राम मनोहर लोहिया ने भारतीय भीड़ के व्यवहार के लिए एक बड़े मौजूं शब्द का इस्तेमाल किया है- क्रूर कायरता। औसत भारतीय जब भीड़ का अंग होता है, तो उसका व्यवहार एक खास तरह की क्रूरता से भरपूर होता है, जो कई मौकों पर तो बर्बरता की हदें पार कर जाती है। भीड़ किसी जेबकतरे को बस से उतारकर पीट-पीट कर मार डालती है। कभी कोई नकबजन हत्थे चढ़ जाए,...
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कभी किसान के मन की बात भी करें मोदी- योगेन्द्र यादव
प्रधानमंत्री को आजकल किसानों की बड़ी चिंता है। यानी उनके वोट की बहुत चिंता है। होनी भी चाहिए। लोकसभा चुनाव का मौसम शुरू हो गया है। चाहे गुजरात से लेकर कैराना तक के चुनाव परिणाम हों या किसानों द्वारा अपनी फसल फेंक देने की खबरें हों या फिर नवीनतम जनमत सर्वेक्षण, सभी दिशाओं से किसान की नाराज़गी के संकेत आ रहे हैं। प्रधानमंत्री जानते हैं कि देश की खेती पर...
More »कम हो रही हैं श्रमबल में महिलाएं-- अजीत रानाडे
भारत की श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में महिलाओं का हिस्सा पिछले तेरह वर्षों के दौरान तेजी से गिरा है. यह कामकाजी उम्र की महिलाओं की कुल संख्या की तुलना में वैसी महिलाओं का अनुपात है, जो पारिश्रमिक पाते हुए रोजगार कर रही हैं. इस अनुपात में आयी गिरावट दरअसल एक अरसे के दौरान आयी है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष से 24 वर्ष की महिलाओं...
More »भारी गलती है यह ट्रेड वॉर-- अजीत रानाडे
इस वर्ष के प्रारंभ में दावोस में दिये अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापार संरक्षणवाद को तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में एक बताया. दरअसल, इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिपादित तथा अब क्रियान्वित व्यापार नीति से जोड़कर देखा जा रहा है. हाल ही में एल्युमिनियम तथा स्टील के आयात पर उनके द्वारा थोपा गया ऊंचा आयात शुल्क उनके संरक्षणवादी कदमों की शृंखला में नवीनतम कड़ी है, जिसमें आगे...
More »फसल के दाम का सच-- योगेन्द्र यादव
कल रात एक छोटा-सा वीडियो देखा, कुछ ही मिनट का रहा होगा. इस वीडियो में महाराष्ट्र के जालना जिले का एक किसान अपने खेत में लगी गोभी की फसल को तहस-नहस कर रहा है. किसान का नाम है- प्रेमसिंह लखीराम चव्हाण. कहानी यह है कि खरीफ में कपास की फसल बरबाद होने के बाद प्रेमसिंह ने अपने खेत में टमाटर और गोभी लगाये. लेकिन, जब चार क्विंटल टमाटर बाजार...
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