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न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहार में क्यों निशाने पर हैं आरटीआई कार्यकर्ता?-- उमेश कुमार राय

बिहार में क्यों निशाने पर हैं आरटीआई कार्यकर्ता?-- उमेश कुमार राय

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published Published on Jan 16, 2019   modified Modified on Jan 16, 2019
पटना: 40 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता नारायण गिरि बिहार के रोहतास ज़िले के नटवार थाना क्षेत्र के बरुना गांव में कच्चे घर में रहते हैं. वह आरटीआई के ज़रिये पंचायत स्तर पर होने वाली अनियमितताओं को उजागर करते हैं और इस कारण उन पर जानलेवा हमला भी हो चुका है.

नारायण के परिवार में माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चे हैं. इनकी ज़िम्मेदारी उनके सिर पर है. इसके बावजूद वह जोख़िम उठाकर लगातार आरटीआई आवेदन डाल रहे हैं.

हाल ही में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ने के बाद वह अतिरिक्त सतर्कता बरतने लगे हैं.

वह कहते हैं, ‘अब पहले जितना लापरवाह नहीं रहता. कोई फोन कर बुलाता है तो उससे मिलने जाने से पहले एहतियात बरतता हूं. अगर किसी निजी काम से बाहर निकलता हूं तो गिने चुके लोगों को ही बताता हूं और अगर किसी ऐसी जगह जा रहा हूं, जहां किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका है तो अपने साथ एक और व्यक्ति को ले जाता हूं.'

नारायण गिरि वर्ष 2008 से ही आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं जुटाने में लगे हुए हैं.

उन्होंने बताया, ‘मैं अक्सर समाचारों में सुनता था कि आरटीआई के ज़रिये कैसे घोटाले को उजागर किया गया. उसी वक़्त मैंने तय किया था कि मैं भी आरटीआई को हथियार बना कर विभिन्न घोटालों को सामने लाऊंगा.'

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


http://thewirehindi.com/68735/rti-activists-murder-in-bihar-nitish-kumar/


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