हमारे देश में विकास के मौजूदा दौर में विस्थापन की समस्या बहुत विकट हो गई है। एक ओर पहले हुए विस्थापन से त्रस्त लोगों को अभी न्याय नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर उससे भी बड़े पैमाने पर किसान और विशेषकर आदिवासी किसान नए सिरे से विस्थापित हो रहे हैं। हाल ही में जन सत्याग्रह संवाद के कार्यक्रम के अंतर्गत देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में भूमि संबंधी...
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आजाद देश की गुलाम किशोर आबादी ?
एक अरब इक्कीस करोड़ की आबादी वाले भारत में 20 फीसदी व्यक्ति किशोर उम्र (10-19साल) के हैं, मतलब किसी भी अन्य देश के किशोरवय लोगों की संख्या की तुलना में ज्यादा।( भारत में इस उम्र के लोगों की कुल तादाद 24 करोड़ 30 लाख है जबकि चीन में किशोरवय लोगों की संख्या तकरीबन 20 करोड़ है।) हरियाणा के बागपत और असम के गुवाहाटी से आने वाले महिला-उत्पीड़न की खबरों के बीच यह जानना महत्वपूर्ण...
More »गांधी और आंबेडकर का रिश्ता- श्रीभगवान सिंह
जनसत्ता 7 जुलाई, 2012: पिछले दो-तीन दशकों का एक बड़ा राजनीतिक यथार्थ यह है कि राष्ट्रपिता के रूप में समादृत गांधी के ऊपर डॉ भीमराव आंबेडकर को न सिर्फ खड़ा करने, बल्कि गांधी को आंबेडकर और दलित विरोधी भी सिद्ध करने की कोशिश लगातार की जा रही हैं। यह सब हो रहा है आंबेडकर के नाम पर दलित राजनीति करने वाले आंबेडकरवादियों द्वारा, क्योंकि इसके जरिए उनके लिए एक समुदाय...
More »सत्ता में दलित- श्योराज सिंह बेचैन
Dalits pain मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब जातियों के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी तेज हो गई है, सही मायने में कांशीराम ही अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने व्यवस्था बदलने के लिए जाति के समाप्त होने का इंतजार नहीं किया था। उन्होंने जातियों, उप-जातियों में सहअस्तित्व और आत्मसम्मान की भावना जगाकर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी की महत्वाकांक्षा के साथ संगठित किया। समकालीन राजनीति में उनके इस योगदान ने न केवल हाशिये पर...
More »दलितों का दर्द- श्योराजसिंह बेचैन
उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं चर्चा का विषय हैं। बहन मायावती के मुख्यमंत्री काल में इन घटनाओं का होना ज्यादा चिंताजनक है। राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दलित समस्या का समाधान हो जाएगा। सपा और भाजपा भी दलित समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी-अपनी पार्टी का सत्ता में आना जरूरी बता रहे हैं। पर जनता क्या करे? इनमें से कौन-सी पार्टी...
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