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न्यूज क्लिपिंग्स् | भूमिहीनों को मिले भूमि का अधिकार

भूमिहीनों को मिले भूमि का अधिकार

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published Published on Jul 17, 2012   modified Modified on Jul 17, 2012

देश के आदिवासियों की जमीनों पर कब्जे हैं। जिन किसानों के पास जमीनें हैं, उनसे विकास के नाम पर जमीनों को छीना जा रहा है। वहीं जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है, उनको घर बसाने के लिए जमीन नहीं दी जा रही है। एकता परिषद व सहयोगी संगठनों द्वारा समग्र भूमि सुधार तथा वंचितों को हक दिलाने के लिए जनसत्याग्रह 2012 आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके तहत दो अक्टूबर को ग्वालियर से दिल्ली तक ऐतिहासिक पदयात्रा निकालकर केंद्र सरकार पर दवाब बनाया जाएगा।

यह बात 9 जुलार्इ को राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य एवं एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने किशनगंज में कही। उन्होंने बताया कि देश के 18 राज्यों में करीब नौ महीनों में 65 हजार किमी का सफर पूरा कर 4 जुलार्इ को डूंगरपुर जिले के रतनपुर रास्ते से राजस्थान में प्रवेश किया तथा 9 जुलार्इ को बारां जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र किशनगंज, भंवरगढ़, मामोनी व शाहाबाद में जनसंवाद किया। उन्होंने दावा किया कि इस दिन ग्वालियर में देशभर से एक लाख लोग एकत्रित होंगे। इसके साथ ही यह यात्रा 24 राज्यों के 339 जिलों में 80 हजार किमी का सफर तय करेगी।


राजगोपाल ने कहा कि आज भी देश में आदिवासियों समेत दलित भूमिहीन किसानों व मछुआरों को अपनी आजीविका चलाने में समस्याएं आ रही हैं। भूमि हदबंदी, आदिवासी सुशासन व वनाधिकार जैसे कर्इ कानून लागू होने के बाद भी दलित आदिवासियों व किसानों को इनका हक नहीं मिल रहा है। सरकार इन कानूनों पर र्इमानदारी से अमल नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगया कि औधोगीकरण और विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की जा रही है। इससे गरीब लोग विस्थापित हो रहे हैं। देशभर के वंचितों को इस तरह की समस्याओं और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए ही एकता परिषद यह आंदोलन चला रही है। परिषद की ओर से पिछले 25 सालों से जल, जंगल, जमीन और आजीविका के मुददों पर सरकार को लोगों की समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है। राजगोपाल ने कहा कि उदयपुर संभाग में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा हैं। चितौड़गढ़ में 29 एमओयू साइन हो चुके हैं। कुछ दिनों बाद वहां कंपनियां सीमेंट प्लांट लगाएंगी। इसके लिए जमीनों को कम मुआवजा देकर खरीदा जा रहा है। किसानों को जमीन के बदले जमीन उपलब्ध नहीं करार्इ जा रही। बिछीवाड़ा में
आदिवासियों को वनभूमि पर मालिकाना हक नहीं मिल रहा। बारां समेत अन्य जिलों में भी आदिवासियों को कुछ एकड़ जमीन के पटटे तो दिए लेकिन असल जमीन का पता नहीं है। उन्होंने बताया कि भूमि पुन: वितरण की प्रक्रिया शुरू कराने के उददेश्य को लेकर जनसत्याग्रह 2012 शुरू किया गया है। भूमिहीनों को भूमि का अधिकार मिले तथा कृषि, वन, पर्वतीय व चारागाह भूमि उपयोग की मार्गदर्शिका इनका अनुपालन किया जाए।


एकता परिषद ने वर्ष 2007 में करीब 25 हजार वंचितों के साथ ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा की। इसके बाद सरकार ने 2008 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद का गठन किया। वे इस परिषद के सदस्य हंै लेकिन चार वर्षों में परिषद की एक भी बैठक नहीं हुर्इ। सरकार के इस रवैये को देखते हुए एक लाख वंचितों के साथ दो अक्टूबर 2012 को ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा की जाएगी। इनकी तैयारियों के तहत देश भर में भू अधिकार राष्ट्रीय जनसंवाद यात्रा निकाली जा रही है। सहरिया समुदाय के लोग 5 मांगों को लेकर ग्वालियर से दिल्ली के लिए जाएंगे। जिन लोगों को उजाड़ा गया है उनको फिर से बसाने, जमीन पर कब्जा दिलाने, गांव व शहरों में सहरिया व दलितों को रहने को जमीन मिले, गरीबों को जमीन देने के लिए जो कानून बनाए हैं, सरकार उन्हें वापिस लेने की मांगों को लेकर प्रत्येक व्यकित प्रधानमंत्री के नाम एक चिटठी लिखेगें। (विविधा फीचर्स)र् ं


(विविधा फीचर्स, फोन नंबर-0141&2762932, ईमेल-vividha_2001@yahoo.com, वेबसाइट-Vividha.co.in)


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