मल्टीमीडिया डेस्क। प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिल उन लोगों की तुलना में कमजोर हैं, जो नियमित रूप से स्वच्छ हवा में सांस लेते हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि यह सबूत है कि जीवाश्म ईंधन लोगों की जान ले रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जब डीजल वाहनों से जुड़े प्रदूषण का स्तर यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित सेफ्टी...
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किसान आंदोलन: मंदसौर से पहले नंदीग्राम, सिंगुर, भट्टा-पारसौल और टप्पल में भी मारे गए अन्नदाता
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान आंदोलन के उग्र होने के कारण पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कथित तौर पर गोलियां भी चलायीं। गोलियां लगने के कारण 6 किसानों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। इन घटनाओं के बीच पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच पिपल्यामंडी और आसपास के इलाकों में जमकर हिंसक घटनाएं और उपद्रव हुआ। आंदोलनकारी किसान...
More »बिना उचित अनुमति के बने हैं, तो टॉवर ढहा दिये जायेंगे : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में सुपरटेक की 40 मंजिला दो आवासीय इमारतें ‘इमेराल्ड टावर्स' यदि बिना उचित मंजूरी के बनायी गयी हैं, तो इन्हें ढहा दिया जायेगा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और एएम खानविलकर की पीठ ने कहा कि ये इमारतें यदि बिना उचित मंजूरी लिये बनायी गयी हैं, तो इन्हें ढहा दिया जायेगा. शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 को दिये गये...
More »पलायन का उर्वर प्रदेश--- हरेराम मिश्र
कुछ दिन पहले की बात है, जब मैं पलायन के परिदृश्य को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग यानी ‘पूर्वांचल' के जिलों में पलायन करने वाले कुछ श्रमिकों का ‘इंटरव्यू' कर रहा था। देवरिया जिले में, बातचीत के दौरान, एक श्रमिक ने कहा कि स्थानीय स्तर पर कोई काम-धंधा नहीं मिलता है इसलिए हमें देश के दूसरे हिस्सों में ‘नौकरी' खोजने के लिए जाना पड़ता है। उस श्रमिक...
More »दिल्ली की जाम से हर वर्ष धुएं में उड़ जाते हैं 60 हजार करोड़ रुपये
क्या आपको पता है दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम से हमे कितना नुकसान होता है। दिल्ली कै ट्रैफिक से उत्पन्न प्रदूषण, धुआं हमारे शरीर को तो हानि पहुंचाता ही है साथ ही हमारी जेब पर भी चपत लगाता है। जी हैं ये सच है। सड़क पर लगने वाले जाम की वजह से हर साल 60 हजार करोड़ की चपत लगती है और ये हम नहीं कह रहे।...
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