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न्यूज क्लिपिंग्स् | सूचना कानून से ऊपर है अस्पताल

सूचना कानून से ऊपर है अस्पताल

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published Published on Jun 15, 2010   modified Modified on Jun 15, 2010
भोपाल. केस-1 भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने सूचना के अधिकार के तहत भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में मरीजों को दी जा रही दवा व स्टाफ के बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने गोविंदपुरा एसडीएम कार्यालय के मार्फत आवेदन लगाए थे। बीएमएचआरसी प्रशासन ने एसडीएम वृंदावन सिंह को लिखित में आरटीआई कानून लागू न होना बताकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।

केस-2 गैस पीड़ित राकेश लोधी ने अपने बेटे तनिष्क के इलाज से संबंधित जानकारी के लिए सूचना के अधिकार के तहत गत मार्च में बीएमएचआरसी में आवेदन दिया था। अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों ने उनका आवेदन यह कह कर लौटा दिया कि संस्थान का संचालन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ट्रस्ट करता है। इस कारण यहां आरटीआई कानून लागू नहीं होता।



केस-3 भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने गैस पीड़ितों को दिए जा रहे उपचार, दवाओं, विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति आदि को लेकर सूचना के अधिकार के तहत बीएमएचआरसी से जानकारी मांगी थी। सुश्री रचना के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन ने जानकारी देने से मना कर दिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि ट्रस्ट आरटीआई के दायरे में नहीं आता और वह कोई जानकारी नहीं देगा।



यदि कोई गैस पीड़ित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में खुद के इलाज के दौरान दी गई दवाओं की जानकारी, इलाज करने वाले डॉक्टरों के नाम और उपचार के दौरान हुए चिकित्सकीय परीक्षणों की रिपोर्ट जानना चाहता है तो उसे यह जानकारी नहीं मिलेगी।



वजह- बीएमएचआरसी में सूचना का अधिकार (आरटीआई) 2005 का लागू न होना है। यह स्थिति भी तब है जबकि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एएम अहमदी बीएमएचआरसी ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। बीएमएचआरसी का तर्क है कि ट्रस्ट की मॉनीटरिंग का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है।



उल्लेखनीय है कि गैस पीड़ितों के उपचार के लिए यूनियन कार्बाइड की संपत्ति बेचकर 150 करोड़ रुपए से इस अस्पताल का निर्माण किया गया है। अस्पताल प्रबंधन के पास कॉर्पस फंड के रूप में अभी 500 करोड़ रुपए हैं।सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाहने वाले अधिकांश गैस पीड़ित वह हैं, जो अस्पताल के इलाज और चिकित्सकीय व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं हैं।



वह अन्य चिकित्सकीय विशेषज्ञों से परामर्श करने की खातिर मेडिकल दस्तावेज चाहते हैं, लेकिन उन्हें यहां से टरका दिया जाता है। अस्पताल में जिन गैस पीड़ितों की इलाज के दौरान मृत्यु हुई, उनके परिजन अपनी शंकाओं के समाधान के लिए जानकारी चाहते हैं। उन्हें भी अस्पताल प्रशासन तरह-तरह की दलील देकर रवाना कर देता है।



अस्पताल में गैस पीड़ितों के इलाज से संबंधित दस्तावेज और अन्य चिकित्सकीय रिपोर्ट को वहीं रखा जाता है। इस मामले में प्रयत्न संस्था के अजय दुबे का कहना है कि अस्पताल में पारदर्शिता होनी चाहिए। मांगी गई जानकारी देने से इनकार करना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। वे अस्पताल प्रशासन के निर्णय से हतप्रभ हैं,क्योंकि मांगी गई चिकित्सकीय जानकारियां मानव जीवन से जुड़ी हुई हैं।



जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं



बीएमएचआरसी के वर्किग ट्रस्टी अजीज अहमद सिद्दीकी का कहना है कि अस्पताल का संचालन ट्रस्ट कर रहा है। संस्थान के मुख्य ट्रस्टी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एएम अहमदी हैं। श्री अहमदी अस्पताल में मरीजों को दिए जा रहे इलाज की निगरानी करते हैं। इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को नियमित रूप से भेजी जाती है। श्री सिद्दीकी ने बताया कि अस्पताल में आरटीआई एक्ट के तहत हम किसी को जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं हैं।



शिकायत मिली



इस मामले में राज्य सूचना आयोग के सूत्रों का कहना है कि भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा की एक शिकायत मिली है। शिकायत का आयोग जल्द ही परीक्षण करेगा।



लागू होता है एक्ट



बीएमएचआरसी पर आरटीआई एक्ट लागू होता है। इसके तहत अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों को मांगी गई सूचना संबंधित व्यक्ति को देनी चाहिए। प्रबंधन द्वारा ऐसा न किया जाना एक्ट का उल्लंघन और एक्ट के विरुद्ध है।



विजय चौधरी, सदस्य, स्टेट बार काउंसिल, मध्य प्रदेश



नहीं दी जानकारी



गैस पीड़ित अब्दुल जब्बार ने बीएमएचआरसी में मरीजों को दी जा रही दवाओं और अस्पताल का अकाउंट देखने के लिए आवेदन किया था। अधिकारियों ने संस्थान को आरटीआई के दायरे से बाहर होना बताया।ज्‍जवृंदावन सिंह, एसडीएम गोविंदपुरा



शिकायत करेंगे



बीएमएचआरसी में पारदर्शिता नहीं है। यहां के अधिकारी सूचना का अधिकार लागू न होना कहकर मांगी गई जानकारी नहीं देते। इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग में की जाएगी।ज्‍जअब्दुल जब्बार, संयोजक, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन


http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-hospital-is-above-right-to-information-act-1059708.html


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