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न्यूज क्लिपिंग्स् | रायपुर में अंबेडकर अस्पताल की चौखट पर रातभर तड़पती रही प्रसूता

रायपुर में अंबेडकर अस्पताल की चौखट पर रातभर तड़पती रही प्रसूता

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published Published on Jun 15, 2014   modified Modified on Jun 15, 2014
रायपुर (निप्र)। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में बीते तीन दिन में डॉक्टर्स द्वारा दो ऐसी बड़ी लापरवाहियां बरती गईं, जिनसे मरीजों की जान पर बन सकती थी। 12 जून को 5 साल की नंदिनी यदु को कुत्ते ने बुरी तरह से नोच खाया था, लेकिन मासूम को अंबेडकर अस्पताल में 5 घंटे भटकने के बाद इलाज नसीब हुआ। वहीं शुक्रवार, 13 जून को दुर्ग जिला अस्पताल से डिलिवरी के बाद स्थिति बिगड़ने पर अंबेडकर अस्पताल रेफर की गई महिला अस्पताल के दरवाजे पर रातभर तड़पती रही।

पूरे 21 घंटे तक दर्द से कराहती महिला की किसी ने सुध नहीं ली। उसे तीन विभागों के डॉक्टर्स ने देखा जरूर, लेकिन न इलाज किया, न भर्ती। शनिवार को दोपहर 12 बजे ‘नईदुनिया’ ने अस्पताल प्रशासन को जब पीड़िता के बारे में जानकारी दी, तब जाकर उसे वार्ड नंबर-10 में भर्ती किया गया है, जहां उसका इलाज जारी है।

अंबेडकर अस्‍पताल का रेफरल टिकट बनाया था

शुक्रवार दोपहर 12.20 बजे दुर्ग जिला अस्पताल में मुदेरी, गुड़रदेही की रहने वाली 22 साल की सुकप्रिता साहू ने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के करीब 2 घंटे बाद उसे छुट्टी दी गई। जैसे ही उसे घर ले जाने के लिए 102 महतारी एक्सप्रेस में बैठाया जा रहा था, वैसे ही खून की उल्टियां शुरू हो गईं। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ने सीधे अंबेडकर अस्पताल का रेफरल टिकट बना दिया।

शाम 4.30 बजे उसे अंबेडकर अस्पताल के सीएमओ ने देखा, जहां सुकप्रिता के पति गजेंद्र ने तकलीफ के बारे में पूरी जानकारी दी। सीएमओ ने वार्ड नंबर 23 भेज दिया यानी महिला सर्जरी विभाग, जहां डॉक्टर्स ने देखा और उसे वार्ड नंबर-18 में दिखाने के लिए कहा यानी नाक-कान-गला विभाग। यहां भी डॉक्टर्स ने यह बताने पर कि उल्टियां क्यों हो रही हैं? उपचार करने के बजाय कहा कि सीधे ट्रामा ले जाओ।

सुकप्रिता को उसके पति गजेंद्र और मां उमा साहू जैसे-तैसे बैठा-बैठाकर ट्रामा लाए। यहां जूनियर डॉक्टर्स ने ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफी और एक्स-रे करवाने के लिए कहा। स्ट्रेचर भी अस्पताल में नहीं थी तो पति और मां ने कंधों का सहारा देकर एक्स-रे रूम ले गए। एक्स-रे हुआ और सोनोग्राफी के लिए कह दिया गया कि सोमवार को आना। भटकते-भटकते रात के 10 बज गए, लेकिन डॉक्टर्स का दिल नहीं पसीजा।

दर्द में भी बच्चे को याद करती रही़

नॉर्मल डिलिवरी होने के बाद सुकप्रिता ने अपने बच्चे को कुछ देर ही देखा, क्योंकि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है। उसे दुर्ग जिला अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है। सुकप्रिता रातभर और लगातार दर्द में रहने के बावजूद अपने बच्चे को याद करती रही।

11 बजे रात में कहा सोमवार को लाना

एक्स-रे करवाने के बाद डॉक्टर्स ने कह दिया कि सोमवार को लेकर आना। दर्द से तड़पती पत्नी को लेकर गजेंद्र रात 11 बजे कहां जाता। शनिवार की सुबह न तो वह चल पा रही थी, न बैठ पा रही थी। अंदाजा लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को उसकी क्या स्थिति रही होगी? उसे रात अस्पताल के दरवाजे के पास गुजारनी पड़ी। जहां गार्ड, मैं आई हेल्प यू और सीएमओ कार्यालय के डॉक्टर्स ने उसे देखा जरूर होगा।

मुझे इस संबंध में जानकारी नहीं है, लेकिन मरीज को उपचार जरूर मिला होगा। ऐसे में अगर मरीज किसी अन्य विभाग में जाएगा तो उपचार कहां मिलेगा। केस जिस विभाग से संबंधित है, उपचार उसी विभाग में होगा। डॉ. एपी पड़रहा, सहायक अधीक्षक, डॉ. अंबेडकर अस्पताल

http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-maternal-suffering-full-night-on-hospital-doorstep-115348


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