हरियाणा के एक लड़के ने ऐसा यंत्र बनाया है, जो लकवाग्रस्त न बोल पाने वाले लोगोें की मदद करेगा. एएलएस या लोउ गेहरिग बीमारी से ग्रस्त मरीजों को उनकी सांस के जरिए बोलने में मदद करता है. उसका यह प्रोजेक्ट अब 'गूगल साइंस फेयर अवॉर्ड 2014' के लिए चुने गए 15 प्रोजेक्ट में शामिल हो गया है. पानीपत स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल के 12वीं के छात्र अर्श शाह दिलबगी ने 'टॉक'...
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मध्य वर्ग : सब कुछ है आशियाना नहीं - अभिषेक कुमार सिंह
अक्सर कहा जाता है कि पिछले एक-डेढ़ दशक से देश में मध्य वर्ग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि सरकार की नीतियों में उसका कहीं कोई प्रतिनिधित्व है। एक मिसाल अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे नारे की है, जिसमें निचले तबकों की जरूरतों को तो ध्यान में रखा जा रहा है, लेकिन मध्य वर्ग उसमें कोई जगह नहीं हासिल कर पाया है। नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड...
More »सस्ती दवा के फॉर्मूले को अदालत में चुनौती
नई दिल्ली (एजेंसी)। दवा कंपनियों ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के दवा की कीमत तय करने के अधिकार और उसके फॉर्मूले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। 30 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की बायो टेक्नोलॉजी कमिटी ने भी इस मामले में दखल देने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। फार्मा कंपनियों के मुताबिक एपीपीए के पास दवा की...
More »वाम के लिए सबक- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 21 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की भारी लेकिन एक प्रकार से प्रत्याशित जीत ही हुई है। चुनाव प्रचार के दौरान ही इसके सारे संकेत मिलने लगे थे। फिर भी हमारे इधर के कई मंतव्यों से यह साफ है कि हम सामने दिखाई दे रहे इस सच को संभवत: समझ या स्वीकार नहीं पा रहे थे। हालांकि हमने ही अपनी एक टिप्पणी...
More »जहर की खेती कब तक
मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...
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