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खाप पंचायतों का बढ़ता खौफ- सुभाष गताडे

नई दिल्ली [सुभाष गाताडे]। इंडियन नेशनल लोक दल के प्रधान ओम प्रकाश चौटाला और काग्रेस के युवा सासद नवीन जिंदल में क्या समानता ढूंढ़ी जा सकती है? अगर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को देखें या उम्र का फासला देखें तो कुछ भी एक जैसा नहीं है। अलबत्ता खाप पंचायतों को लेकर दिए अपने ताजे बयान के बाद दोनों एक ही तरफ खड़े दिखाई देते हैं। पिछले कुछ समय से खाप पंचायतों की तरफ से एक मुहिम...

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राज. के 10 लाख बच्चों ने नहीं देखा स्कूल

जयपुर. देशभर में गुरुवार से बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अनिवार्य भले ही हो गया हो, लेकिन राजस्थान में स्कूली शिक्षा की तस्वीर बेहद धुंधली है। राज्य सरकार की मानें तो यहां के 10 लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर हैं। जनसंख्या आंकड़े तो इस संख्या को कहीं ज्यादा बताते हैं। केंद्रीय सहायता से राज्य सरकार शिक्षा का ढांचा बेहद मजबूत करेगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग कहते हैं, शिक्षा का...

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साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे बजाते हैं घंटी!

सीकर. राज्य की साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे घंटी बजाने और सफाई का कार्य कर रहे हैं। यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि प्रदेश की चार हजार 529 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में सहायक कर्मचारी का पद स्वीकृत नहीं है। इसी वजह से, सरकारी स्कूलों में घंटी बजाने, स्कूल की सफाई व वजनी सामान उठाने का कार्य बच्चों से कराया जाता है। हालांकि कई स्कूलों में यह कार्य स्कूल विकास समिति के फंड से कर्मचारी...

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बाड़मेर में पारा 40 के पार

प्रदेश के विभिन्न अंचलों से राज्य में गर्मी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। बाड़मेर में पारा 40 डिग्री के पार चला गया है। वहां का न्यूनतम तापमान भी 27 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मारवाड़ में चिलचिलाती धूप और गर्म हवा ने मौसम का मिजाज बदल दिया। पिछले दो दिनों से पारा बढ़ने का सिलसिला जारी है। माउंट आबू में भी अधिकतम तापमान 31 डिग्री पहुंच गया। जयपुर, अजमेर में पारा 36 डिग्री...

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बेटी को नहीं पढ़ाने पर जुर्माना

बाड़मेर. पंद्रह साल पहले खुद गांव वालों के बनाए नियम ने बाड़मेर से 25 किलोमीटर दूर ‘डूंगेरों का तला’ गांव की बेटियों की तकदीर संवार दी। यह ऐसा गांव है, जहां घर की बेटी को स्कूल नहीं भेजने पर जुर्माना लगता है। नतीजा, हर बेटी यहां पढ़ने जाती है। 20 साल पहले यहां एक भी लड़की पढ़ी-लिखी नहीं थी। दो दशक पहले तक समाज में फैली कुरीतियों के कारण ग्रामीण बेटियों को स्कूल भेजने से...

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