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न्यूज क्लिपिंग्स् | भारत की खरबों डॉलर की संपदा झुग्गियों में बंद पड़ी है, उन्हें मुक्त करने का समय आ चुका है

भारत की खरबों डॉलर की संपदा झुग्गियों में बंद पड़ी है, उन्हें मुक्त करने का समय आ चुका है

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published Published on Jul 25, 2019   modified Modified on Jul 25, 2019
भारत में हर साल रोज़गार की लाईन में लगने वाले 70 से 80 लाख लोगों को नौकरी देने के लिए जीडीपी की वृद्धि दर को 10 प्रतिशत से ऊपर ले जाना होगा और इसके लिए चाहिए अगले पांच वर्षों तक सालाना एक खरब डॉलर का निवेश. इतनी बचत करना और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी, इस पूंजी का उद्यमियों द्वारा लाभदायक इस्तेमाल सुनिश्चित करना एक दुष्कर कार्य है.


लेकिन जैसा कि पेरू के अर्थशास्त्री हर्नांडो डि सोटो के विचारों के सहारे हमने नीचे प्रदर्शित किया है. इस आवश्यक पूंजी का एक बड़ा हिस्सा, कोई 2-3 खरब डॉलर, देश में मौजूद है पर उसका पूरी तरह दोहन नहीं हो पाया है. करीब 20-30 लाख छोटे उद्यमियों के पास ये पूंजी है पर वे इसका पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. जबकि उनके पास छोटे व्यवसायों को सफलतापूर्वक चलाने का अपार अनुभव है.


सालाना एक खरब डॉलर की अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिए पहले कदम के तौर पर हम 2-3 खरब डॉलर की संभावित संचित पूंजी वाले इन छोटे उद्यमियों की सेना को मैदान में उतारने की सोच सकते हैं. इसके लिए हमें अपने प्रॉपर्टी बाज़ार में ऐसे सुधार करने होंगे, जो कि इन उद्यमियों द्वारा पिछले करीब 50 वर्षों में साबित की गई उद्यमिता और उनकी बचत को प्रतिबिंबित करे.

सोनाली रानाडे एवं शैलजा शर्मा द्वारा लिखित इस आलेख को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


https://hindi.theprint.in/opinion/indias-trillions-dollar-wealth-is-chained-in-slums-this-is-time-to-unlock-it/75593/


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