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खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन और साधनों से वंचित है दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया भर में करीब 400 करोड़ लोग आज भी खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला, केरोसिन और गोबर जैसे ईंधन पर निर्भर हैं| यह ईंधन बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं, जिसका असर ने केवल पर्यावरण बल्कि साथ ही खाना पकाने वाले के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है| इससे पहले अनुमान था कि...

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2019 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से विस्थापित हुए 2.2 करोड़ लोग: रिपोर्ट

-डाउन टू अर्थ, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पिछला दशक (2010-2019) इतिहास के सबसे गर्म दशक के रूप में दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 1980 के बाद से हर दशक अपने पिछले दशक से गर्म होता जा रहा है। डब्लूएमओ के अनुसार 2019 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर जा चुका है। जिसके चलते भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में रिकॉर्ड...

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जलवायु परिवर्तन के नाम पर हो रहा कार्रवाई का ढकोसला

एक और कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टी (कॉप 25) खत्म हो गया। इस बार इसका आयोजन मैड्रिड में हुआ। इस साल इस बात पर आम सहमति बनी कि जलवायु परिवर्तन सच है। आप ये सोच रहे होंगे कि अब जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई टालमटोल नहीं होगा। मगर सच तो ये है कि मैड्रिड में गतिरोध पैदा करने का खेल खेला गया या यों कहें कि ऐसे रास्ते तैयार किए गए जिनमें...

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वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में ख़राब रहा भारत का प्रदर्शन, 129 देशों में 95वें पायदान पर

नई दिल्ली: वैश्विक स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक में भारत 129 देशों में से 95वें पायदान पर है. इस तरह से लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है. अधिकतम 100 अंक में से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लैंगिक मापदंडों पर विभिन्न देशों के प्रदर्शन के मामले में भारत का स्कोर 56.2 रहा. बता दें कि यह सूचकांक गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, राजनीतिक...

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तेल का खेल अभी और चलेगा-- सौरभ चंद्र

तेल विश्व की राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली वस्तु है। इसकी वजहें भी हैं। तेल अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, इसका अपना सैन्य महत्व है और कुछ इलाकों में ही इसके भंडार सिमटे हैं। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि आने वाले दिनों में तेल की कीमतें कितनी होंगी? क्योंकि तेल की दुनिया में अनिश्चितता ही निश्चित है। भू-राजनीति और भू-अर्थव्यवस्था में तेल का अव्वल स्थान है। इसका...

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