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पेरिस समझौते के 5 साल: भारत के 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर मंडरा रहा है जलवायु परिवर्तन का खतरा

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीइइडब्लू) द्वारा किए शोध से पता चला है कि देश में 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में देश के करीब 63.8 करोड़ लोग बसते हैं। यह अध्ययन पिछले 50 सालों (1970-2019) के दौरान भारत में आई बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसम सम्बन्धी आपदाओं के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें...

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आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?

-जनपथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी। वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी,...

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देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और ओलावृष्टि, गेहूं, सरसों समेत कई फसलों को भारी नुकसान

-गांव कनेक्शन, देश के कई हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि से कई फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। धान कटाई के बाद गेहूं बुवाई की तैयारी कर रहे किसानों को और इंतजार करना पड़ सकता है तो वहीं सरसों, फूल गोभी, गाजर, टमाटर कई अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा है। रविवार 15 नवंबर को पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि भी...

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ला नीना के बावजूद इतिहास का सबसे गर्म वर्ष बन सकता है 2020: डब्ल्यूएमओ

-डाउन टू अर्थ, विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने हाल ही में ला नीना के बारे में नई जानकारी साझा की है। जिसके अनुसार 2020 में इस घटनाक्रम के मध्यम से मजबूत रहने की सम्भावना है। डब्ल्यूएमओ के क्लाइमेट डिपार्टमेंट से जुड़े मैक्स डिले ने बताया कि ला नीना में तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है। इसके बावजूद अनुमान है कि 2020 इतिहास का सबसे गर्म साल...

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हिंदी दिवस: भाषा, शब्द और साम्राज्यवाद

-न्यूजलॉन्ड्री, 15वीं सदी का आख़िरी दशक ख़त्म होने को था. विश्व के महासागर एक ऐसी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो रहे थे जो इससे पूर्व कभी नहीं देखी गयी थी. चप्पू से चलने वाले जहाज़ों की अपनी सीमाएं थीं. उनसे छिछली तटरेखा के इलाक़ों में तो परिवहन हो सकता था लेकिन समुद्र की अपार नीली जल-राशि में घुसने के लिए साहस के अलावा उन हवाओं का भी ज्ञान ज़रूरी था जो...

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