still pending from the centre

 

अधिक जानकारी के लिएnrega.sangharsh.morcha@gmail.com पर लिखें या अभय कुमार (9845371493), अनुराधा तलवार (9433002064), अरुंधति धुरु (9919464444), गंगारामपाइकरा (9977462084), कामायनी स्वामी (9771950248), मुकेश निर्वासित (9468862200),  नीताहार्डिकर (9825412387), निर्मलातम्मिनी (9848930031) या ऋचा सिंह (9452232663 को नरेगा संघर्ष मोर्चा की ओर से से संपर्क करें। 


Press release by NREGA Sangharsh Morcha dated 27 January, 2020


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