धौलपुर: राजस्थान के पूर्वी जिले धौलपुर के डांग क्षेत्र में आने वाली गौलारी, बीलौनी और डौमई ग्राम पंचायतों में इन दिनों पीने के पानी की भयंकर समस्या बनी हुई है. ग्रामीण अपने मवेशी और परिवार के साथ नदी किनारों पर पलायन कर गए हैं. कई गांवों में महिलाएं अपना आधा समय सिर्फ पानी लाने के लिए बिता रही हैं. पलायन की स्थिति इतनी विकराल है कि गौलारी ग्राम पंचायत में चंदरपुरा...
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गुजरातः आधे गांव को पानी मिलने की शिकायत पर मंत्री ने कहा- मुझे वोट भी आधे लोगों ने दिया था
अहमदाबादः गुजरात के जल आपूर्ति मंत्री कुंवरजी बावलिया का शनिवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह पीने के पानी की समस्या लेकर पहुंची महिलाओं से यह कहते दिख रहे हैं कि क्या आप लोगों ने मुझे वोट दिया था. मोबाइल पर शूट किए गए वीडियो के वायरल होने के बाद मंत्री ने सफाई देते हुए कहा कि सवाल अशिक्षित महिलाओं ने किए थे और ये स्थानीय राजनीति से प्रेरित हैं. मालूम...
More »महिला किसानों का संगम रेडियो- बाबा मायाराम
तेलंगाना का छोटा गांव है माचनूर। वैसे तो यह गांव आम गांव की तरह है लेकिन सामुदायिक रेडियो ने इसे खास बना दिया है। इस गांव का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है, देश का पहला सामुदायिक रेडियो इसी गांव में स्थापित हुआ। एक और इतिहास बना, वह है दलित महिला किसानों ने इसे चलाया। वे रिकार्डिंग से लेकर कार्यक्रम प्रसारित करने तक के सभी काम करती हैं। संगारेड्डी जिले...
More »आमजन सिर्फ भीड़ न बने-- विजय कुमार चौधरी
पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘मॉब लिंचिंग' (भीड़-हिंसा) का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए इसे रोकने हेतु सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं. न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार को इसके लिए अलग से कानून बनाना चाहिए और राज्य सरकारों को भी इसे नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए, क्योंकि विधि-व्यवस्था की मौलिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. भीड़-हिंसा धीरे-धीरे खतरनाक रूप ले चुकी है और समय...
More »महाराष्ट्रः किसानों ने जीती जंग, मुंबई ने जीता दिल
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। नासिक से 180 किलोमीटर का पैदल मार्च करते मुंबई पहुंचे करीब 50,000 किसानों का आंदोलन सोमवार को सरकार से वार्ता के बाद समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बनाई गई छह सदस्यीय समिति के साथ माकपा के किसान संगठन ऑल इंडिया किसान संघ (एआईकेएस) के प्रतिनिधियों की बातचीत हुई। इसमें किसानों की ज्यादातर मांगें न सिर्फ मान ली गईं, बल्कि उन्हें मानने का लिखित आश्वासन भी...
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