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न्यूज क्लिपिंग्स् | पूरे देश में रोक और राजस्थान में जीएम सरसों का फील्ड ट्रायल मंजूर!

पूरे देश में रोक और राजस्थान में जीएम सरसों का फील्ड ट्रायल मंजूर!

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published Published on Mar 5, 2012   modified Modified on Mar 5, 2012
जयपुर.पूरे देश में जहां जिनेटिक मॉडिफाइड (जीएम) फसलों के ट्रायल पर 15 राज्यों ने पूरी तरह रोक लगा दी है, वहीं राजस्थान सरकार ने तीन जिलों में बीटी सरसों के फील्ड ट्रायल को मंजूरी दे दी है। सरकार की मंजूरी के बाद श्रीगंगानगर, अलवर के नौगांवा और भरतपुर के कुम्हेर कृषि विज्ञान केंद्रों पर ट्रायल के तौर पर फसल भी लगा दी गई जो इस माह पकने को तैयार है। राज्य सरकार की ट्रायल की इस मंजूरी के बाद कृषि विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फोर जिनेटिक मैन्यूपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट-स को तीन जिलों में फील्ड ट्रायल की मंजूरी दी गई है। केंद्र की जिनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी की हरी झंडी के बाद सरकार चाहे तो फील्ड ट्रायल की मंजूरी देने से रोक सकती थी। केंद्र ने जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल को मंजूरी देने या नहीं देने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है। विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय और जैव विविधता सहित कई खतरों के आधार पर जीएम फसलों को हानिकारक बताया है।

यहां चल रहे हैं फील्ड ट्रायल

बीटी सरसों के फील्ड ट्रायल कुम्हेर, श्रीगंगानगर और अलवर के नौगावां कृषि विज्ञान केंद्रों पर चल रहे हैं। कुम्हेर कृषि विज्ञान केंद्र पर सरसों की बीएमएच 11 और बाकी दो केंद्रों पर आरएल =1359 किस्म की 6 अलग अलग वैराइटी पर ट्रायल चल रहा है। फील्ड ट्रायल के तौर पर हर केवीके पर 45 वर्गमीटर के 30 प्लॉटों पर सरसों उगाई गई है।इस माह तक यह फसल पक कर तैयार हो जाएगी।

इतना बड़ा फैसला, न कृषि मंत्री को पता न अफसरों को :

जीएम सरसों पर ट्रायल की सरकारी मंजूरी मिले महीनों बीत जाने के बावजूद कृषि विभाग को इस फैसले की जानकारी तक नहीं है। कृषि मंत्री हरजीराम बुरड़क से जब ट्रायल की मंजूरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, बीटी सरसों के बारे में जानकारी नहीं है, मुझसे नहीं पूछा गया।

नीचे के स्तर पर फैसला कर लिया होगा, सरकार के स्तर पर फैसला होता तो मुझे जरूर जानकारी होती। कृषि विभाग के जिम्मेदार अफसरों को भी न इस फैसले के तकनीकी पहलुओं की कोई जानकारी है और न इसके परिणामों के बारे में कोई जानकारी है। कृषि आयुक्त भवानी सिंह देथा ने भी मंजूरी के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया।

बिहार में खड़ी फसल पर चला दिए थे ट्रैक्टर :

बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़ सहित 15 प्रदेशों ने जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। बिहार में बीटी मक्का के फील्ड ट्रायल बिना सरकार की मंजूरी के करने पर खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलवाकर नष्ट करवा दिया था और इस तरह के ट्रायल पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। राजस्थान सरकार के इस फैसले पर विशेषज्ञों ने कई सवाल उठाए हैं।

इनका कहना है:

बीटी सरसों का ट्रायल चल रहा है। कुम्हेर केवीके में 45 वर्ग मीटर के 30 प्लॉट में सरसों की बीएमएच=11 किस्म लगाई हुई है और मार्च के अंतिम सप्ताह तक यह पक कर तैयार हो जाएगी। यह ट्रायल 6 वैरायटियों पर चल रहा है। अलवर के नोगावां और गंगानगर के कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी इसी आकार के प्लॉटों में ट्रायल के तौर पर फसल लगी हुई है।

अमर सिंह, प्रभारी वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, कुम्हेर (भरतपुर)

एक्सपर्ट व्यू :

बीटी सरसों के ट्रायल को मंजूरी देना गलत फैसला है। मुझे लगता है कि राजस्थान सरकार को इस खतरनाक फैसले के परिणामों के बारे में पता ही नहीं है। राजस्थान में सरसों के उत्पादन की तो कोई समस्या ही नहीं है। सरकार को मार्केटिंग पर जोर देने की जरूरत थी, यह काम तो किया नहीं और अब बीटी सरसों के ट्रायल जैसे विनाशकारी ट्रायल को मंजूरी दे रही है। डिफेक्टो स्टेज पर जीन के पर्यावरण में फैलने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इनके पास कोई व्यवस्था ही नहीं है।

देविंदर शर्मा, कृषि विशेषज्ञ, नई दिल्ली

15 राज्य सरकारों ने जीएम फसलों के ट्रायल पर बिल्कुल रोक लगा दी है। राजस्थान सरकार के पास ऐसी कौनसी एडवांस तकनीकी विशेषज्ञता और हाईटेक निगरानी प्रणाली है जिसके आधार पर उन्होंने ट्रायल को मंजूरी दी है। ट्रायल के दौरान कंटेमिनेशन रोकने और पर्यावरण के खतरे को रोकने के लिए भी कोई मैकेनिज्म नहीं है। यह खतरनाक फैसला है।

कविता कुरुगंटी, संयोजक, अलायंस फोर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा), हैदराबाद
 
 

http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-stop-in-the-country-and-in-rajasthan-field-trials-of-gm-mustard-approved-2940577.html


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