जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »SEARCH RESULT
1900 कृषक समूहों का होगा गठन
पटना राज्य में चयनित फसलों के लिए 1900 कृषक समूहों का गठन होगा। प्रत्येक समूह में 15 से 20 किसान सदस्य होंगे। कृषि विभाग की सभी योजनाएं कृषक समूहों के माध्यम से ही लागू होंगी। समूह के सदस्यों को ही प्रशिक्षण दिया जायेगा। समूह गठन के लिए सरकार से पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। बैंक में समूह का खाता खुलने पर सरकार दस हजार...
More »राजस्थान में जनजाति वर्ग में बांटे 30 हजार पट्टे
जयपुर | सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि सरकार गांव, गरीब के उत्थान के संकल्प के साथ कार्य कर रही है। साथ ही पिछड़ों को सामाजिक न्याय, सुरक्षा एवं उनके चहुंमुखी विकास के साथ मुख्यधारा में लाने का हरसंभव प्रयास में जुटी है। रविवार को उदयपुर में राजस्थान भील समाज विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित आदिवासी भील समाज के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन के शुभारंभ के अवसर पर...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »दालों की खेती पर नहीं, आयात पर बढ़ाया खर्च
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...
More »