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यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!

वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...

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कोविड-19 के कारण जरुरी जीवन रक्षक टीकों से वंचित रह गए थे 2.3 करोड़ बच्चे

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले असर के कारण 2020 के दौरान दुनिया भर में करीब 2.3 करोड़ बच्चे जरुरी जीवनरक्षक टीकों से वंचित रह गए थे। देखा जाए तो यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 37 लाख ज्यादा है, जोकि 2009 के बाद से सबसे ज्यादा है। यह जानकारी आज विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई...

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कई अध्ययन लेकिन एक निष्कर्ष - कोरोना लॉकडाउन ने देशव्यापी स्तर पर गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया

सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...

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मुनाफे की चाह और अपारदर्शी कीमत बनी वैक्सीनेशन की राह में रोड़ा

-न्यूजलॉन्ड्री, यह हमारी दुनिया के लिए करो या मरो जैसा क्षण है. वायरस और उसके नए प्रकारों और टीकाकरण के बीच एक दौड़ सी जारी है. नोवेल कोरोनावायरस जिस गति से म्यूटेट कर रहा है, उसका अर्थ है कि जब तक इस विश्व का हर एक आदमी सुरक्षित नहीं हो जाता तब तक कोई सुरक्षित नहीं होगा. डब्लूएचओ के अनुसार हमें लगभग 11 बिलियन खुराकों की जरूरत है और इन्हें सबसे...

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मनरेगा में जातिगत एडवाइजरी: दलित-आदिवासी के लिए न रहेगा फंड, न मिलेगा रोजगार!

-जनपथ, इस वर्ष के अप्रैल माह में छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में मनरेगा में काम करने वाले दलित व आदिवासी समुदाय से जुड़े मजदूरों के लिए भुगतान का संकट खड़ा हो गया जबकि बाकी मजदूरों को भुगतान पहले की तरह ही हो रहा था। पूरे देश में हल्ला मचने के बाद यह पता चला कि यह अव्यवस्था मंत्री नरेंद्र तोमर के अधीन ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक ऐसी एडवाइजरी के कारण...

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