कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमूले सरस्वती; करमध्ये तू गोविंद, प्रभाते कर दर्शनम्।। सुबह-सुबह उठने पर अपने हाथों को इस तरह देखने का संस्कार हमें बड़ों से मिला है. लेकिन इसी 'कर' को अगर 'टैक्स' के संदर्भ में देखा जाये, तो पता चलता है कि जहां लक्ष्मी बहुतायत से बसती हैं, वहां करों का भयंकर टोटा है. क्या आप यकीन करेंगे कि 125.2 करोड़ की आबादी और 81.4 करोड़ मतदाताओं वाले देश...
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बुंदेलखंड का एक ऐसा बांध जिसकी एकमात्र उपलब्धि किसानों को भिखारी बनाना है- विनय सुल्तान
सुबह के आठ बज रहे हैं. 72 साल के कल्लन तेज कदमों से गांव की मुख्य सड़क की तरफ बढ़ रहे हैं. हमसे मुलाकात करने की वजह से उन्हें काफी देर हो चुकी है. वे किसी भी हाल में मऊरानीपुर (झांसी जिले का एक कस्बा) जाने वाली पहली बस छोड़ना नहीं चाहते. कल्लन ऐन वक़्त पर बस स्टैंड पहुंचते हैं. एक मिनट की देरी उन्हें दो घंटे लंबे इंतजार की...
More »‘भारत में आजादी’ का अर्थ-- रविभूषण
आजादी की लड़ाई में आजादी के स्वरूप और उसकी अवधारणा को लेकर बीसवीं सदी के बीस के दशक के मध्य से जो विचार-मंथन आरंभ हुआ था, वह 1947 की अधूरी राजनीतिक आजादी या सत्ता-हस्तांतरण के कुछ वर्ष बाद थम गया. रुक-रुक कर वास्तविक और मुकम्मल आजादी की बातें हुईं. ‘संपूर्ण क्रांति' का आंदोलन भी हुआ, पर कुछ समय बाद ही न उसमें गति रही, न शक्ति, और न इच्छाशक्ति ही...
More »इस तरह न याद करें महात्मा गांधी को-- रामचंद्र गुहा
महात्मा गांधी की मृत्यु के तुरंत बाद उनकी स्मृति को बनाये रखने, उनके कामों को सम्मान देने की अनेक खबरें कई समाचार पत्रों में कई दिनों तक छपती रही थीं. ऐसी कुछ खबरें मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार में अध्ययन करते हुए पढ़ी थीं. जैसे इस खबर को ही लीजिए- सन् 1948 में मार्च महीने की तीन तारीख को ‘न्यू उड़ीसा' नाम के अखबार में लिखा गया था कि बिहार...
More »जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य जरूरी- भरत झुनझुनवाला
केन्द्र सरकार ने किसानों के लिये फसल बीमा की नई स्कीम घोषित की है। अनुमान है कि धरती का तापमान बढ़ने के कारण सुनामी, बाढ़, तूफान तथा सूखे जैसे मौसम में उपद्रव बढ़ेंगे। तदनुसार किसानों की समस्यायें बढ़ेंगी। फसल चौपट होने से इन्हें आत्महत्या करने अथवा खेती से पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। अतः सरकार द्वारा घोषित बीमा योजना सही दिशा में है। हालांकि, कागजी उलझनों के कारण इसके...
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