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न्यूज क्लिपिंग्स् | मां ने लिया समूह से ऋण, बेटी को बनाया स्वावलंबी- शिकोह अलबदर

मां ने लिया समूह से ऋण, बेटी को बनाया स्वावलंबी- शिकोह अलबदर

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published Published on Apr 11, 2014   modified Modified on Apr 11, 2014
रांची जिले के नामकुम प्रखंड से रिंग रोड पर जायें. यहां से कुछ दूरी पर एक रास्ता नचलदाग गांव की ओर मुड़ जाता है. शहर से करीब  चालीस किलोमीटर दूर एक सुदूरवर्ती गांव है : नचलदाग. गांव में कुछ अद्भुत बदलाव हुए हैं. गांव की सामाजिक, आर्थिक स्थिति बदल रही है. ना सिर्फ आर्थिक और सामाजिक बदलाव यहां हुए हैं, बल्कि  ग्रामीणों की जीवनशैली में आ रहे बदलाव भी प्रशंसनीय है. गांव की इस बदलती शक्ल में महत्वपूर्ण भूमिका महिलाओं की है. इस गांव में घूमने के दौरान मेरी नजर एक खपड़ैल मकान पर टिक जाती है. मकान के बरामदे वाले एरिया में इसकी एक दीवार पर लिखा मिलता है - न्यू प्रीति लेडिज हर्बल ब्यूटी पार्लर. बरामदे से सटे कमरे में एक ब्यूटी पार्लर है. चलिए, अब आप को अंदर ले चलते हैं. यह ब्यूटी पार्लर शहर के ब्यूटी पार्लर जैसा भव्य चमचमाता हुआ तो नहीं है, लेकिन यहां आपको ब्यूटी के सभी प्रोडक्ट जरूर मिल जाते हैं. पार्लर में एक कुर्सी लगी हुई है.  सामने बड़े आकार का एक आईना. कोने में बिंदी, जुड़ा, लिपस्टिक, लेडिज रूमाल, हेयर बैंड, किलिप करीने से सजा कर रखे गये हैं. एक ओर शैंपू, नेल पॉलिश, कई तरह के फेशियल क्रीम रखे हैं. और हां, एक कोने में ब्रांडेड कंपनी का हेयर ड्रायर भी है - बाल सुखाने के लिए. पार्लर में बड़े आकार के कैटरीना, माधुरी जैसी बड़ी फिल्मी नायिकाओं के पोस्टर लगे हैं-दुल्हन वाली पोज में.  प्रोडक्ट के साथ साथ तमाम तरह की सुविधाएं भी यहां मिलती हैं. फेशियल, थ्रेडिंग, बाल कटिंग और तमाम तरह की ब्यूटी सुविधाएं. इसके साथ ही एक रेट लिस्ट  भी दीवार पर चिपकी  है.  फेशियल 150 रुपये से 250 रुपये, थ्रेडिंग 15 रुपया, बाल कटिंग 35 रुपये से 65 रुपये तक.

लेकिन सबसे जरूरी बात जिसे मैंने जानने की कोशिश की वह यह थी कि - आखिर किसका है यह ब्यूटी पार्लर. एक सुदूरवर्ती गांव में कौन चलाता है यह ब्यूटी पार्लर.  पता चला गांव की एक महिला हैं जो झारखंड राज्य आजीविका प्रमोशन सोसाइटी द्वारा चलाये जा रहे समूह से जुड़ी हुई हैं. नाम है  लक्ष्मी देवी. यह ब्यूटी पार्लर उनकी बेटी प्रीति चलाती हैं. लक्ष्मी ने समूह से जुड़ कर बचत के गुण सीखे, समूह से ऋण लिया और बेटी के लिए स्वरोजगार का रास्ता खोला. समूह से मिली सहायता और एक महिला का स्वावलंबी होने की दिशा में उठे सवालों पर उभरी उत्सुकता को शांत करने के लिए लक्ष्मी से मुलाकात की. लक्ष्मी  बताती हैं कि 2005 में वह सरस्वती महिला समिति से जुड़ी थीं. समूह में पैसा जमा कर बचत करना प्रारंभ किया था और 1000 रुपया बचत किया था.  इस समूह को अच्छी बचत और महिलाओं की जरूरत को देखते हुए ऋण प्रदान किया गया था, जिसमें से दस हजार रुपया बतौर ऋण लिया. वह कहती हैं : बेटी चूंकि ब्यूटीशियन का कोर्स कर रही थी और अपना रोजगार करना चाहती थी तो ये पैसा उसे दे दिया. लक्ष्मी कहती हैं : जब गांव की लड़की शहर में जाकर ब्यूटी का काम कराती हैं तो गांव की गांव में ही आयेगी ना.

प्रीति जैन कॉलेज, धुर्वा से राजनीति शास्त्र में बीए कर रही हैं. उनसे ब्यूटी पार्लर की शुरुआत करने के संबंध में पूछे जाने पर वह बताती हैं कि उनके मन में हमेशा इस बात का अहसास था कि कुछ करना है. वह मानती थीं कि यदि किसी हुनर को जान लिया जाये तो उससे रोजगार मिल सकेगा. इसलिए ब्यूटीशियन का कोर्स किया.  साथ ही अपनी पढ़ाई भी चालू रखी है. वह बताती हैं कि ब्यूटीशियन कोर्स करने के लिए गांव से तुपूदाना जाना पड़ता था. तुपूदाना के एक ब्यूटीशियन संस्थान से कोर्स किया और वहीं काम भी करने लगी. सुबह नौ बजे तुपूदाना के लिए निकल जाती थी. उस समय एक ऑटो ही चला करता था. सुबह जाती थी तो शाम में लौटती थी. काम सीखने के समय काफी परेशानियां भी हुई थी, लेकिन बाद में अपने ब्यूटी पार्लर की शुरुआत करने की सोची. प्रीति  बताती हैं कि अपना रोजगार करने से आज उन्हें काफी संतुष्टि है. वह कहती हैं :  मेरे दिमाग में हमेशा यह बात आती थी कि यदि गांव की लड़की शहर इसी काम के लिए जाती है तो इसी गांव और आसपास के गांव की लड़कियां भी यहां जरूर आयेंगी. उन्हें दूर नहीं जाना पड़ेगा. इस पार्लर को खोले तीन महीना हुए हैं और अब लोगों के बीच यह प्रसिद्ध हो रहा है.

प्रीति बताती हैं कि मां के दिये पैसों से ब्यूटी पार्लर के लिए चेयर और ब्यूटी प्रोडक्ट जैसे क्रीम, लोशन और इससे जुड़ी सभी वस्तुओं की खरीद की. प्रीति कहती हैं : आम दिन में 10 रुपये से 50 रुपये तक आमदनी हो जाती है, वहीं त्योहार के दिनों में प्रतिदिन 500-600 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. यहां दुल्हन सजाने और मेहंदी लगाने का भी काम किया जाता है.  लक्ष्मी मानती हैं कि आजीविका मिशन का उनके सपनों को पूरा  करने में महत्वपूर्ण योगदान है. उनका कहना है : सोच भी नहीं पाये थे कि इतना आगे बढ़ सकेंगे. महिला समूह से ही यह मदद मिल सकी है.

ग्राम संगठन में तैयार हुई वार्षिक योजना
नचलदाग गांव में ग्राम संगठन बनने के बाद पहली ग्राम संगठन की मीटिंग तीस मार्च को की गयी. ग्राम संगठन की मीटिंग में कई महिला समूह की सदस्य शामिल हुईं और समूह के क्रियाकलापों की चर्चा की. समूह के कार्यो के विवरण के साथ  वर्ष 2014-15 के लिए वार्षिक योजना प्रस्तुत की गयी. वार्षिक योजना में प्रत्येक गरीब महिला को समूह से जोड़ने, नये समूह बनाने, समूहों की आडिटिंग, पुस्तक संचालन तथा  सक्रिय महिलाओं तथा नये समूहों के संचालन के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने संबंधी योजना को शामिल किया गया. इसके साथ सूक्ष्म ऋण योजना के लिए आवश्यक तैयारी और योग्यता समूह को प्रशिक्षण देने की बात भी रखी गयी. समूह को बैंक लिकेंज करने तथा इसी मेंबर की निगरानी समिति बना कर एमसीपी माध्यम से पायी गयी राशि की निगरानी संबंधी बात भी वार्षिक योजना में शामिल की गयी. समूह की महिलाओं ने इस वर्ष की जाने वाली गतिविधियों के अलावा सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें गांव में प्रत्येक घर में शौचालय की व्यवस्था होने पर जोर डाला. इसके साथ बिजली रजिस्ट्रेशन तथा गांव में शिक्षक की व्यवस्था करने की बात पर भी समूह की महिलाओं ने एक जुट होकर अपने विचार रखें.


http://www.prabhatkhabar.com/news/104210-story.html


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