Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | मनरेगा से सौ में से 80 कर्मचारियों की छंटनी

मनरेगा से सौ में से 80 कर्मचारियों की छंटनी

Share this article Share this article
published Published on Jan 8, 2016   modified Modified on Jan 8, 2016
सुदीप त्रिपाठी, रायपुर। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मनरेगा और इंदिरा आवास योजनाओं के कामों का सोशल ऑडिट यूनिट (सामाजिक अंकेक्षण यूनिट) करने वाला विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। विभाग से कुछ महीनों के भीतर 80 लोगों को बाहर कर दिया गया। बाहर होने वालों में करीब दो दर्जन लोगों ने मिलकर विभाग के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना और मनमानी की शिकायत की है। मनमानी से तंग आकर इसी विभाग में काम करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) के भी 11 कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया।

अब इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विभागीय मंत्री अजय चंद्राकर और मुख्य सचिव विवेक ढांड से शिकायत कर जांच की मांग की गई है। इकाई में इतने बड़े पैमाने पर लोगों के बाहर होने को लेकर विभाग के कामकाज पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। यह विभाग राज्यभर में मनरेगा और इंदिरा आवास योजना के तहत जितने भी काम होते हैं, उनका लेखा-जोखा तैयार करता है। विभाग की इस इकाई में तकरीबन 8-9 माह पहले 100 जिला अधिकारियों की भर्ती की गई थी।

इनके लिए विभाग ने बाकायदा शासकीय नियमों के तहत विज्ञापन जारी किया। मुख्य सचिव को दी गई शिकायत में इसका जिक्र है कि इस भर्ती का विज्ञापन निकालने के बाद इसकी स्क्रूटनी नहीं की गई। सीधे विभागों में फोन से बुलाकर अधिकारियों को पदस्थ कर दिया गया। सभी के साथ एक साल का अनुबंध भी किया गया। लेकिन बवाल तब खड़ा हुआ जब बिना जांच किए सीधे नोटिस देकर दो-तीन महीने बाद कर्मचारियों को निकालने का सिलसिला शुरू हुआ।

एक-एक कर विभाग से ऐसे 100 में से 80 लोगों को बाहर कर दिया गया। हालांकि विभाग का कहना है कि उन्होंने केवल नौ को ही बर्खास्त किया और बाकियों ने खुद से नौकरी छोड़ी। दिलचस्प यह है कि आखिर नौ अधिकारियों की बर्खास्तगी के बाद बाकी ने अगर नौकरी छोड़ी भी तो इसके पीछे वजह क्या थी? मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में यह कहा गया है कि विभाग में कामकाज को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। उन्हें पैसे समय पर नहीं दिए जाते थे। साथ ही उनका वेतन भी काटा जाता था। इसकी मांग करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था।

11 को फिर नई भर्ती पर उठे सवाल

सामाजिक अंकेक्षण इकाई में ही अब नए सिरे से भर्ती के लिए आवेदन मंगवाए गए हैं। 11 जनवरी को इनका साक्षात्कार लिया जाना है। अब सवाल इस बात का है कि जिनकी भर्ती हुई थी, उनके एक साल का अनुबंध पूरे हुए बगैर ही उन्हें निकाल दिया गया। अब नई भर्ती को लेकर भी सवाल इसी बात पर उठाए जा रहे हैं कि आखिर विभाग में काम करने को लेकर कि तरह का माहौल होगा। निकाले गए लोगों की शिकायत पर जांच चल रही है और ऐसे में नई भर्तियां होती हैं, तो विभाग की भर्ती पर विवाद होंगे।

इसलिए इन 11 लोगों ने भी दे दिया सामूहिक इस्तीफा

- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के 11 स्टाफ ने अपना इस्तीफा इकाई की संचालक को सौंपा है। इसमें उन्होंने छह बिंदुओं का अपने इस्तीफे के लिए उल्लेख किया है। पहला कारण इकाई द्वारा अनुबंध का उल्लंघन, दूसरा कामकाज के लिए स्वस्थ वातावरण का न होना, गांवों के सोशल ऑडिटर्स को पैसे नहीं देना, स्टाफ के चरित्र पर आरोप लगाना और सेलरी रोकने जैसे कारण शामिल है।

-----------

काम नहीं करता था स्टाफ, इसलिए निकाला- संचालक

छत्तीसगढ़ सोशल ऑडिट यूनिट की संचालक डॉ. लीलावती ने नईदुनिया को बताया कि यह एक जिम्मेदार इकाई है और यहां स्वतंत्र सिस्टम से काम होता है। स्टाफ ठीक से काम नहीं करता था वो घोटाले घपलों में लिप्त रहे। इसलिए नौ लोगों को निकाला गया और जब काम नहीं करने वालों पर दबाव डाला गया तो वो भी धीरे-धीरे खुद ही नौकरी छोड़कर बाहर हो गए। लीलावती ने यह भी बताया कि मेरे कामकाज और सिस्टम की जानकारी मेरे विभाग के सभी उच्च अधिकारियों को है। मैंने उन्हें इसका जवाब भी दे दिया है।

 


- See more at: http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-cost-cutting-for-80-of-the-hundred-employees-621588#sthash.mSAJB5Zo.dpuf


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close