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न्यूज क्लिपिंग्स् | रिकॉल का अधिकार के लाभ --- वरुण गांधी

रिकॉल का अधिकार के लाभ --- वरुण गांधी

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published Published on Mar 23, 2017   modified Modified on Mar 23, 2017
‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि अधिकार, प्रतिनिधित्व, नामक मानव-निकाय को दे दिये जायें, तो वे चाहते हैं कि उनके अधिकारों को अन्य कोई व्यक्ति समुदाय के लाभ के लिए प्रयोग न करते हुए केवल अपने लाभ के लिए ही प्रयोग करेगा, यदि वे कर सकते हों.'-जेम्स मिल


​पांचवीं शताब्दी ईसवी पूर्व, प्राचीन एथेनियंस का अपने एक मात्र प्रजातंत्र के तहत एक मात्र सामाजिक रीति-रिवाज के साथ आविर्भाव हुआ.


प्रत्येक वर्ष छठवें या सातवें में सभी पुरुष एथेनियंस से अपने-अपने 10 माह के केलेंडर (जनवरी या फरवरी) की राशि के बारे में उनकी सभा (असेंबली) में पूछा गया था कि क्या वे बहिष्करण को रोकना चाहते हैं. यदि वे हां के पक्ष में मत देते थे, तो स्थानीय विवृत-स्थान (एगोरा) के आरक्षित खंड में दो महीने के बाद बहिष्करण आयोजित किया जाता था. इसके परिप्रेक्ष्य में नागरिकों ने उनके नाम लिखे, जो मृतिका के ठीकरे पर बहिष्करण चाहते थे तथा जिन्हें कब्र में दफन कर दिया गया था.


अध्यक्ष अधिकारियों ने टुकड़ों की गणना की तथा यह मानते हुए कि 6000 से अधिक मत पड़े हैं तथा जिसके निर्वासन के लिए अधिक मत पड़े थे, उस पर शहर में 10 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था. प्रक्रिया तथा न्याय के अभाव में अधिकतर शासक निरंकुश रहे होंगे तथा भ्रष्टाचार से दोषारोपित व्यक्तियों को ऐसी पद्धतियों के माध्यम से निर्वासित कर दिया जाता था.


प्रत्याह्वान (रिकाॅल) के लिए आज का अधिकार ऐसी पद्धतियों का सबसे प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी है. प्रत्याह्वान चुनाव विशेष रूप से एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से मतदाता एक चुने हुए प्रतिनिधि को उसकी कालावधि पूरी होने से पूर्व प्रत्यक्ष मत के माध्यम से हटाने की मांग करते हैं. ब्रिटिश कोलंबिया की कनाडा विधायी सभा ने संसदीय प्रतिनिधि प्रमुख यदि एमएलए है, तो उसको अपने कार्यालय से हटाने के लिए याचिका दायर करने के लिए मतदाता को अनुमति प्रदान करते हुए तत्पश्चात आगामी उप-चुनाव की अनुमति प्रदान की है.


भारत के लिए यह कोई नयी संकल्पना नहीं है. वर्ष 2005 में, छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकायों के तीन प्रमुखों को छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961 के अनुसरण में जनता द्वारा उनके चयन को रद्द किया गया. रिकॉल का अधिकार मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में मौजूद है. गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय सरकार को सलाह दी है कि नगर पालिकाओं, जिलों, तालुकों तथा गांव पंचायतों के स्थानीय निकायों में चुने गये सदस्यों का प्रत्याह्वान करने के अधिकार को प्रवृत करने के लिए अनिवार्य संशोधन कार्यान्वित करें.


​संयुक्त राष्ट्र में रिकॉल प्रक्रिया विशेष रूप से पूरी की जानेवाली आवश्यकताओं (कोरम सहित) विशिष्ट मानदंडों के साथ रिकॉल-याचिका परिचालित करने के आशय के नोटिस के दायर करने से प्रारंभ होती है.


केवल यूके ही रिकॉल की अनुमति देता है, जब अध्यक्ष (स्पीकर) निर्वाचन अधिकारी को नोटिस देता है कि ‘रिकाॅल प्रवर्तित करने'की ‘शर्त' की स्थिति उत्पन्न हुई है. जब रिकॉल याचिका, परिचालित की गयी है, जो कि विशिष्ट समय सीमा में न्यूनतम मतदाताओं की संख्या द्वारा हस्ताक्षरित की गयी है, प्रत्याह्वान किये जानेवाले प्रतिनिधि द्वारा रिक्त किया गया स्थान (सीट) है. तथापि ऐसे नियमों से सहयोजित कानून के प्रवर्तन में उचित ध्यान दिया जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के ध्यान में आया है कि पुश्तैनी हित रिकॉल-चुनावों को परेशान करने के लिए आगे आते हैं.


​चुनाव पुन: कराने के अधिकार को लागू करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए, मैंने संसद-सदस्य के रूप में, अपनी क्षमता में, लोक-प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक, 2016 को प्रस्तुत करने की मांग की है. इस विधेयक में, लोकसभा में तथा संबंधित विधानसभाओं में प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए रिकॉल-याचिका की पुन:स्थापना की मांग की है, जबकि किसी भी रिकॉल के लिए न्यूनतम अवसीमा को ध्यान में रखते हुए इस याचिका पर एक चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं की कम-से-कम एक चौथाई संख्या द्वारा हस्ताक्षर होने चाहिए. यदि रिकॉल-याचिका में सफलता मिल जाती है, तो उप-चुनाव के संचालन द्वारा चुनाव-आयोग द्वारा प्रक्रिया का निरीक्षण करते हुए, हस्ताक्षरों की जांच की मांग की गयी है.


​ऐसा अधिकार मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मानार्थ है- निश्चित रूप से यदि मतदाता गैर-निष्पादन के मामले में, एक प्रतिनिधि को चुनते हैं, तो उनका यह भी अधिकार है कि उसे निर्वाचित पद से हटा दिया जाये. ऐसे अधिकार के मद्देनजर यह ऊर्ध्व उत्तरदायित्व सुनिश्चित किये जाने के तंत्र की पेशकश है.


इस अधिकार के प्रादुर्भाव से राजनीति के अपराधीकरण के साथ भ्रष्टाचार पर सार्थक रोक लगेगी. हमारा परिवर्तनशील संस्थागत कार्य-ढांचा वैयक्तिक प्रशंसा के लिए उन प्रोत्साहनों तथा अवसरों पर प्रभाव डाल सकता है, जो हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों को सौंपे गये हैं. अनेक अध्ययन इस पर प्रकाश डालते हैं कि वे चुने हुए प्रतिनिधि जो चुनाव के लिए तैयार नहीं हैं, उनसे भिन्न-भिन्न रूप से व्यवहार करते हैं, जो आर्थिक-विकास विशेष रूप से अधिक तथा कर वाला, खर्च करने तथा उधार लेने की लागत पुन: चुनाव से कम है.


उन पात्र पदधारी नियत अवधि सीमा के तहत प्रचालन के मिस्र के मामले को देखें- वहां के नागरिकों ने वर्ष 2011 में मुबारक को हटा कर शासकों के रिकॉल (पुन: चुनाव) की मांग सफलतापूर्वक की है और वर्ष 2013 में मोरसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर हटाया गया. मिस्र में किये गये एक अध्ययन ने यह प्रस्तुति की कि वे भूभाग जिन्होंने रिकॉल को समर्थ बनाया, उनमें रिकॉल याचिकाओं की संख्या अधिक मात्रा में थी और ईमानदार अधिकारी भी आंदोलन में थे.


ऐसे स्थानों पर भ्रष्टाचार की संस्कृति रिकॉल उपचारों से महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुई है. रिकॉल की प्रक्रिया को अपनाने से चुनाव अभियानों के खर्चों पर भी लगाम लगेगी, क्योंकि नैतिक रूप से अक्षम उम्मीदवार का आकलन रिकॉल में किया जाता है. इस अधिकार से हमारे देश में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र जन्मेगा और सुलभता व्यापक होंगी तथा समावेशिता में वृद्धि होगी.


http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/957834.html


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