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न्यूज क्लिपिंग्स् | मध्यप्रदेश- बांध से बिजली बनाते तो दस महीने में बच जाते 500 करोड़ रुपए

मध्यप्रदेश- बांध से बिजली बनाते तो दस महीने में बच जाते 500 करोड़ रुपए

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published Published on Feb 14, 2017   modified Modified on Feb 14, 2017

जबलपुर, पंकज तिवारी। प्रदेश के सभी बांध लबालब भरे रहे, लेकिन बिजली क्षमता से आधी ही बनाई। 10 महीने तक निजी प्लांटों से बिजली खरीदते रहे। बांध से जो बिजली 57 करोड़ रुपए में बन सकती थी, उसके बदले 500 करोड़ रुपए ज्यादा देकर निजी प्लांटों से खरीदना पड़ा।

 

बिजली कंपनी की 10 महीने की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बांध से बिजली बनाने में 38 पैसे खर्च होते हैं, जबकि निजी थर्मल पावर कंपनी से खरीदने में औसत 3.68 रुपए खर्च आता है। निजी पावर प्लांटों को मजबूत करने के फेर में यह घ्ााटा उपभोक्ताओं से बिजली की दर बढ़ाकर वसूला जा रहा है।

 

बांध से बिजली बनाने में 38 पैसे खर्च होते, निजी से खरीदी 3.68 रुपए प्रति यूनिट

फुल लोड में बांध से पानी छोड़कर बिजली बनती तो 10 माह में करीब 315 करोड़ यूनिट बिजली बन सकती थी, लेकिन बनाई करीब 164 करोड़ यूनिट ही। करीब 151 करोड़ यूनिट बिजली नहीं ली। बांध के पानी से ये बिजली बनती तो महज 57 करोड़ खर्च आता। जबकि निजी कंपनी से बिजली खरीदी पर इसकी औसत लागत 557 करोड़ आई। करीब 500 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च हुए।

 

रिपोर्ट में यह कहा-

मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी और स्टेट लोड डिस्पेंच सेंटर की हालिया रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि बांध में भरपूर पानी था। डिमांड वाले दिनों में बांध से बिजली फुल लोड में बन सकती थी, फिर भी ऐसा नहीं हुआ। कंपनी ने जनवरी 2017 तक के बीते 10 माह में बांध से जरूरत के मुताबिक बिजली नहीं ली। बिजली कंपनी करीब 10 बांध से बिजली लेती है। इसमें गांधीसागर, बरगी और बाणसागर बांध से से करीब 520 मेगावाट बिजली उत्पादन हो सकता है। 6 फरवरी की रिपोर्ट में बांध में पानी का स्तर काफी बेहतर दिखाया गया।

 

निजी पॉवर प्लांट से बिजली खरीदी का पहले ही एग्रीमेंट हो चुका है। बिजली लेना बंद करेंगे तो वो कोर्ट चले जाएंगे। आगे कोयले से बनी बिजली कम लेंगे। हाल में सोलर प्लांट के लिए सस्ता एग्रीमेंट हुआ है। -पारसचंद्र जैन, ऊर्जा मंत्री मप्र शासन

 


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