-जनपथ, दुनिया की सबसे महंगी चरम मौसमी घटनाओं में से दस की लागत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। इस सूची में अमेरिका में अगस्त में आया तूफ़ान इडा सबसे ऊपर है, जिसकी अनुमानित लागत 65 बिलियन डॉलर है। वहीँ जुलाई में यूरोप में आयी बाढ़ में 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इन आंकड़ों का ख़ुलासा करती है क्रिश्चियन एड की ताज़ा रिपोर्ट काउंटिंग द कॉस्ट 2021: ए ईयर ऑफ...
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यूपी चुनाव: बुंदेलखंड से पलायन जारी, सरकारी नौकरियों का वादा अधूरा
-न्यूजक्लिक, शनिवार की दोपहर का वक़्त है और 23 वर्षीय राजीव पटेल उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से चंडीगढ़ जाने के लिए रेलवे आरक्षण हासिल करने की कोशिश में व्यस्त हैं. बांदा-चित्रकूट के पाठा क्षेत्र के निवासी पटेल पिछले सात वर्षों से चंडीगढ़ और पंजाब और हरियाणा के अन्य शहरों में रसोइए के रूप में काम कर रहे हैं। उनके पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है फिर भी रोज़गार की तलाश में...
More »दिल्ली के गरीब भूखे और हताश हैं, उनके पेट में भूख की 'आग' जल रही है
-न्यूजक्लिक, बढ़ते कर्ज़, महीनों का बकाया किराया, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज़ और अपने दो बेटों की शिक्षा पर होने वाले खर्च ने, हसनारा बेगम की रातों की नींद हराम कर रखी है और उसका परिवार दैनिक भोजन के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर की रहने वाली हसनारा बेगम दिल्ली के उन लाखों निवासियों में शामिल हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं...
More »कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली वैज्ञानिक का दावा- आने वाली महामारी और भी जानलेवा होगी
बीबीसी, ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन बनाने वाली प्रोफ़ेसर ने कहा है कि भविष्य में महामारियां वर्तमान कोरोना संकट से भी घातक और जानलेवा होंगी. प्रोफ़ेसर डेम सारा गिल्बर्ट ने 44वें रिचर्ड डिम्बलबी व्याख्यान में कहा कि महामारी की तैयारियों के लिए और अधिक फ़ंड की ज़रूरत है ताकि इनके प्रकोप को रोका जा सके. ओमिक्रॉन की दिल्ली में भी दस्तक, तंज़ानिया से लौटा था व्यक्ति ओमिक्रॉन कोरोना वायरस वेरिएंट क्या वाकई ज़्यादा ख़तरनाक है? उन्होंने ये भी...
More »क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?
-डाउन टू अर्थ, जिस समय दुनिया वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिए ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज के बैनर तले कॉप-26 में कार्बन बजट पर चर्चा करने में व्यस्त थी, ठीक उसी समय एक अन्य मोर्चे पर एक और महत्वपूर्ण बहस चल रही थी। इस बहस के केंद्र में था कि क्या हम प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं? यह बहस उस उपभोग...
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