नई दिल्ली। मंहगाई में गिरावट आने के बावजूद दैनिक उपभोग की कई वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें बढऩे से देश का मध्यम वर्ग मुश्किलों का सामना कर रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि दलहनों, तैयार खाद्य पदार्थ, स्नैक्स आदि की कीमतें बढऩे के साथ ही वस्त्र, घर का किराया, शिक्षा और स्वास्थ्य के महंगा होने से मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ गई है। उसने कहा कि खुदरा स्तर पर...
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जेब काट रहीं रोजमर्रा की चीजों की कीमतें : एसोचैम
नई दिल्ली। महंगाई की दर बेशक एक साल पहले के मुकाबले निचले स्तर पर बनी हुई है, लेकिन आम मध्यवर्ग के उपभोग की वस्तुएं और सेवाएं उसकी पहुंच से बाहर हो रही हैं। उद्योग चैंबर एसोचैम के एक विश्लेषण में यह निष्कर्ष निकला है। एसोचैम की रिपोर्ट कहती है कि ईंधन कीमतों में कमी और मामूली वेतनवृद्धि के बीच शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च जरूरत से अधिक बढ़े हैं। ये दोनों...
More »गरीबी का फंदा तोड़ने के वास्ते-- प्रमोद जोशी
आर्थिक विकास, व्यक्तिगत उपभोग और गरीबी उन्मूलन के बीच क्या कोई सूत्र है? यह इक्कीसवीं सदी के अर्थशास्त्रियों के सामने महत्वपूर्ण सैद्धांतिक प्रश्न है. पिछले डेढ़-दो सौ साल में दुनिया की समृद्धि बढ़ी, पर असमानता कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी. ऐसा क्यों हुआ और रास्ता क्या है? इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रिंसटन विश्वविद्यालय के माइक्रोइकोनॉमिस्ट प्रोफेसर एंगस डीटन को देने की घोषणा की गयी है. वे लंबे अरसे...
More »गरीबी के आंकड़ों के विरोधाभास-- सुभाष गताड़े
विश्व बैंक के मुताबिक, भारत में अत्यधिक गरीबी के नीचे रहनेवाली आबादी वर्ष 2015 में घट कर 9.6 फीसदी हो गयी है. वर्ष 2012 में यह संख्या 12.8 फीसदी थी. वर्ष 1990 में जबसे विश्व बैंक ने यह आंकड़े इकट्ठा करने शुरू किये, तबसे पहली दफा ऐसी कमी दिखाई दी है. इसके बरक्स विश्व बैंक के ही मुताबिक, कुपोषित बच्चों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में नीचे है...
More »दाल उत्पादन बढ़ाने की जरूरत-- रमेश दूबे
महंगे प्याज ने पहले ही किचन का जायका बिगाड़ के रखा है और अब दाल की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं. दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के सरकार ने स्टॉक लिमिट, जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई, दालों के वायदा कारोबार का निलंबन जैसे उपाय किये हैं, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सरकार भले ही थोक मुद्रास्फीति के माइनस 4.95 के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचने का ढिंढोरा...
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