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सरकारी बेरुखी से बदहाल किसान--- संजीव पांडेय

इस साल आलू की अच्छी फसल के बावजूद किसान बहुत परेशान हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसान दस पैसे प्रति किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में पंजाब में किसानों ने जानवरों को ही आलू खिलाना शुरू कर दिया था। उधर उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। इसके बावजूद आगरा और मथुरा के इलाके में...

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ढाई साल में ढाई गुणा बढ़ गया सरकारी बैंकों का एनपीए, ये कंपनियां हैं बड़ी कर्जदार

नयी दिल्ली : सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है. इसके अलावा सरकार का इरादा एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियों) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढाया जा सके. फिलहाल ऋण की वृद्धि दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गयी है. सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11...

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बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय

अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...

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बैंकिंग सुधार की कठिन डगर --- सतीश सिंह

मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकारी बैंकों में आमूलचूल परिवर्तन लाने की दरकार है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए सरकार ने उन्हें 2.11 लाख करोड़ रुपए देने की योजना बनाई है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, विकास दर को बढ़ाने और रोजगार सृजन में बढ़ोतरी लाने के लिए बैंकों को मजबूत करना जरूरी है। सरकार के इस कदम को जीएसटी के...

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विकास के पैमाने और हकीकत-- राहुल लाल

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेंटिंग एजेंसी ‘मूडीज' ने एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में अपनी राय दी। इसे कसौटी माना जाए तो अब शायद रेटिंग एजेंसियों को नोटबंदी और जीएसटी पसंद आ रहे हैं। इन दोनों कदमों और बैंकों में फंसे कर्ज का बोझ कम करने की सरकारी कवायद के कारण मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाई। उसने भारत की रेटिंग में तेरह वर्षों के बाद सुधार...

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