Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | महज लिंक वर्कर नहीं सोशल एक्टिविस्ट भी हैं सहिया

महज लिंक वर्कर नहीं सोशल एक्टिविस्ट भी हैं सहिया

Share this article Share this article
published Published on Oct 16, 2013   modified Modified on Oct 16, 2013

झारखंड में गांव-गांव में सेहत की अलख जगाने वाली सहिया दीदी का स्वरूप महज लिंक वर्कर जैसा नहीं है. झारखंड में सेहत के मसले पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसे सेहत के मसले पर गांव में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता का स्वरूप दिया है. इसका काम सिर्फ गांव के लोगों को सेहत से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि सेहत से संबंधी समस्याओं के लिए गांव के लोगों को उनका हक दिलाना भी है. इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता और सहिया संदेश के प्रधान संपादक गुरजीत सिंह ने यह आलेख पंचायतनामा के लिए लिखा है.

इस कार्यक्रम की अवधारणा चीन में नंगे पैर डॉक्टर की बुनियादी सोच से पैदा हुई है, जहां कुशल प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी को देखते हुए समुदाय के लोगों में स्वास्थ्य की बुनियादी दक्षता विकसित करने की कोशिश की गयी.

कालांतर में 1978 में अलमा आटा में हुए विश्व सम्मेलन में जहां दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने सबके लिए स्वास्थ्य का संकल्प लिया था, वहां इस सोच को मजबूती मिली कि इस संकल्प को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आम-जन में स्वास्थ्य की दक्षता विकसित करने की आवश्यकता होगी. भारत में 1946 में भोरे समिति ने अपनी अनुशंसाओं में स्वास्थ्य में सामुदायीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया था.

वर्ष 2000 में जब दुनियाभर में तमाम सामाजिक संगठन यह समीक्षा कर रहे थे कि वर्ष 2000 तक सबको स्वास्थ्य का संकल्प पूरा नहीं हो पाया है और इसके लिए बुनियादी तौर पर समुदाय की भागीदारी का अभाव है तो एक नारा सामने आया -

हर गांव में स्वास्थ्य समिति हर गांव में स्वास्थ्य साथी.

इसी दशक में छत्तीसगढ़ में महिलाओं को साथ लेकर स्वास्थ्य साथी तैयार करने की कोशिशें प्रारंभ हुई, जिसे मितानिन कार्यक्रम के रूप में जाना गया. यह इस दिशा में किया जाने वाला पहला प्रयास नहीं था, पर पहली बार व्यवस्थित तरीके से राज्य स्तर पर इसकी शुरुआत हुई. झारखंड में भी वर्ष 2005 में 50 प्रखंडों में झारखंड सरकार एवं चाइल्ड इन नीड इंस्टीच्यूट के सहयोग से एवं अन्य कई स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से हर गांव में एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता का चयन एवं प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ जिसे सहिया के नाम से जाना गया.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के द्वारा भी जब राष्ट्रीय स्तर पर आशा कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो सहिया को ही आशा के रूप में मान्यता मिली एवं पूरे राज्य में इसका विस्तार हुआ.

सहिया क्या स्वास्थ्य विभाग की अंतिम कड़ी है?
इसे इस रूप में देखना उचित नहीं होगा. वस्तुत: वह समुदाय की प्रतिनिधि और समुदाय की आवाज है जो स्वास्थ्य के मुद्दे पर समुदाय को संगठित करती है. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है जो विभाग एवं समुदाय के बीच सेतु का काम करती है, लोगों को व्यवहार परिवर्तन हेतु प्रेरित करती है और उन्हें प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाती है.

सहिया कार्यक्रम की मुख्य समस्या क्या है?
सहियाओं के लिए सबसे बड़ा सवाल उनकी पहचान एवं सम्मान से जुड़ा है. उन्हें स्वास्थ्य विभाग एवं पंचायत के लोग सम्मान दें एवं उनके कार्य में सहयोग एवं प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाएं तो उनकी समस्याएं कम होंगी. अभी भी सहियाओं को समय पर प्रोत्साहन राशि प्राप्त होने में कठिनाई होती है. उनके साथ कई बार उचित व्यवहार नहीं होता. साथ ही उनकी सुरक्षा एवं भविष्य के बारे में काफी दिक्कतें और अनिश्चितताएं हैं.

सहिया कार्यक्रम की मुख्य उपलब्धि क्या है?
निश्चित तौर पर सहिया, महिला सशक्तीकरण के वाहक के रूप में सामने आयी हैं. लगातार प्रशिक्षण से उनके व्यक्तित्व और दक्षता में निखार आया है और वह लोगों तक स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम को पहुंचाने में सफल हुई हैं. कई सारे स्वास्थ्य मानकों में जो सुधार के लक्षण दिख रहे हैं, सहिया का उसमें महत्वपूर्ण योगदान है.

सहिया और पंचायतों का आपस में क्या रिश्ता है?
सहिया का चयन ग्राम-सभा ने किया है. अत: वह उसके प्रति जवाबदेह है. ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति की सचिव के रूप में भी उसकी जवाबदेही है जो ग्राम-सभा की स्थायी समिति के रूप में अधिसूचित की गयी है. ग्राम पंचायतों को दिये गए अधिकारों के आलोक में सहियाओं के कार्य का मूल्यांकन, उनकी समीक्षा, उन्हें सहयोग करने का दायित्व ग्राम पंचायतों को ही दिया गया है.

ग्राम पंचायतों के माध्यम से सहिया को प्रोत्साहन राशि प्रदान करने में क्या कठिनाई है?
मेरे विचार से इसको अब स्थापित करने का प्रयास प्रारंभ होना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग को कर्मियों एवं लाभार्थी द्वारा अनुमोदन के पश्चात सहिया को प्रोत्साहन राशि का भुगतान पंचायत द्वारा करने से सहिया और ग्राम-पंचायत का समन्वय बन पाएगा और स्वास्थ्य के मुद्दे भी पंचायत की प्राथमिकता में आ पाएंगे.

सहिया कार्यक्रम से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
मुङो विश्वास है कि इस कार्यक्रम से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर जन-दवाब बढ़ेगा और उसकी पहुंच तथा गुणवत्ता में सुधार होगा. महिलाओं का एक बड़ा संगठन भी बनेगा और महिलाएं सशक्त होंगी. स्वास्थ्य को समुदाय का मुद्दा बनाने में भी इस कार्यक्रम के माध्यम से मदद मिलेगी. अब महिलाएं बड़ी संख्या में नेतृत्वकारी भूमिका में सामने आ रही हैं और इससे सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया प्रबल होगी. मैं इसे एक कार्यक्रम नहीं, महिला सशक्तीकरण का एक अभियान मानता हूं, जिसका रचनात्मक संघर्षात्मक एवं सांस्कृतिक पक्ष बहुत ताकतवर ढंग से झारखंड के नवनिर्माण में अपना योगदान कर पाएगा.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/53295-story.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close