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जलसंवर्धन से बदलती जिला पंचायत इंदौर की तस्वीर

-इंडिया वाटर पोर्टल, बारिश की रजत बूँदों को थामने और उन्हें धरती की रगों तक पहुँचाने के लिए जिला पंचायत इंदौर ने शानदार काम किया है। अहम बात यह है कि यह काम लॉकडाउन के उस दौर में कराया गया जब स्थानीय मज़दूरों के सामने रोजी-रोटी का सकंट खड़ा हो गया था। लॉकडाउन के वक़्त में बड़ी तादात में मज़दूर परिवारों को न गाँव में कोई रोज़गार था और न ही...

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अप्रैल से लेकर अब तक 83 लाख से अधिक नए मनरेगा कार्ड जारी, सात सालों में सर्वाधिक बढ़ोतरी: रिपोर्ट

-द वायर, मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती पांच महीनों (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 83 लाख से अधिक नए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कार्ड जारी किए गए हैं. एक अप्रैल से तीन सितंबर तक की यह संख्या (83.02 लाख नए कार्ड) बीते सात सालों में हुई वार्षिक बढ़ोतरी से अधिक है, जिसके आंकड़े मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014-15 में...

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पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीएईजी) सामाजिक समूह ने जारी किया द्वितीय मनरेगा ट्रैकर

-पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीएईजी) द्वारा जारी द्वितीय मनरेगा ट्रैकर (17 अगस्त, 2020 को जारी) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (नरेगा) कार्यान्वयन ट्रैकर, नरेगा की मांग को लेकर 2005 में 'रोज़गार गारंटी के लिए जन संघर्ष' (पी.ए.ई.जी.) गठित हुआ। यह एक समूह हैं जिसमें विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता, शैक्षणिक और अनेक जन संगठनों के सदस्य जुड़े हैं. पी.ए.ई.जी. शोध और अधिवक्तृता के माध्यम से नरेगा के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए चर्चाओं, लोगों द्वारा...

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बेरोजगारी का संक्रमण

-इंडिया टूडे हिंदी, विक्रम अपना मास्क संभाल ही रहा था कि वेताल कूद कर पीठ पर लद गया और बोला राजा बाबू ज्ञान किस को कहते हैं? विक्रम ने श्मशान की तरफ बढ़ते हुए कहा, युधिष्ठिर ने यक्ष को बताया था कि यथार्थ का बोध ही ज्ञान है. वेताल उछल कर बोला, तो फिर बताओ कि लॉकडाउन के बाद भारत में बेकारी का सच क्या है? विक्रम बोला, प्रेतराज, लॉकडाउन ने हमारी...

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तीन साल से तीन महीने की मजदूरी के लिए भटक रहे हरियाणा के 145 मनरेगा मजदूरों को इंसाफ कौन दिलाएगा?

-गांव कनेक्शन,  "सरपंच के कहने पर तीन महीने तक मनरेगा के तहत दिहाड़ी की, लेकिन एक भी फूटी कौड़ी नहीं मिली। मिली तो सरपंच से मारने-पिटने की धमकी और गालियां। मजदूरों को तो इंसान समझते ही नहीं। अपनी मजूरी मांगते हैं तो डराकर भगा देते हैं। हमारे पैसे जो सरकार ने भेजे थे उन्हें खुद ही जीम (डकारना) गए। गरीब आदमी को तो दिहाड़ी के नाम पर बस गालियां ही मिली"...

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