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न्यूज क्लिपिंग्स् | लड़कियां खौफ से करती हैं बंधुवा मजदूरी- रणजीत वर्मा

लड़कियां खौफ से करती हैं बंधुवा मजदूरी- रणजीत वर्मा

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published Published on Apr 4, 2013   modified Modified on Apr 4, 2013
बीते सप्ताह तीन ऐसे मामले सामने आये जिससे पता चलता है कि नाबालिग लड़कियों को घर की मजबूरी या मालिक की जबरदस्ती की वजह से घरेलू नौकर बनाकर रखना आम बात हो गयी है। मामला रसूखदार परिवार का हो तो केस दर्ज करने से पुलिस भी घबराती है।

पहला वाकया दो मार्च का है जब कांग्रेस पार्टी के नेता और प्रमुख व्यवसायी में गिने जानेवाले निवारणपुर निवासी चंचल चटर्जी के घर से नाबालिग सुषमा भागी भागी थाना पहुंची, मारपीट, ज्यादतियों की रिपोर्ट लिखवाने। कुछ स्थानीय लोगों के मुताबिक उस वख्त लड़की मात्र कुछ चिथड़ों में लिपटी थी। अब कांग्रेस पार्टी की एक जांच कमेटी बनायी गयी है जो इस मामले पर रिपोर्ट पेश करेगी।

इस बीच सुषमा को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने प्रस्तुत कर परिजनों को सौंप दिया गया। आरोपी चंचल चटर्जी पर धारा 323 (मार पीट), 370 (गुलाम की तरह काम करवाना), 374 (गैरकानूनी तरीके से सहमति के बिना काम करवाना), 23 (जुविनायल जस्टिस एक्ट) जेजे अधिनियम और धारा 14 (बाल श्रम निषेध अधिनियम) के तहत मामला दर्ज हुआ है। गिरफ्तारी नहीं हुई है।

इधर, चार मार्च(2013) की देर शाम, यानी पहली घटना के दो दिन बाद धुर्वा इलाके से दो बच्चियों को सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों ने मुक्त करवाया। उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सुकरो कुमारी (12 साल) को अशोक राय के क्वार्टर नंबर सीडी 79/खखख से जबकि सुनिता कुमारी (12 साल) को सीडी 78/खखख से बाहर निकाली गयीं। लगाये गये आरोपों के मुताबिक दोनों बच्चियों को घर में बंद रखकर बंधुवा मजदूर की तरह काम करवाया जाता था। बाहर जाने आने की छूट नहीं थी। दोनों बच्चियों का बयान लेने के बाद श्रम न्यायालय में बाल मजदूरी करवाने के जुर्म में मालिकों पर 20 हजार रूपया जुर्माना लगाया। दोनों बच्चियों को परिवारवाले वापस घर ले गये। जिसमें एक बच्ची की शादी करवा दी जायेगी।

सुकरो खूंटी में कर्रा प्रखंड में सांगोर की रहनेवाली है। उसने न्यूज विंग को बताया कि धुर्वा के सेक्टर दो में अशोक राय के घर से उसे एक योजना बनाकर छुड़ाया गया। पिछले साल (2012) दीपावली से पहले उसे घर का काम करने रांची लाया गया। सुकरो ने कहा, पिताजी ने किसी दूसरे से कर्जा लिया था। हम सोचे थे कि काम करके पैसे ...। पर हम किसी के घर नहीं आये ...। उसे जेली नाम के स्थानीय व्यक्ति ने पैसे का लालच देकर रांची लाया। यह कहते हुए कि इससे उसके पिता का उधार चुकता हो जायेगा। पिता से कहा गया कि बेटी को अच्छा खाना पीना मिलेगा। सुकरो ने आगे कहा कि गांव के स्कूल में दूसरे क्लास में पढ़ती थी। पर रांची आने के बाद पढाई छूट गयी। उसने बताया कि सर और मैडम घर पर पोछा, छाड़ू, बर्त्तन के अलावा घर के बाकी सारे काम करवाते थे। सुनीता आगे बताती है कि मारने के बाद वह गुस्सा होकर एकदम शांत हो जाती, एकदम चुपचाप। इसपर भी उसे पीटा जाता। थप्पड़ मारा जाता।
दूसरी बच्ची खुर्रा (गढवा) से आयी सुनीता संजीत नाम के आदमी के साथ मकर संक्रांति के दिन रांची लायी गयी। उसे अच्छे अच्छे कपड़ों का लालच दिया गया। यहां धुर्वा स्थित सीडी 78/खखख में राकेश सिंह के घर का सारा काम कर रही थी। जैसा उसने बताया कि मालिक उससे तेल मालिश करवाते थे। कुछ गलती करने पर पिटाई की जाती थी। खाने को आलू, चावल, रोटी मिलता था। घर पर उसे ज्यादा खाना खाने का ताना सुनना पड़ता। उसने आगे कहा कि हम विरोध नहीं करते थे। वो लोग बड़ा बड़ा आदमी है तो कैसे बोलेंगे?

पोक्टा कानून के तहत दर्ज हो मामला : बैद्यनाथ
दीया सेवा संस्थान के सदस्य बैद्यनाथ कुमार ने कहा कि इन क्वार्टरों में बच्चों को सेक्सुअल अब्यूस किया जाता था। यानी उनके सामने मालिक का कपड़े खोलकर आना। अपने शरीर में तेल लगवाना, मालिश करवाना। ये पूरी तरह से सेक्सुअल अब्यूस का मामला बनता है। इसके तहत पोक्टा कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए्। जिसमें आरोपियों को खुद को निर्दोष साबित करना होता है। रांची में चाइल्डलाइन हालत देखिये कि ये सालों से बंद है। बाल संरक्षण आयोग का गठन हुआ है लेकिन वो भी कागजों में सिमटकर रह गया है। अगर बाल अधिकार का हनन इसी प्रकार होता रहा तो बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कोई मतलब नहीं रहा।

केस रजिस्टर्ड करवाना टेढी खीर : शालिनी संवेदना
लोक स्वर संस्था शालिनी संवेदना का बच्चियों को मुक्त करवाने में तत्परता दिखायी इस दौरान उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कर्रा की रहनेवाली सुकरो को लानेवाला सुरेन्द्र स्वासी का पेशा ही है कि लड़कियों को बेचना। जबकि सुनीता को लानेवाला संदीप उरांव गढवा में सहिया का बेटा है। उसने भी बच्ची को रांची में बेचा दिया था। शालिनी ने कहा कि दानों लड़कियों के अभिभावकों की काउंसीलिंग किया गया। ताकि उन्हें आगे पढाया जा सके। पर वो राजी नही हुए्। उन्होंने कहा कि पुलिस केस रजिस्टर्ड नहीं कर रही थी। इससे पहले कुछ दबंग लोगों ने हमारे घर पर हमला किया गया। पूरी व्यवस्था का ये हाल है। आखिरी में केस सीआईडी सेल में बयान लेने के बाद एसएसपी को सौंपा गया। बाद में एसएसपी ने थाना में केस रजिस्टर्ड दर्ज करने का आदेश दिया। तब केस रजिस्टर्ड हुआ।


http://newswing.com/node/2312


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