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गांवों में किफायती व गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूलिंग

यह बात वर्ष 2002 की है़ आइआइटी मद्रास से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर इनफोसिस में नौकरी कर रहे उमेश मल्होत्रा टीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, जो ग्रामीण परिवेश में रहनेवाले बच्चों की शिक्षा से जुड़ा था़ तब उनके मन में एक विचार आया कि क्यों न ऐसे क्षेत्रों में लाइब्रेरी की शुरुआत की जाये, जिनमें बच्चे अपनी मर्जी से किताबें लेकर उन्हें पढ़ सकें. इस योजना पर...

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छत्तीसगढ़-- हर स्कूल, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचेगी बिजली

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केन्द्रों में अगले दो साल के भीतर बिजली पहुंच जाएगी। राज्य सरकार ने इसके लिए कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत आठ हजार स्कूल, 19 हजार आंगनबाड़ी व 823 स्वास्थ्य केन्द्र विद्युतीकृत किए जाएंगे। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के सभी स्कूलों को मार्च 2017 तक तथा आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केन्द्रों को मार्च 2018 तक विद्युतीकरण किया जाएगा। नए बजट में इसके...

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आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए आदिवासी ने कर दी 8 लाख की जमीन दान

शहडोल। अब जहां लोग एक-एक इंच भूमि के लिए अपने भाई व सगे लोगों को बिना किसी मतलब के देने को तैयार नहीं होते वहीं मौहार दफाई के एक आदिवासी ने आंगनबाड़ी केन्द्र भवन बनाने के लिए आठ लाख रुपए कीमत की जमीन दान में देकर अनुकरिणीय पहल की है। उमरिया जिले के नौराजाबाद से लगी मौहार दफाई के सम्हारु कोल पिता नत्थूलाल कोल (93) ने 1600 स्क्वायर फिट जमीन बिना...

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सुप्रीम कोर्ट के राज्य सलाहकार ने किया निरीक्षण, एमडीएम में घटिया नमक

मोहनपुर: सुप्रीम कोर्ट के राज्य सलाहकार बलराम व चेतना विकास के सचिव कुमार रंजन ने सोमवार को प्रखंड के मध्य विद्यालय बरमसिया व ठाड़ी आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया. मध्य विद्यालय बरमसिया में एमडीएम में नमक माापदंड के अनुसार नहीं पाये जाने पर राज्य सलाहकार ने नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि यह नमक आयेडीन युक्त नहीं है. बच्चों को एमडीएम में नियमित रुप से आयोडीन युक्त नमक मुहैया करायें. साथ ही...

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कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह

समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...

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