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अब जिंदगियां बचाना ही सबसे जरूरी

-इंडिया टूडे, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने एसोसिएट एडिटर सोनाली अचार्जी के साथ बातचीत में बताया कि कोरोना महामारी के बारे में पिछले कुछ महीनों में कैसे समझ विकसित हुई और जांच की मौजूदा स्थिति तथा आगे की संभावनाएं क्या हैं. कुछ अंश: ● कोविड-19 को पहले गंभीर किस्म के फ्लू जैसा बताया गया था, फिर इसे प्रतिरोधक क्षमता पर आधात करने वाला बताया गया. अब...

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कोविड ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेला, उनको मदद दिए बिना भारत ‘आत्मनिर्भर’ नहीं बन सकता

-द प्रिंट, भारत में कोरोनावायरस संकट के कारण लागू किए गए लॉकडाउन ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेल दिया है. इनमें से ज्यादातर का जीवन कुछ वैसा ही हो गया है जैसा कभी उनकी दादी-नानी का था. वो दिन का ज्यादातर हिस्सा खाना-पकाने, साफ-सफाई करने और घर-परिवार को संभालने में बिता रही हैं. और जो घर से काम कर रही हैं, अगर उनके पास अब भी नौकरी बची है तो, वो...

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प्रवासी श्रमिकों ने श्रमदान से पुनर्जीवित की घरार नदी

-डाउन टू अर्थ, बुंदेलखंड की कहावत है “पानी दार यहां का पानी, आग यहां के पानी में” इस कहावत को सच कर दिखाया मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली से लौटे गाँव भांवरपुर तहसील नरैनी जनपद बांदा के प्रवासी श्रमिकों ने और अपने श्रमदान से घरार नदी को पुनर्जीवित कर दिया। यह नदी पन्ना मप्र के जंगलों से आती है और बागेन नदी में समाहित हो जाती है। लगभग 30 वर्षों से घरार नदी...

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बिहार में पीडीएस का हाल, मांगा अनाज, मिली जेल

-बीबीसी,  बीती 7 जून को बिहार के अरवल के अनुमंडल कार्यालय में राशन कार्ड बनाने और उसका सत्यापन करवाने के लिए भीड़ उमड़ी थी. हज़ारों की इस भीड़ के लिए सरकारी 'सोशल डिस्टैंसिंग' की बात बेमानी थी. राशन कार्ड के लिए लाइन में सबा परवीन भी खड़ी थी. इस कोरोना कॉल में उनके लिए सरकारी खाद्यान्न सहायता अब जीने-मरने का सवाल बन चुकी है. जीने-मरने का ये सवाल सिर्फ़ अरवल जिले के लोगों के...

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बिल चुकाने के लिए पैसा नहीं बचा तो अस्पताल ने 80 वर्षीय मरीज बिस्तर से बांध दिया

-लोकवाणी, बिल चुकाने के लिए पैसा नहीं बचा तो अस्पताल ने 80 वर्षीय मरीज बिस्तर से बांध दिया. इन्हें मध्य प्रदेश के शाजापुर सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पांच दिन भर्ती रहे. परिजनों ने दो बार में 11 हजार रुपये का बिल जमा किया. अस्पताल ने 11 हजार रुपये और मांगे. बेटी ने कहा कि अब पैसा नहीं है, हमें अब घर जाने दो. इस पर अस्पताल ने कहा...

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