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तटबंधों पर दबाव बढ़ा, कई इलाकों में तबाही

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में बुधवार को भी नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी रहा। उत्तर बिहार के में पहाड़ी नदियों का कहर जारी है, जिससे तटबंधों पर दबाव बढ़ रहा है। सुरक्षा उपायों के तहत होमगार्ड जवानों की तैनाती की जा रही है। दरभंगा के कई इलाकों में पानी फैलने से आवागमन ठप हो गया है। कई गांव पानी से घिरे हैं। पूर्वी बिहार में कोसी के कटाव से...

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महानंदा के कटाव में 35 घर बहे

भागलपुर, जागरण संवाददाता। बिहार में महानंदा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से कटिहार के कदवा ब्लाक में पैंतीस घर नदी के कटाव की भेंट चढ़ गए। दर्जनों गांव के निचले हिस्से में बाढ़ का पानी भर गया है। फसलें डूब गई हैं। कदवा में महानंदा नदी खतरे के निशान से डेढ़ फीट ऊपर पहुंच चुकी है। बाढ़ नियंत्रण अंचल कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार कोसी के जलस्तर में...

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एहू साल अंगना में नाव चली बबुआ

मुजफ्फरपुर [जाटी]। एहू साल अंगना में नाव चली बबुआ, खेत पथार डूबी, जानो बची कि ना, भगवाने मालिक बारन। यह दर्द है गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी, भुतही और अधवारा समूह की नदियों के किनारे बसे उन सैकड़ों गांवों के हजारों ग्रामीणों का, जिनके बचाव के लिए कभी कुछ नहीं किया गया। इस बार भी वे खुद को लावारिस ही पा रहे हैं। वैशाख में ही जेठ की तपती गरमी के बावजूद लोग संभावित बाढ़...

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हलक ही नहीं, पेट पर भी आफत

मुजफ्फरपुर। अप्रैल की शुरुआती गर्मी ने मनुष्य व जानवरों के हलक ही नहीं पेट पर भी आफत ला दी है। पिछले साल आए सूखे के कारण इस साल जिले के ताल-तलैया सूख गए। सरैया प्रखंड की हालत तो यह है कि जलसंकट के कारण अब धोबी कपड़ा नहीं धो पा रहे और इनपर रोटी का संकट है। गंडक नहर भी पांच माह से सूखी है। दियारा क्षेत्र में वन्य प्राणी प्यास से तड़प रहे हैं।...

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कोसी का कहर

कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...

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