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न्यूज क्लिपिंग्स् | वित्त वर्ष ख़त्म होने में सिर्फ़ तीन महीने बाकी, अल्पसंख्यक मंत्रालय का 70 फीसदी बजट ख़र्च नहीं हुआ

वित्त वर्ष ख़त्म होने में सिर्फ़ तीन महीने बाकी, अल्पसंख्यक मंत्रालय का 70 फीसदी बजट ख़र्च नहीं हुआ

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published Published on Dec 19, 2019   modified Modified on Dec 19, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत केंद्र के कई मंत्रियों एवं भाजपा नेताओं ने समय-समय पर ये दावा किया है कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काफी काम कर रही है. ये स्थिति तब है जब पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को ज्यादा बजट का आवंटन किया है.

हालांकि विकास करने के सरकार के ये दावे सवालों के घेरे में तब आ जाते हैं जब पता चलता है कि आवंटित की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा खर्च नहीं हो पाया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए जितने बजट का आवंटन किया गया है उसके मुकाबले काफी कम राशि खर्च हो पाई है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 को खत्म होने में करीब तीन महीने का समय बचा है, लेकिन मंत्रालय ने आवंटित किए गए कुल बजट में से 30 फीसदी से भी कम राशि खर्च किया है.

हाल ही में अपडेट किए गए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019-20 के लिए कुल 4,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन इसमें से सिर्फ 1,396.48 करोड़ रुपये खर्च हो पाए हैं. इन आंकड़ों को विस्तृत तरीके से देखें तो स्थिति काफी चिंतनीय है.

मंत्रालय को मुख्य रूप से पांच कार्यों- शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण, अल्पसंख्यक सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्यों, क्षेत्र विकास कार्यों और संस्थाओं के सहयोग के लिए बजट दिए जाते हैं.

हालांकि दस्तावेजों से पता चलता है कि अल्पसंख्यकों के विकास के लिए जरूरी योजनाओं पर ही काफी कम पैसे खर्च हो रहे हैं. सरकार ने इनके मुकाबले औसतन ज्यादा राशि हज और अल्पसंख्यक मंत्रालय से जुड़े सचिवालयों में खर्च किया है. इस साल सबसे कम पैसे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किए गए हैं.
 
शिक्षा की स्थिति
वित्त वर्ष 2019-20 में अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा के लिए 2362.74 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. लेकिन 30 नवंबर 2019 तक इसमें से सिर्फ 421.33 करोड़ रुपये की राशि खर्च हो पाई है. यानी कि सरकार ने इस काम के लिए आवंटित राशि का सिर्फ 17.83 फीसदी ही पैसा अब तक खर्च किया है.
 
आर्थिक विकास पर खर्च
अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण या आर्थिक विकास के लिए मुख्य रूप से तीन योजनाएं- स्किल डेवलपमेंट, उस्ताद (हुनर हाट) और नई मंजिल चल रही हैं. इन तीनों कार्य के लिए साल 2019-20 में कुल 440 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

हालांकि अब तक 91.35 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. ये आंकड़ा आवंटित राशि का सिर्फ 20 फीसदी ही है. इतना ही नहीं, पिछले साल और उससे भी पिछले सालों में इन कार्यों के लिए जितनी राशि आवंटित की गई थी वो भी अभी तक खर्च नहीं हो पाई है.
 
विशेष योजनाओं का अल्पसंख्यकों को कितना लाभ मिला 
शिक्षा एवं आर्थिक विकास के अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के सशक्तिकरण के लिए विशेष पहल के तहत केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. इसमें अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व विकास के लिए ‘नई रोशनी’ योजना, पारसी समुदाय की जनसंख्या में गिरावट के लिए ‘जीओ पारसी’ योजना, ‘हमारी धरोहर’ योजना और विकास योजनाओं पर शोध/स्टडी, मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन के लिए योजनाएं शामिल हैं.

इन कार्यों के लिए साल 2019-20 में कुल 87 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. हालांकि 30 नवंबर 2019 तक सिर्फ 4.75 करोड़ रुपये यानी कि सिर्फ 5.45 फीसदी राशि ही खर्च हो पाई है. मुस्लिम महिलाओं में नेतृत्व विकास के लिए 15 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और इसमें से अब तक सिर्फ 46 लाख रुपये ही खर्च हो पाए हैं.
पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

धीरज मिश्रा, द वायर हिंदी


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