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न्यूज क्लिपिंग्स् | विकासशील देशों का हो ध्यान - जोसफ़ इ स्टिग्लिज

विकासशील देशों का हो ध्यान - जोसफ़ इ स्टिग्लिज

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published Published on Jun 10, 2011   modified Modified on Jun 10, 2011

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को नया मैनेजिंग डायरेक्टर उम्मीद से पहले मिल जायेगा. मैं पिछले एक दशक से इस संगठन के गवर्नेस की आलोचना करता रहा हूं. जिस प्रकार इसके प्रमुख का चुनाव होता है, वह संगठन की खामियों को दर्शाता है. संगठन के प्रमुख शेयर धारकों (जी-8) के बीच सहमति है कि आइएमएफ़ का मैनेजिंग डायरेक्टर यूरोपियन, नंबर दो अमेरिकन और विश्व बैंक का प्रमुख भी वही होगा. विकासशील देशों से सिर्फ़ दिखावे के लिए वार्ता कर यूरोपियन अपने प्रत्याशी का चुनाव परदे के पीछे करते है और ऐसा ही अमेरिका भी करता है. हालांकि इसका परिणाम कभी-कभी न तो आइएमएफ़, न ही विश्व बैक या विश्व के लिए अच्छा होता है.

विश्व बैंक के प्रमुख पद पर सबसे खराब चुनाव इराक युद्ध के मुख्य कर्ताधर्ता पॉल वॉलफ़ोटिज का रहा है. इस पद से लिए गये उनके फ़ैसले इराक युद्ध में हुई अमेरिका की गलतियों जैसे ही रहे. जब वे विश्व बैंक के प्रमुख रहे तो उनका मुख्य एजेंडा भ्रष्टाचार को दूर करना था, लेकिन दूसरों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगने के बाद उन्हें बीच में ही पद छोड़ना पड़ा. अंतत अमेरिका में आयी आर्थिक मंदी के बाद जी-20 देश आइएमएफ़ प्रमुख का चुनाव खुले और पारदर्शी तरीके से करने को राजी हो गये. इससे ऐसा अनुमान लगाया गया कि इस प्रक्रिया का मकसद विकासशील देशों से आइएमफ़ प्रमुख का होना था. आइएमएफ़ का मुख्य काम वित्तीय संकटों से लड़ना है. ऐसे अधिकांश संकट विकासशील देशों में 30 साल पहले खुलेपन और उदारीकरण की गलत नीतियां अपनाने के बाद देखने में आये हैं. उभरते बाजारों में इन संकटों के बाद कई हीरो उभरे. आर्थिक संकटों को सावधानी से निबटाना चाहिए. आइएमएफ़ और अमेरिकी वित्त विभाग के गलत प्रबंधन के कारण 1997 में पूर्व ऐशिया में आया संकट आर्थिक मंदी में बदल गया और फ़िर यह मंदी तनाव में बदल गयी. आज विश्व ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति सहन नहीं कर सकता है. आज यूरोप में संकट सिर पर है, जहां यूरोपियन सेंट्रल बैंक अपनी व अन्य यूरोपीय बैंकों की बैलेंसशीट को सामने रख रहे हैं. इन बैंकों ने आयरलैंड, ग्रीस और पुर्तगाल से भारी कर्ज ले रखा है, पर बैंकों को उन देशों के नागरिकों की चिंता नहीं है. इस कर्ज का पुनर्गठन होना चाहिए. पहले ही सावधानी बरतने की बजाय अब यूरोपियन सेंट्रल बैंक इन बैंकों को किसी भी प्रकार के पुनर्गठन के खिलाफ़ चेतावनी दे रहा है. यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कर्ज पुनर्गठन नहीं करने की चेतावनी देने में थोड़ी देर कर दी है. इसीबी को ऐसी स्थिति आने से पहले ही कुछ निर्णय लेने चाहिए थे. सिर्फ़ विचार करने की बजाय इसीबी को बैंकों को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए था, ताकि बैंकों की स्थिति खराब न हो पाये. अब इसीबी को कैसे सभी को मदद देनी है, इसके बारे में विचार करना चाहिए. यह मदद सिर्फ़ बैंकरों, जिन्होंने बांड खरीदे हैं, तक सीमित नहीं होनी चाहिए. नये सोच में पहली प्राथमिकता लोगों और फ़िर बैंक के शेयरधारकों और बांड धारकों को मिलनी चाहिए. अगर कठिन पुनर्गठन से बैंक के शेयर धारक और बांड धारक का पूरा भी नुकसान हो जाये, फ़िर भी बैंकों, करधारकों और नागरिकों के हितों को बचाया जा सकता है. क्या आइएमएफ़ के अगले मैनेजिंग डायरेक्टर इन मामलों को सुलझा पायेंगे और क्या वित्तीय गड़बड़ी को खर्च में कटौती कर ठीक किया जा सकता है?

पूर्व ऐशिया, लैटिन अमेरिका और अन्य देशों में आइएमएफ़ की विफ़लता के बावजूद उभरते बाजारों को संकट से बचाने की क्षमता इसमें हैं. आइएमएफ़ एमडी के कुछ प्रमुख दावेदारों (विकसित और विकासशील दोनों देशों में) को वहां की सरकारों का समर्थन हासिल नहीं है. जबकि जीतने के लिए यह राजनीतिक प्रक्रिया जरूरी है. उभरते बाजारों के अन्य योग्य उम्मीदवार मैदान में उतरने के प्रति गंभीर नहीं हैं, क्योंकि यह काफ़ी कठिन काम है. मैं भी आइएमएफ़ प्रमुख को विकासशील देशों और उभरते बाजारों से देखना चाहता हूं. पहली प्राथमिकता वैसे व्‍यक्ति की होनी चाहिए जो पारदर्शिता में भरोसा रखता हो और अनुभवी हो, ताकि सुधार की गति को आगे बढ़ाया जा सके. प्रमुख कोई भी बने, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चुनाव की प्रकिया को खुला और पारदर्शी बनाने की पहल करनी चाहिए. जैसे सरकारों से पूछने की बजाय अंतरराष्ट्रीय कमेटी को नामों का चयन करना चाहिए. कई योग्य उम्मीदवारों को सरकारों का समर्थन नहीं मिलता, क्योंकि वे उनकी पसंद नहीं होते हैं. उसी तरह वोटिंग प्रक्रिया में भी बदलाव की जरूरत है. देशों द्वारा खुले में वोटिंग होनी चाहिए. साथ ही विकासशील और उभरते बाजारों का बहुमत हासिल करना अनिवार्य कर देना चाहिए. इससे इन देशों के अधिक उम्मीदवार सामने आयेंगे.

अब उम्मीदवारों द्वारा खुले तौर पर प्रचार अभियान चलाया जा रहा है. यह सही दिशा में उठाया गया कदम लगता है. सबको उम्मीद है कि प्रचार के दौरान किये गये वादे प्रमुख के कामों में बाधक नहीं होंगे, जैसा कि चुनावी राजनीति में होता है. आइएमएफ़ के मैनेजिंग डायरेक्टर की एक प्रमुख दावेदार फ्रांस की वित्त मंत्री क्रिसटिन लागार्डे हैं. उन्होंने मंदी से देश को निकालने में सराहनीय काम किया था. वे वित्तीय क्षेत्र में सुधारों की प्रबल समर्थक हैं और उनके सहयोगी भी उनके काम के मुरीद हैं.

राजनीति हमेशा अच्छे उम्मीदवारों के लिए बेहतर नहीं होती है. लेकिन विश्व को इस बात के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए कि मैदान में एक बेहतर उम्मीदवार है. उनका जन्म कहां हुआ, यह उनके चुनाव में बाधक नहीं होना चाहिए. (प्रोजेक्ट सिंडिकेट)


http://www.prabhatkhabar.com/node/13358?page=show


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