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बजट : पीएम किसान योजना के आवंटन में 20 फीसदी कटौती का अनुमान

केंद्र सरकार पहली फरवरी 2020 को पेश किए जाने वाले आम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के बजट में 20 फीसदी की कटौती कर सकती है। कृषि मंत्रालय ने इस योजना के लिए आम बजट में 60,000 करोड़ रुपये की मांग की है, जबकि 2019-20 के आम बजट में इस योजना के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। सूत्रों के अनुसार संभावित लाभार्थियों की संख्या...

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पूरे परिवार को तोड़ देती है आत्महत्या, महिला किसानों को गुजारनी पड़ती है विपदा की जिदंगी

-डाउन टू अर्थ   खेती-किसानी करने वालों की जिंदगी एक ऐसे डगर पर चल रही होती है कि जब वे फिसलते हैं तो कोई न कोई फंदा उनका गला कसने को तैयार रहता है। खेतों में काम करते हुए महिला किसानों को भी बड़ी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 1995 से 2018 के बीच कुल 23 वर्षों में खेती-किसानी से संबधित 353,802 लोगों ने...

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बजट 2020: "फसल बर्बाद हो तो किसान को मिले शत प्रतिशत मुआवजा, बजट में हो इंतजाम"

-गांव कनेक्शन किसान जब फसल खड़ी करता है तो बुवाई से कटाई तक असिंचित क्षेत्रों में 15000-20 हजार और सिंचित क्षेत्रों में 40 हजार रुपए तक प्रति एकड़ लगा चुका होता है। वो पैसा मिट्टी में गया होता है। फसल क्या आएगी कुछ पता नहीं होता है। बारिश, ओले गिरे तो सब बर्बाद, इसलिए फसल बर्बाद होने पर किसान को शत प्रतिशत मुआवजा मिलना चाहिए।"   कृषि अर्थशास्त्री विजय जावंधिया कहते हैं। पुणे...

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नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही है, सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए  हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में  पिछले 45 वर्षों में  सर्वाधिक बेरोजगारी की  दर  हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो  अंको  पर पहुंच गई है , जो पिछले  71 महीनो  में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं...

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झाबुआ के हलमा को गहराई से देखने की कोशिश कीजिए, वर्ल्ड बैंक उथला नज़र आएगा

वह भीषण गर्मी का महीना था, साल 1998, तारीख थी 11 मई, उस दिन पोखरण में ‘बुद्ध मुस्कराए’ थे. इस मुस्कुराहट का स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि दुनिया के तमाम ताकतवर देश मुस्कराना भूल गए. आनन-फानन में कई प्रतिबंध भारत पर लगा दिए गए. अमेरिकी दबाव इस कदर था कि भारत के पुराने दोस्त रूस ने भी हमें क्रायोजनिक इंजन देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री...

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