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न्यूज क्लिपिंग्स् | शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग

शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग

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published Published on Oct 6, 2015   modified Modified on Oct 6, 2015
विनोद सिंह, जगदलपुर (ब्यूरो)। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे के लिए निजी एजेंसी से निविदा बुलाई है। पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन निजी एजेंसी से कराने निविदा बुलाई जा चुकी है।

अब तक जल संसाधन विभाग में योजनाओं के निर्माण के लिए सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने का काम विभाग के इंजीनियर ही करते रहे हैं, लेकिन अब यह काम निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया है। राज्य शासन द्वारा इस संबंध में आदेश इस साल अगस्त में ही जारी कर दिया गया है। विभागीय इंजीनियरों द्वारा तैयार ऐसे सभी सर्वेक्षण व प्राक्कलन को आउट सोर्सिंग से कराने पुनः तैयार कराया जा रहा है।

पता चला है कि महानदी परियोजना जिसके अंतर्गत बस्तर संभाग भी आता है, में सर्वे के लिए आठ निजी एजेंसियां भी तय कर ली गई हैं। इसके लिए इन्हीं आठ एजेंसियों को निविदा जमा करने का अधिकार होगा। जल संसाधन विभाग में आउट सोर्सिंग के निर्णय पर इंजीनियरों में नाराजगी भी दिख रही है।

प्रतिबंध हटा

राज्य सरकार ने 27 अगस्त 2015 को सर्वे और प्राक्कलन का कार्य विभागीय अमले की जगह आउटसोर्सिंग से ही कराने का आदेश जारी कर दिया है। विभाग ने इस आदेश का परिपालन करते हुए सर्वे व प्राक्कलन के लिए निविदाएं जारी की हैं। ज्ञात हो कि 24 अप्रैल 2001 के आदेश में ऐसे किसी भी कार्य पर प्रतिबंध लगाया गया था।

लागत पांच गुना तक बढ़ने का अंदेशा

आउटसोर्सिंग का रास्ता खुलने के बाद एकाएक सर्वेक्षण पर आने वाली लागत राशि में चार से पांच गुना तक वृद्धि होने की स्थिति पैदा हो गई है। आउटसोर्सिंग के जरिए काम लेने वाली एजेंसी के इंजीनियर, सर्वेयर व अन्य स्टॉफ के वेतन-भत्ते व अन्य खर्चे इसमें जोड़ने से ऐसी स्थिति बनी है। पोलावरम बांध से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान के सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा तय एक करोड़ रुपए के बजट के विरुद्ध आउटसोर्सिंग से आने वाली एजेंसियों ने निविदा ढ़ाई से लेकर चार गुना तक भरी है।

बेलगांव में इंद्रावती नदी के तटरक्षण कार्य के सर्वेक्षण के लिए विभाग की ओर से जहां पहले 68 हजार रुपए का प्राक्कलन तैयार कर भेजा गया था वहीं अब इसी काम का नया इस्टीमेट चार गुना बढ़कर पौने तीन लाख रुपए पहुंच गया है। बस्तर जिले में ही अकेले पचास से अधिक योजनाओं के सर्वेक्षण का काम पेंडिंग है जिसे आउटसोर्सिंग से कराने की तैयारी है।

अमला फिर भी आउटसोर्सिंग

जल संसाधन विभाग के पास संभाग में पर्याप्त अमला है। यही अमला सर्वे करता आ रहा है। इंजीनियरों की कमी न होने के बावजूद सर्वे व डीपीआर के लिए आउटसोर्सिंग का निर्णय विभागीय अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं। विभागीय इंजीनियर शासन के इस निर्णय पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं।

'विभागीय सर्वे कार्य अब आउट सोर्सिंग से संपादित कराए जाएंगे। अभी यह काम विभाग के इंजीनियर करते थे। अब वे केवल सुपरविजन करेंगे। नई व्यवस्था इसी माह से लागू हो गई है।' -प्रमोद राजपूत, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग जगदलपुर

 


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