Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | सामाजिक योजनाओं के भ्रष्टाचार से बड़ी चुनौती हैं कॉरपोरेट घोटाले : ज्यां

सामाजिक योजनाओं के भ्रष्टाचार से बड़ी चुनौती हैं कॉरपोरेट घोटाले : ज्यां

Share this article Share this article
published Published on Apr 21, 2014   modified Modified on Apr 21, 2014
ग्रामीण विकास व ग्रामीण योजनाओं पर प्रसिद्ध अथर्शास्त्री ज्यां द्रेज के नजरिये व सोच को जानना महत्वपूर्ण है. वे इन विषयों का बारीक अध्ययन व विेषण करते हैं. बेल्जियम मूल के ज्यां द्रेज भारत में 1979 से रह रहे हैं. 2002 में उन्होंने भारत की नागरिकता ली. वे देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से भी जुडे रहे हैं. मनरेगा, खाद्य सुरक्षा व निचले स्तर के भ्रष्टाचार पर उनकी गहरी समझ है. वे मानते हैं कि मनरेगा ने श्रमिकों को संगठित होने का अवसर दिया, भोजन के अधिकार  व खाद्य सुरक्षा कानून को एक न समझने की बात कहते हैं और बाहरी दुनिया से गांव के लोगों के संपर्क को वे आजादी का एक साधन भी मानते हैं. ज्यां द्रेज ने पंचायतनामा के लिए शिकोह अलबदर के सवालों का जवाब दिया. 
 
21वीं सदी में गांवों में क्या विकास हुए हैं. ऐसी क्या चीजें हैं जिसने गांवों में बदलाव लाया है?
 
गांव एक सदी में एक कैलेंडर के पन्ने की तरह नहीं बदल जाते हैं. हां यह बात जरूर है कि गांवों में पिछले सौ सालों में अन्य तरह से बदलाव आये हैं. उदाहरण के लिए, आज के समय में गांव व्यापक दुनिया से अधिक एकीकृत हुए हैं. गांव में रहने वाले लोग काम के लिए नजदीक के शहर में आना-जाना करते हैं या दूर स्थान की यात्र करते हैं. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो भी वे समाचारपत्र, टेलीविजन, टेलीफोन तथा संचार के दूसरे माध्यमों से बाहरी दुनिया से जुड़े होते हैं. इसके सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलू हैं. बाहरी दुनिया से अधिक संपर्क शोषण का एक माध्यम हो सकता है, लेकिन आजादी का एक साधन भी है. व्यक्तिगत तौर पर मैं डॉ आंबेडकर के नजरिये को साझा करना चाहूंगा कि भारतीय गांव दलित, महिलाओं तथा भूमिहीन मजदूरों तथा हाशिये पर रह रहे दूसरे समुदाय के लिए बहुत कठिन तथा दमघोंटू होते थे. ये एक तरह से जेल के समान थे और यदि इस जेल की दीवार टूट रही है तो यह बुरा नहीं है.
 
क्या आप यह सोचते हैं कि मनरेगा तथा सूचना का अधिकार ने गांवों को बहुत हद तक बदला है. गांवों में किस स्तर पर बदलाव हुए हैं?
 
मनरेगा सामाजिक बदलाव के लिए एक मजबूत हथियार के रूप में उभर कर सामने आया है, उन जगह जहां मजदूरों ने इस कानून के सहारे स्वयं को संगठित किया है. अभी तक ऐसा कुछ ही क्षेत्रों में हुआ है, जैसे बिहार के मुजफ्फरपुर, उत्तरप्रदेश के सीतापुर तथा मध्यप्रदेश के बड़वानी में. लेकिन आशा है, यह संगठित काम अगले कुछ सालों में तेज हो सकेगा. सूचना का अधिकार सामूहिक संगठन पर कम निर्भर है. इस अधिकार ने लाखों लोगों को सत्ताधारी से सवाल करने के लिए सशक्त बनाया है. भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के लिए कोई भी किसी समय इस अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है या सरकार को लोगों को अधिक उत्तरदायी बनाने के लिए कार्य कर सकता है. इन कानूनों ने महत्वपूर्ण बदलाव लाया है, लेकिन इससे भी अधिक बदलाव होने की संभावना है, विशेष रूप से यदि इन्हें आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को समेकित करने के अन्य प्रयासों के साथ जोड़ा जाये. 
 
भोजन के अधिकार से गांवों के विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 
 
भूख, कुपोषण व असुरक्षा के माहौल में  विकास बहुत कठिन है. भोजन का अधिकार के महत्वपूर्ण होने के पीछे यह एक कारण है. अच्छा पोषण अपने आप में बहुत मूल्यवान है. 
भोजन के अधिकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के साथ नहीं उलझाना चाहिए. इस कानून को यदि सही रूप  से लागू किया जाता है तो भोजन का अधिकार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा. लेकिन यह कानून इस अधिकार के केवल एक छोटा सा अंश है.
 
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर आपका क्या नजरिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की पहुंच से भ्रष्टाचार बढ़ा है अथवा कम हुआ है इस विषय पर आपकी क्या सोच है?
 
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार शक्तिहीन लोगों के शोषण का एक रूप है.  शिक्षा के प्रसार के साथ लोग शोषण का प्रतिरोध करना सीख रहे हैं. उदाहरण के लिए, अब मनरेगा मजदूरों या राशन कार्ड धारियों को बीस साल पहले की तरह खुल्लम खुल्ला तरीके से ठगा जाना संभव नहीं है. हाल ही में हुए आंध्रप्रदेश में सामाजिक अंकेक्षण से लेकर छत्तीसगढ़ में जन वितरण प्रणाली में सुधारों ने यह दर्शाया है कि सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है. निकट भविष्य में एक बड़ी चुनौती सामाजिक योजनाओं में भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि कॉरपोरेट घोटाले हैं. 
 
सरकार की बहुत सारी योजनाएं हैं, लेकिन ऐसा महसूस किया गया है कि योजनाओं की सही तरीके से मॉनीटरिंग नहीं होती है. इस पर आपके क्या विचार हैं. बेहतर अनुश्रवण के लिए आप अपनी सलाह भी साझा करें ताकि ग्रामीणों को योजनाओं का अधिक लाभ मिल सके? 
 
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है.  टेक्नोलॉजी का प्रयोग, शिक्षा के प्रसार व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सूचना का अधिकार जैसे कानून  भ्रष्टाचार कम करने में सहायता करते हैं. लेकिन मैं समझता हूं कि जो लोग भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं उनको सशक्त बनाना  अत्यंत आवश्यक है. उन्हें अपने अधिकारों को जानने की जरूरत है. उनकी जिंदगी को प्रभावित करने वाली नीतियों, निर्णयों इत्यादि में उनकी भागीदारी की आवश्यकता है. उनके पास आसान तरीकों से अपनी शिकायतों को व्यक्त  करने के माध्यम होने चाहिए. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, इन शिकायतों पर कार्रवाई होने की गारंटी. अगर वे सभी लोग जो इन योजनाओं से प्रभावित होते हैं, और न कि सरकारी निरीक्षक, निरीक्षक प्रणाली का भाग बने, तो व्यवस्था बहुत सुधर सकती है.

http://www.prabhatkhabar.com/news/107869-corporate-social-schemes-are-a-major-challenge-corruption-scandal-jean.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close