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बढ़ते गरीब और बेमानी बहस - अश्वनी कुमार

देशभर के शहरों में रहनेवाले गरीबों के आंकड़े जुटाने के लिए एक जून से सात माह का सर्वे शुरू हो चुका है. इसके साथ ही गरीबों की पहचान के मानदंड पर बहस भी फ़िर छिड़ गयी है. यह विडंबना ही है कि तमाम योजनाओं के बावजूद गरीबों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शहरी गरीबों की गणना की खबरों के साथ ही गरीबी को लेकर जारी बहस फ़िर छिड़ गयी है....

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भीख मांग कर कराई 600 लड़कियों की शादी

लखनऊ, 28 नवंबर(आईएएनएस)। पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारी तो हर कहीं देखने को मिल जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसे भिखारी हैं जो भीख मांगकर जुटाए गए पैसों से निर्धन, गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादी कराकर उनकी जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं। सोनभद्र जिले के निवासी रमाशंकर कुशवाहा (58) रामगढ़ कस्बे में स्थित शवि मंदिर के महंत हैं। पूरे इलाके में ये 'भिखारी बाबा' के...

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बेसहारों की बदल गई किस्मत

वरिष्ठ संवाददाता, अमृतसर ;फुटपाथ पर सो रहे बेसहारा रामजीवन सहित उन 70 लोगों की किस्मत बदल गई है, जो कभी दो जून की रोटी के लिए आने-जाने वाले लोगों का मुंह ताकते थे। दाढ़ी बनवाने के लिए जेब में पैसे नहीं होते थे और खुशबूदार साबुन से नहाने की हसरत हमेशा मन में रहती थी जो पूरी नहीं हो पा रही थी। मगर पुराना कर्म सिंह वार्ड में अब इन लोगों को...

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बाप के होते भी बेसहारा बच्चे

मुजफ्फरपुर [जाटी]। उत्तर बिहार में बाल श्रमिक उन्मूलन के लिए हवा में ही तलवारबाजियां हो रही हैं। रोज नए-नए दावे किए जाते हैं, लेकिन यहां के हर जिले में उन बच्चों की बड़ी तादाद है, जो बाप के होते भी बेसहारा हैं और बाल मजदूरी करने को विवश हैं। उन्मूलन के लिए सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर हो रहे प्रयासों का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पा रहा है। ...

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भूखे पेट ने रोका न्याय का रास्ता

भारत भूषण, कपूरथला; 'बाबू जी हमार बच्चों को खिलान-पिलान के लिए हमार पास कुछ नाहीं है। पापी पेटवा के खातिर हमें मजूरी करनी ही पड़ेगी।' यह दर्द भरे शब्द थे, गुंडों के हाथों मार खाए बैठी झुग्गी बस्ती की सदस्य बसंतो पासवान के। भूखे पेट और गरीबी ने बेइज्जत हुए इन लोगों को इस कदर मजबूर कर दिया है कि उन्हें घायल अवस्था में भी काम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। उल्लेखनीय...

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