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न्यूज क्लिपिंग्स् | मुसीबत में फंसी महिलाओं के लिए योजना तैयार

मुसीबत में फंसी महिलाओं के लिए योजना तैयार

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published Published on Feb 5, 2013   modified Modified on Feb 5, 2013
नई दिल्ली । सरकार ने मुसीबत में फंसी महिलाओं की मदद और उनके खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक समयबद्ध योजना पेश की है।

महिला और बाल विकास विभाग की देखरेख में क्रियान्वित होने वाली इस योजना को 2013-14 से परीक्षण के तौर पर देश के 100 जिलों में लागू किया जाएगा। इसमें विपत्ति प्रतिक्रिया केंद्र बनाने और आपराधिक मामले दर्ज करने में पुलिस के लिए अधिकार क्षेत्र की सीमाएं समाप्त करने का प्रस्ताव है।
दिल्ली में चलती बस में युवती के साथ सामूहिक बलात्कार के परिप्रेक्ष्य में व्यापक जनाक्रोश और लोगों के प्रदर्शन के बाद कैबिनेट सचिव अजित सेठ की अध्यक्षता में हुई कई दौर की बैठकों के बाद यह फैसला किया गया। योजना में पुलिस प्रणाली में बदलाव, मोटर वाहन कानून की समीक्षा, महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति में सक्षमता और संवेदनशीलता से कार्रवाई और प्रवर्तन एजंसियों को जवाबदेह बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
योजना में यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को मुआवजे और चुनिंदा अस्पतालों में विपत्ति प्रतिक्रिया केंद्र बनाने का प्रस्ताव है जो यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को मनोवैज्ञानिक और अन्य सहायता मुहैया कराएंगे। प्रस्तावित योजना 2013-14 से पायलट आधार पर देश के 100 जिलों में लागू की जाएगी।
सरकार ने देश भर में ‘तीन अंकों’ का एक नंबर शुरू करने का प्रस्ताव किया है ताकि आपात स्थितियों में तेजी से कार्रवाई हो सके। इस तरह की सुविधा सभी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के ग्राहकों को उपलब्ध होगी। एक बार आपात नंबर पर काल करने के बाद फोन करने वाले से किसी अन्य आपात नंबर पर फोन करने को नहीं कहा जाएगा। आपात प्रतिक्रिया की सामान्य हेल्पलाइन के अलावा विपत्ति में फंसी महिलाओं के लिए समर्पित एक अलग हेल्पलाइन बनेगी। इस उद्देश्य से देश भर में 181 नंबर को कार्यान्वित किया जा सकता है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो इस तरह के अपराधों में दोषी ठहराए जा चुके मुजरिमों का डाटाबेस तैयार करेगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषी करार दिए गए लोगों के नाम वेबसाइट पर दिए जाएंगे।
पीड़ित महिलाओं को अधिकार क्षेत्र की सीमाओं को छोड़कर किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने  की सुविधा प्रदान की जाएगी। प्राथमिकी को उसके बाद कार्रवाई और जांच के लिए संबद्ध थाने में स्थानांतरित किया जा सकता है। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है ताकि विपत्ति में फंसी किसी महिला की मदद के लिए आगे आने वाले व्यक्ति का कोई उत्पीड़न न हो। इसके लिए इन व्यक्तियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी ताकि वे भयमुक्त होकर अपराध की सूचना दे सकें और पीड़ित व पुलिस की मदद कर सकें। उनसे न तो कोई पूछताछ की जाएगी और न ही उनसे गवाह बनने को कहा जाएगा।


http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/38194-2013-02-05-05-40-51


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