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न्यूज क्लिपिंग्स् | राज. के 10 लाख बच्चों ने नहीं देखा स्कूल

राज. के 10 लाख बच्चों ने नहीं देखा स्कूल

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published Published on Apr 3, 2010   modified Modified on Apr 3, 2010
जयपुर. देशभर में गुरुवार से बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अनिवार्य भले ही हो गया हो, लेकिन राजस्थान में स्कूली शिक्षा की तस्वीर बेहद धुंधली है। राज्य सरकार की मानें तो यहां के 10 लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर हैं। जनसंख्या आंकड़े तो इस संख्या को कहीं ज्यादा बताते हैं।

केंद्रीय सहायता से राज्य सरकार शिक्षा का ढांचा बेहद मजबूत करेगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग कहते हैं, शिक्षा का अधिकार पिछड़े एवं गरीब तबकों के लिए वरदान साबित होगा। बस आवश्यकता इस बात की रहेगी कि केंद्र से इसके लिए पर्याप्त सहायता मिलती रहे। शिक्षाविद एस.एल. बोहरा राज्य में प्राथमिक शिक्षा के स्तर को बेहद जर्जर मानते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा के अधिकार की गारंटी इस बात पर निर्भर करेगी कि राज्य में योगय शिक्षकों के साथ ही संसाधनों की कमी को जल्द से कितना जल्द पूरा किया जाता है।



ऐसे हैं 40 लाख बच्चे स्कूलों से दूर:



2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में 4 साल तक के बच्चों की संख्या 72, 33, 220 थी। वर्तमान में ये बच्चे 11 से 14 वर्ष उम्र के हैं। इधर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के प्रतिवेदन को आधार माना जाए तो राजकीय एवं गैर राजकीय स्कूलों में इस उम्र के नामांकित बच्चों की संख्या 31, 73272 है। ऐसे में करीब 40 लाख 60 हजार बच्चे स्कूलों से दूर हैं।



सुविधाओं को तरसते राज्य के स्कूल:



ऐसे स्कूल जिनके भवन नहीं हैं:



प्राथमिक: 1824



उप्रा.: 293



ऐसे स्कूल जिनमें पीने का पानी नहीं



प्राथमिक: 4838



उप्रा: 1347



ऐसे स्कूल जिनमें पर्याप्त कमरे नहीं



प्राथमिक: 5461



उप्रा: 3699



माध्यमिक शिक्षा: व्याख्याताओं की स्थिति



विषय स्वीकृत कार्यरत



अंग्रेजी 2625 1883



इतिहास 4135 2320



अर्थशास्त्र 732 493



भूगोल 1229 518



रसायन विज्ञान 679 533



जीव विज्ञान 528 376



वरिष्ठ शिक्षक:



विज्ञान 7075 5213



गणित 7066 5184



अंग्रेजी 6564 5101



सामान्य 15317 12858



प्रारंभिक शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र में पिछड़े जिलों की स्थिति (थर्ड ग्रेड शिक्षक)



जिला स्वीकृत कार्यरत



बाड़मेर 11103 6541



बांसवाड़ा 8116 6727



डूंगरपुर 6576 5729



बारां 4628 3306



जयपुर में 14810 13244



मौजूदा सत्र के नामांकित बच्चे:



6 से 11 वर्ष के बच्चे



छात्र: 3311880



छात्रा: 3099169



11 से 14 वर्ष के बच्चे



छात्र: 1091085



छात्रा: 891531



स्कूलों की संख्या:



प्राथमिक शिक्षा:



राजकीय: 75617 शिक्षक: 216253



गैर राजकीय: 26853 शिक्षक: 112461



माध्यमिक शिक्षा:



माध्यमिक : 11606 शिक्षक: 81049



उमा.: 6010 शिक्षक: 82090



6 से 14 साल के 6.6 फीसदी बच्चे स्कूल से वंचित: राजस्थान में हर चौथी बेटी ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। गणित और अंग्रेजी में बच्चों की नींव बेहद कमजोर है। असर के ताजा सर्वे के अनुसार 6 से 14 साल के बच्चों में 6.6 फीसदी बच्चे कभी स्कूल ही नहीं गए। 15 से 16 वर्ष की बालिकाओं में हर चौथी यानी 28.6 फीसदी लड़कियां स्कूल नहीं गईं। इस समूह में सिर्फ 17.3 फीसदी लड़कों ने कभी स्कूल का दरवाजा नहीं छुआ।



सर्वे ने इस तरह दिखाया आइना:



—पांचवीं तक के 52.2 फीसदी बच्चों को जोड़ घटाओ नहीं आता तो 52 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के अक्षर नहीं पढ़ पाते।



—कक्षा 3 से 5 तक के 89.2 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के वाक्य नहीं पढ़ सकते।



—चौथी से आठवीं तक के 10.6 फीसदी बच्चे टच्यूशन पढ़ते हैं।



—17 से 55 साल की 62.3 फीसदी माताएं पढ़ नहीं पाती हैं।



—पहली दूसरी कक्षा में 28.9 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचानते जबकि 1 से 9 तक के अंकों की पहचान 28.6 फीसदी बच्चे नहीं कर सकते।



निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा विधेयक के अहम बिंदु:



-ऐसे स्कूल जो सरकार से सहायता प्राप्त प्राइवेट नहीं हैं। वे स्कूल कक्षा 1 से कुल बच्चों की संख्या के आधार पर 25 प्रतिशत ऐसे बच्चों को प्रवेश देंगे जो कि कमजोर या पिछड़े वर्ग से हैं।



-यदि प्राइवेट स्कूल में पूर्व प्राथमिक शिक्षा भी उपलब्ध है तो उसमें भी 25 प्रतिशत ऐसे बच्चों को प्रवेश मिलेगा जो कि कमजोर या पिछड़े वर्ग से हैं।



-इसके बदले प्राइवेट स्कूलों को सरकार द्वारा तय राशि उपलब्ध कराई जाएगी।



-यदि प्राइवेट स्कूल ने सरकार से रियायती दर पर या निशुल्क जमीन, भवन या सामग्री ले रखी है उन्हें यह राशि सरकार द्वारा देय नहीं होगी।



-कोई भी स्कूल सरकारी या प्राइवेट या व्यक्ति बालब बालिका को प्रवेश देते समय किसी प्रकार की फीस या पैसा नहीं ले सकेगा।



-बच्चों को प्रवेश देने के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं ली जाएगी।



-यदि कोई स्कूल बच्चों से प्रवेश शुल्क लेता है तो उस पर प्रवेश शुल्क से दस गुना राशि का जुर्माना



-किसी भी बच्चे को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। बच्चों के साथ मारपीट नहीं होगी और न ही उसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया जाएगा।



-कानून लागू होने के साथ ही नया स्कूल बिना सरकार की पूर्वानुमति के नहीं खोला जा सकेगा।



-स्कूल तय अवधि में मापदंड पूरा नहीं करता है तो मान्यता समाप्त।



-स्कूलों में स्वीकृत पदों मेंसे 10 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त नहीं रखे जा सकेंगे।



सुविधाओं का टोटा



सर्वे के अनुसार राज्य में हर चौथी बेटी ने नहीं देखा स्कूल का मुंह। अंग्रेजी में नींव बेहद कमजोर।



2,117 स्कूलों के पास भवन नहीं



6185 स्कूलों में पीने का पानी नहीं



9160 स्कूलों में पर्याप्त कमरे नहीं।



50 हजार शिक्षकों का इंतजार, उच्च माध्यमिक स्कूलों में कहीं प्रयोगशाला नहीं, कहीं उपकरण नहीं।



शिक्षामंत्री फिर भी उत्साहित, सब ठीक हो जाएगा।


http://www.bhaskar.com/2010/04/02/child-in-rajasthan-831123.html


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